राजस्थान हाईकोर्ट ने आयकर अधिनियम की धारा 148 के पहले प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया
Brij Nandan
27 May 2022 3:42 PM IST
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस समीर जैन की अध्यक्षता वाली राजस्थान हाईकोर्ट की पीठ ने आयकर अधिनियम की धारा 148 के पहले प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता/निर्धारिती ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 148ए के खंड (बी) के तहत जारी नोटिस को चुनौती देते हुए यह रिट याचिका दायर की है।
सबसे पहले, इस आधार पर कि प्रारंभिक जांच किए बिना, जो कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 148ए के तहत आवेदन के लिए एक पूर्व-आवश्यकता है।
दूसरे, धारा 148 के तहत नोटिस जारी करने के संबंध में निर्धारण अधिकारी द्वारा याचिकाकर्ता के जवाब पर विचार नहीं किया गया है।
अंत में, 1961 के अधिनियम की धारा 148 के प्रावधान को चुनौती दी गई क्योंकि इसने 1961 के अधिनियम की धारा 148 के तहत एक नोटिस जारी करने से पहले निर्धारण अधिकारी की ओर से आवश्यक परीक्षण के मानक को कमजोर कर दिया है। धारा 148 में निर्धारण अधिकारी को मनमाने ढंग से मूल्यांकन खोलने की शक्ति निहित किया गया है।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि आयकर अधिनियम की धारा 148 ए के खंड (बी) के तहत नोटिस में मूल्यांकन अधिकारी ने आरोप लगाया कि, सूचना के आधार पर, याचिकाकर्ता ने क्रिप्टो मुद्रा में 29,17,088 रुपये की राशि का कारोबार किया था।
निर्धारण अधिकारी ने आगे यह मान लिया है कि याचिकाकर्ता ने कथित व्यापारिक मूल्य पर कुछ आय अर्जित की है। निर्धारण अधिकारी ने आगे कहा है कि याचिकाकर्ता ने अपनी आय की विवरणी में आय की घोषणा नहीं की है।
याचिकाकर्ता ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 148 के पहले प्रावधान को इस आधार पर चुनौती दी है कि "टैक्स के लिए वसूलनीय आय निर्धारण से बच गई है" का स्पष्टीकरण इसके अर्थ में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
कोर्ट ने मामले को 04.07.2022 को सूचीबद्ध करते हुए पुनर्मूल्यांकन नोटिस पर रोक लगा दी है।
केस टाइटल: माया राठी बनाम आईटीओ
उद्धरण: डी.बी. सिविल रिट याचिका संख्या 7495/2022
दिनांक: 23/05/2022
याचिकाकर्ता के वकील: एडवोकेट वेदांत अग्रवाल
प्रतिवादी के लिए वकील: एएसजी आरडी रस्तोगी
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