अनुकंपा नियुक्ति चयन प्रक्रिया के नियम का अपवाद: बॉम्बे हाईकोर्ट ने विधवा को राहत दी

LiveLaw News Network

31 March 2022 8:30 AM GMT

  • अनुकंपा नियुक्ति चयन प्रक्रिया के नियम का अपवाद: बॉम्बे हाईकोर्ट ने विधवा को राहत दी

    बॉम्बे हाईकोर्ट हाल ही में एक विधवा को अनुकंपा नियुक्ति चयन प्रक्रिया में राहत दी। उक्त विधवा को मृत पति के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित कर दिया गया था। विधवा का पति एक शैक्षणिक परिसर में चपरासी का काम करता था।

    शिक्षा विभाग द्वारा पारित एक आदेश के तहत उसे लाभ से वंचित कर दिया गया। इसमें कहा गया कि नए स्टाफिंग पैटर्न को मंजूरी देने का प्रस्ताव सरकार के पास लंबित है और अभी तक सरकार से कोई मंजूरी नहीं मिली है।

    जस्टिस साधना एस. जाधव और जस्टिस एसजी डिगे की पीठ ने इस आदेश को रद्द करते हुए कहा,

    "अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए नए स्टाफिंग पैटर्न को मंजूरी देने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए, याचिका को अनुमति दी जानी चाहिए।"

    ऐसा करते हुए पीठ ने योगिता शिवसिंह निकम बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य में हाईकोर्ट की टिप्पणियों पर ध्यान दिया, जहां इसी तरह के तथ्यों पर विचार करते हुए यह इस प्रकार कहा गया:

    "कम से कम कहने के लिए हम राज्य सरकार द्वारा उठाए गए रुख से हैरान हैं, जो न केवल तर्क के खिलाफ है, बल्कि इस अदालत द्वारा कई निर्णयों में स्थापित कानून के पूर्ण विरोधाभास में है। यह राज्य के लिए अचेतन है कि इस तरह के आधारों को वस्तुतः शोक संतप्त परिवार को भुखमरी के लिए प्रदान करता है। हम पाते हैं कि राज्य ने लगातार यह सुनिश्चित किया कि भर्ती पर प्रतिबंध, रिक्त पदों को भरने पर रोक और गैर-शिक्षण के स्टाफिंग पैटर्न तक नियुक्तियों पर रोक से संबंधित एक भी सरकारी प्रस्ताव नहीं है। पदों को औपचारिक रूप दिया गया है, इसलिए अनुकंपा के आधार पर की गई नियुक्तियों पर लागू होगा। इस न्यायालय ने लगातार यह भी माना कि अनुकंपा नियुक्ति रिक्त पदों या नवनिर्मित पदों पर भर्ती के लिए विशिष्ट चयन प्रक्रिया का पालन करने के अनिवार्य नियम का अपवाद होगी।"

    हाईकोर्ट ने तब चेतावनी दी कि यदि किसी मामले में अनुकंपा नियुक्ति को मंजूरी देने से इनकार करने का कोई मामला सामने आता है, जो अन्यथा कानूनी रूप से स्थायी है, तो वह शिक्षा अधिकारी के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश करने वाले निर्देश जारी करेगा। साथ ही जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही का निर्देश दिया जाएगा।

    हाईकोर्ट ने आगे कहा,

    "कानून की जटिल स्थिति के बावजूद वे सरकार के प्रस्तावों की सबसे अनुचित तरीके से व्याख्या कर रहे हैं। शिक्षा अधिकारियों के इस तरह के कृत्यों के कारण विधवाओं और पात्र उम्मीदवारों को एक व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक पीड़ा झेलने के बाद इस अदालत में आने के लिए मजबूर किया जाता है। एक अकेले कमाने वाले का नुकसान और मुकदमेबाजी पर भी खर्च करना, जो इन दिनों महंगा है। हम ऐसे याचिकाकर्ताओं के दर्द के लिए ऐसे शिक्षा अधिकारियों के वेतन से वसूलने के लिए भारी जुर्माना भी लगाएंगे।"

    उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए रिट याचिका की अनुमति दी गई।

    केस का शीर्षक: वर्षा दीपक देसाले बनाम महाराष्ट्र राज्य

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