COVID-19 मामलों को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के दोबारा टेस्ट पर विचार करें: दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

LiveLaw News Network

5 Jan 2022 6:03 AM GMT

  • COVID-19 मामलों को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के दोबारा टेस्ट पर विचार करें: दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार से कहा कि उसे अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के फिर से COVID-19 टेस्ट के मुद्दे पर शीघ्र विचार करना चाहिए। खासतौर पर उनके यात्रियों के जो इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा कोई दिशानिर्देश तैयार नहीं किए जाने की स्थिति में COVID-19 पॉजीटिव पाए गए हैं।

    जस्टिस रेखा पल्ली एक महिला द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थीं। उक्त महिला का बेटा यूके (इंग्लैंड) से लौटा एक 18 वर्षीय छात्र है। वह आईजीआई हवाई अड्डे पर COVID-19 किए गए टेस्ट में पॉजीटिव पाया गया है।

    याचिकाकर्ता ने इस शिकायत के साथ अदालत का दरवाजा खटखटाया कि उसके बेटे में COVID-19 के कोई लक्षण नहीं होने के बावजूद, उसे एक निजी अस्पताल में रहने के लिए मजबूर किया गया। इसके साथ ही उसके बार-बार अनुरोध के बावजूद, उसका कोई RTPCR टेस्ट नहीं किया गया।

    याचिकाकर्ता ने यह भी शिकायत की कि उसे जीनोम सिक्वेंसिंग रिपोर्ट प्रदान नहीं की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसका बेटा ओमीक्रॉन से पीड़ित है या नहीं।

    इस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि उक्त जीनोम सिक्वेंसिंग रिपोर्ट को याचिकाकर्ता के बेटे के साथ साझा क्यों नहीं किया जा सकता है।

    अदालत ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि याचिकाकर्ता के बेटे का RTPCR टेस्ट किया गया। इसमें वह निगेटिव पाया गया, इसलिए याचिकाकर्ता की मुख्य शिकायत सही है।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट नीति या दिशा-निर्देश नहीं है जिसके परिणामस्वरूप शहर में मरीजों को निजी अस्पतालों में रहने के लिए मजबूर किया गया। भले ही वे निगेटिव हो क्यों न हो। इस कारण से कि RTPCR टेस्ट नहीं किए जा रहे हैं।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया,

    "यह एक गलत व्याख्या है। प्रोटोकॉल में कहीं भी यह नहीं कहा गया कि किसी के पॉजीटिव पाए जाने के बाद RTPCR टेस्ट नहीं किया जा सकता। कोई नहीं जानता कि जीनोम सिक्वेंसिंग रिपोर्ट कौन कर रहा है। किसी को भी फिजिकल या डिजिटल रूप में रिपोर्ट नहीं दी जाती है, जबकि मेरे पास यह जानने का अधिकार है।"

    कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा,

    "यह उम्मीद की जाती है कि यदि भारत संघ द्वारा कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया तो जीएनसीटीडी इस मामले पर तेजी से विचार करेगा ताकि याचिकाकर्ता के बेटे जैसे निजी अस्पतालों में रखे गए लोगों को परेशानी न हो।"

    सुनवाई के दौरान, फोर्टिस अस्पताल, जिसमें याचिकाकर्ता के बेटे को आइसोलेट किया गया, की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि उन्हें दिल्ली सरकार से निर्देश मिला कि प्रारंभिक टेस्ट रिपोर्ट की तारीख से दस दिन पहले या तीन के बाद RTPCR टेस्ट नहीं किया जाए।

    दूसरी ओर, दिल्ली सरकार ने यह कहा कि उपरोक्त कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय COVID-19 पॉजीटिव व्यक्तियों के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के अनुरूप है।

    केंद्र ने हालांकि कहा कि ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया कि रोगी के पॉजीटिव होने के दस दिन से पहले RTPCR टेस्ट नहीं किया जा सकता।

    केंद्र ने आगे कहा कि जीनोम सिक्वेंसिंग रिपोर्ट संबंधित राज्य सरकारों को प्रदान की जाती है। इसके बाद राज्य सरकार की स्वास्थ्य मशीनरी पहले से जारी प्रोटोकॉल के अनुसार रोगियों के साथ संवाद करती है। इससे यह पता चलता है कि इस प्रक्रिया में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है।

    तदनुसार, दिल्ली सरकार द्वारा मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा गया। कोर्ट ने उक्त समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी के लिए स्थगित कर दी।

    केस शीर्षक: अर्चना वैद्य बनाम भारत संघ अपने सचिव और अन्य के माध्यम से।

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