मैरिट के आधार पर शिकायत के निर्णय से पहले उपभोक्ता आयोगों को देरी के लिए माफी आवेदन पर निर्णय लेना चाहिए: उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग
Brij Nandan
11 Aug 2022 7:59 AM IST
उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कहा कि उपभोक्ता फोरम को मैरिट के आधार पर निर्णय से पहले उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act), 2019 के तहत शिकायत दर्ज करने में देरी के लिए माफी आवेदन पर निर्णय लेना चाहिए।
नोट किया कि अधिनियम की धारा 69 (2) स्पष्ट रूप से प्रदान करती है कि किसी भी शिकायत पर तब तक विचार नहीं किया जाएगा जब तक कि आयोग, जिला, राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर, देरी को माफ करने के अपने कारणों को दर्ज नहीं करता है।
चिकित्सा उपचार में लापरवाही का आरोप लगाते हुए वर्तमान शिकायत 9 साल की देरी से दर्ज की गई। उपचार 2011-12 में दिया गया था जबकि शिकायत 2021 में दर्ज की गई थी।
राज्य आयोग ने इस प्रकार एक पुनरीक्षण आवेदन की अनुमति दी और शिकायत की स्थिरता पर प्रारंभिक आपत्ति पर निर्णय लेने के लिए मामला जिला आयोग को वापस भेज दिया।
विलम्ब माफी प्रार्थना-पत्र पर विपक्षीगणों ने आपत्ति दर्ज की और स्वीकार किये जाने के स्तर पर ही इसके निराकरण की प्रार्थना की। जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करने तथा परिसीमा एवं मैरिट के आधार पर सुनवाई की तारीख निर्धारित की।
विरोधी पक्ष इस प्रार्थना के साथ पुनरीक्षण में आए कि आदेश को रद्द किया जाए और जिला उपभोक्ता आयोग को पहले सीमा के मुद्दे को तय करने का निर्देश जारी किया जाए।
उन्होंने आरोप लगाया कि जिला उपभोक्ता आयोग ने मनमाने ढंग से शिकायत के बारे में प्रारंभिक आपत्तियों पर विचार नहीं किया। इस मामले को अंतिम चरण में तय करने के लिए छोड़ दिया गया।
यह तर्क दिया गया कि आक्षेपित आदेश पूरी तरह से भारतीय स्टेट बैंक बनाम मेसर्स पीएस कृषि उद्योग के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के निर्धारित आदेश के खिलाफ है।
राज्य आयोग ने उपरोक्त के साथ सहमति व्यक्त की और जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश को रद्द कर दिया।
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