उपभोक्ता न्यायालय ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम को 2006 से सेवा का इंतजार कर रहे भक्त को टिकट आवंटित करने या 45 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया

Avanish Pathak

6 Sept 2022 12:29 PM IST

  • उपभोक्ता न्यायालय ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम को 2006 से सेवा का इंतजार कर रहे भक्त को टिकट आवंटित करने या 45 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया

    जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, सलेम ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के खिलाफ एक व्यक्ति की याचिका पर संस्‍थान को एक साल के भीतर मेलचट वस्त्रम सेवा के लिए टिकट आवंटित करने का निर्देश दिया है।

    आयोग ने कहा कि जब जनता को दर्शन/सेवा की अनुमति दी जाती है, उसके एक साल के भीतर टिकट दिया जाए या विकल्प के रूप में सेवा में कमी और मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजे के रूप में 45,00,000 रुपये की राशि प्रदान की जाए।

    शिकायतकर्ता केआर हरि भास्कर ने वर्ष 2006 में 12,250 रुपये की राशि का भुगतान करके "मेलचट वस्त्रम" नामक एक सेवा बुक की थी। सेवा के लिए 10 जुलाई 2020 की तारीख आवंटित की गई, हालांकि, उस समय COVID-19 महामारी के कारण मंदिर को बंद रहा।

    ऐसी परिस्थिति में, शिकायतकर्ता ने देवस्थानम को पत्र लिखकर कार्यपालक अधिकारी से सेवा को किसी अन्य तिथि के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया।

    जवाब में सहायक कार्यपालक अधिकारी ने शिकायतकर्ता को सूचित किया कि स्थगन के उनके अनुरोध पर विचार किया जाएगा।

    बाद में उप कार्यकारी अधिकारी ने शिकायतकर्ता को सूचित करते हुए एक नोटिस जारी किया कि टीटीडी बोर्ड सेवा को वीआईपी ब्रेक दर्शन में बदलने या सेवा की राशि की वापसी का विकल्प प्रदान कर रहा है।

    हालांकि, शिकायतकर्ता यह स्वीकार नहीं किया और फिर से अनुरोध किया कि उसे मंदिर में जनता की अनुमति के बाद एक वर्ष के भीतर सेवा के लिए एक नई तारीख दी जाए। टीटीडी ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया।

    सीडीआरसी ने माना कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 2 (7) के तहत शिकायतकर्ता एक उपभोक्ता है।

    शिकायतकर्ता ने आवश्यक राशि का भुगतान करके एक सेवा बुक की थी, और इस सेवा को टीटीडी ने रद्द कर दिया। उसने शिकायतकर्ता को सेवा करने की अनुमति नहीं दी और इसके बजाय अन्य विकल्प दिए। इस प्रकार, इस तरह के इनकार से टीटीडी ने सेवा में कमी की और शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा दी।

    इस प्रकार, सीडीआरसी ने माना कि शिकायतकर्ता को सेवा की कमी और मानसिक पीड़ा के लिए उचित मुआवजा दिया जाए।

    सीडीआरसी ने इसलिए टीटीडी को आदेश दिया कि शिकायतकर्ता को जनता की अनुमति के बाद एक साल के भीतर "मेलचैट वस्त्रम सेवा" करने की अनुमति दी जाए या विकल्प में रूप में सेवा की कमी और मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजे के रूप में 45,00,000 रुपये का भुगतान किया जाए।

    सीडीआरसी ने टीटीडी को आदेश के दो महीने के भीतर सेवा की टिकट राशि वापस करने का भी निर्देश दिया।


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