ज़मानत आवेदन पर विचार करते हुए अदालत आरोपी के खिलाफ सबूतों की सराहना नहीं कर सकती : जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

19 March 2021 5:15 PM IST

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    जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि एक अदालत जमानत के लिए आवेदन पर सुनवाई करते हुए उन साक्ष्यों की सराहना नहीं कर सकती है, जो अभियुक्त के खिलाफ अभियोजन द्वारा एकत्र किए गए हैं।

    न्यायमूर्ति पुनीत गुप्ता की एकल पीठ ने देखा,

    "अदालत ने अलग-अलग दृष्टिकोण से अभियोजन द्वारा आरोपी के खिलाफ एकत्रित किए गए साक्ष्यों की सराहना करने पर विचार किया, जबकि बचाव पक्ष के वकील ने उक्त सवाल उठाया। यह अदालत इस तरह की कोई सामग्री को रिकॉर्ड पर नहीं ले रही है, जो बचाव के वकील के द्वारा उठाया गया है।"

    एजीए असीम साहनी की प्रस्तुति के बाद जज ने कहा कि अदालत जमानत के आवेदन पर सुनवाई करते हुए मामले में अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपी के खिलाफ एकत्रित किए गए साक्ष्यों की सराहना नहीं कर सकती।

    जमानत याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता केएस जौहल ने तर्क दिया कि अभियोजन द्वारा एकत्रित सामग्री से अभियुक्त के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि घटना की कोई गवाह नहीं है और मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है।

    जोहल ने आगे कहा कि आरोपियों द्वारा किए गए कथित खुलासे बयान पर कुछ सामग्री की बरामदगी, पीड़िता की मौत बताते हुए मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता की मौत की वजह गला घोटने के कारण हुई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो समय बताया गया है वह समय आरोपी के अपराध करने के समय से मैच नहीं करता।

    इसका विरोध करते हुए साहनी ने तर्क दिया,

    "अभियुक्तों की ओर से उठाए गए बिंदुओं पर आखिर में विचार नहीं किया जा सकता है और जमानत याचिका पर टिप्पणी की जा सकती है, क्योंकि ट्रायल का मामला है। अदालत को पुलिस द्वारा जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूतों को फेंकने की आवश्यकता नहीं है। यह ट्रायल कोर्ट के लिए समान है। "

    इस सबमिशन की मेरिट पर कोर्ट ने कहा कि वह अभियुक्तों की दलीलों के संबंध में कोई अवलोकन रिकॉर्ड नहीं कर सकता है।

    इसमें आगे कहा गया है,

    "अपराध की गंभीरता पुलिस द्वारा एकत्रित किए गए सबूत और मामले जिस स्टेज पर है उसे देखते हुए आवेदक को वर्तमान आवेदन में जमानत का हकदार नहीं है।"

    अभियुक्त ने अदालत के समक्ष यह भी आग्रह किया था कि चूंकि ट्रायल COVID-19 महामारी के कारण आगे नहीं बढ़ सका और पिछले आठ महीने से अधिक समय से चालान लंबित है, इसलिए उसे जमानत दे दी जानी चाहिए।

    जमानत से इनकार करते हुए अदालत ने कहा,

    "महामारी के कारण होने वाली असाधारण स्थिति इस मामले में अभियुक्त को जमानत देने का आधार नहीं हो सकती है, जो अन्यथा अपने प्रारंभिक चरण में है।"

    केस का शीर्षक: अमृत पाल सिंह बनाम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और अन्य।

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