अनुकंपा नियुक्ति | किसी व्यक्ति को केवल इसलिए वित्तीय रूप से स्थिर नहीं माना जा सकता क्योंकि उसने शादी कर ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Avanish Pathak

2 Nov 2022 4:22 PM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति का विवाह अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति से इनकार करने का कोई आधार नहीं है क्योंकि वैवाहिक संबंध में प्रवेश करने से यह धारणा नहीं बनती कि व्यक्ति आर्थिक रूप से स्थिर है।

    इसके साथ ही जस्टिस विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने डीआईजी (स्थापना) पुलिस मुख्यालय, उत्तर प्रदेश के एक आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें यूपी पुलिस के एक सिपाही के छोटे बेटे को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित कर दिया गया था, जिनकी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी।

    मामला

    प्रेम शंकर द्विवेदी यूपी पुलिस में कांस्टेबल थे और अगस्त 1999 में सेवा कार्यकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी (याचिकाकर्ता संख्या 1) ने उपयुक्त प्राधिकारी के समक्ष सितंबर 1999 में एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया और अनुरोध किया कि चूंकि वह एक अनपढ़ महिला है और इसलिए उसके बड़े बेटे को अनुकंपा नियुक्ति दी जा सकती है।

    बड़े बेटे को 2004 में एक नियुक्ति पत्र जारी किया गया था, हालांकि, चूंकि वह मेडिकल जांच में मानसिक रूप से अस्थिर पाया गया था, इसलिए याचिकाकर्ता नं 1 ने 2005 में अपने छोटे बेटे (याचिकाकर्ता संख्या 2) के लिए अनुकंपा नियुक्ति की मांग करते हुए एक और अभ्यावेदन दिया।

    2008 तक उनके अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी, इसलिए, उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की। वर्ष 2012 में, हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता संख्या दो की अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर विचार करने का निर्देश दिया और छह सप्ताह की अवधि के भीतर एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करने के लिए कहा।

    इसके आधार पर प्रतिवादी संख्‍या दो ने याचिकाकर्ता संख्या दो के दावे को खारिज करते हुए 2 जनवरी 2015 को एक आदेश पारित किया, जिसमें

    उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की भर्ती नियम, 1974 में प्रदान की गई 5 साल की समय सीमा में छूट देने से इनकार कर दिया। उक्त नियम में कहा गया कि रोजगार के लिए आवेदन सरकारी कर्मचारी की मौत की तारीख से पांच साल की अवधि के भीतर किया जाएगा।

    अस्वीकृति आदेश में यह भी देखा गया कि याचिकाकर्ता वित्तीय संकट से पीड़ित नहीं हैं क्योंकि उन्हें 7000/- प्रति माह रुपये की पारिवारिक पेंशन मिल रही है और कृषि भूमि से रु. 7700/- प्रति माह की आमदनी हो रही है।

    महत्वपूर्ण रूप से, प्रतिवादियों ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि याचिकाकर्ता संख्या दो विवाहित है और यदि याचिकाकर्ता के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती तो याचिकाकर्ता संख्या दो ने शादी नहीं की होती।

    याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का रुख किया।

    निष्कर्ष

    शुरुआत में कोर्ट ने नोट किया कि अभ्यावेदन को समयबाधित होने के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता था (यानी, इसे सरकारी कर्मचारी / पिता की मृत्यु के 5 साल बाद दायर किया गया था)। याचिकाकर्ता संख्या एक ने वर्ष 1999 में ही अनुकंपा नियुक्ति के लिए पहला आवेदन दायर किया था, और उसके बाद 2006 में, उसने अनुकंपा नियुक्ति के लाभार्थी के नाम को इस आधार पर बदलने का अनुरोध किया था कि उसका बड़ा बेटा नौकरी के लिए मानसिक रूप से अयोग्य था।

    याचिकाकर्ताओं की वित्तीय स्थिति के बारे में प्रतिवादियों द्वारा किए गए आकलन के संबंध में, कोर्ट ने कहा कि उन्होंने इस बात पर विचार नहीं किया कि क्या प्रति माह 14,700/- रुपये की एक मामूली राशि चार व्यक्तियों के परिवार के सदस्य के भरणपोषण करने के लिए पर्याप्त होगी, विशेष रूप से इस तथ्य के मद्देनजर कि मृतक कर्मचारी के पुत्रों में से एक मानसिक बीमारी से पीड़ित है और उसकी देखभाल में भी खर्च किया जा रहा है।

    गौरतलब है कि कोर्ट ने यह भी माना कि प्रतिवादियों द्वारा आक्षेपित आदेश में दर्ज निष्कर्ष कि याचिकाकर्ता संख्या दो विवाहित है और यदि परिवार आर्थिक तंगी से पीड़ित है तो याचिकाकर्ता संख्या दो शादी नहीं करना कानून में पूरी तरह से अस्थिर था।

    कोर्ट ने कहा,

    "यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न अंग है। किसी व्यक्ति के विवाह का व्यक्ति की वित्तीय स्थिति के साथ कोई तर्कसंगत संबंध नहीं है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एक गरीब व्यक्ति को भी संविधान के तहत शादी करने का अधिकार है और प्रतिवादियों ने आक्षेपित आदेश पारित करके यह माना है कि याचिकाकर्ता संख्या 2 विवाहित है और यदि याचिकाकर्ता की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं होती तो याचिकाकर्ता संख्या 2 ने शादी नहीं की होती। वित्तीय स्थिति को शादी से जोड़ने का उपरोक्त निष्कर्ष में कोई तर्कसंगत संबंध नहीं है। यहां तक ​​​​कि एक गरीब व्यक्ति भी वित्तीय बाधाओं के बावजूद शादी कर सकता है।"

    इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी देखा कि अनुकंपा नियुक्ति के नियम यह प्रदान नहीं करते हैं कि किसी व्यक्ति का विवाह यह अनुमान लगाएगा कि व्यक्ति के पास खुद की देखभाल करने की वित्तीय क्षमता है।

    नतीजतन, अदालत ने मामले को प्रतिवादी संख्या 2 को याचिकाकर्ता संख्या दो की अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पर गुणदोष के आधार तीन महीने की अवधि में कानून के अनुसार विचार करने के लिए वापस भेज दिया।

    केस टाइटल- गोमती देवी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 2 अन्य [WRIT A No- 17078 Of 2015]

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 479

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story