सीएम एडवोकेट्स वेलफेयर स्कीमः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को बोली की प्रक्रिया के लिए तारीख तय करने का निर्देश दिया, पंजीकरण नहीं करा पाए वकीलों को दोबारा मौका देने पर विचार करने को कहा

LiveLaw News Network

17 July 2020 12:24 PM GMT

  • सीएम एडवोकेट्स वेलफेयर स्कीमः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को बोली की प्रक्रिया के लिए तारीख तय करने का निर्देश दिया, पंजीकरण नहीं करा पाए वकीलों को दोबारा मौका देने पर विचार करने को कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को 7 अगस्त से सीएम एडवोकेट्स वेलफेयर स्कीम की निविदा प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। जस्टिस प्रथिबा एम सिंह की एकल पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वे उन वकीलों पर दया करें, जो अप्रैल की समय सीमा में पंजीकरण नहीं करा सके थे और उन्हें पंजीकरण के लिए 2 सप्ताह का समय दें।

    कोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल की ओर से स्थानांतरित की गई रिट याचिकाओं पर यह फैसला दिया है। याचिकाओं में दिल्ली सरकार को चीफ मिनिस्टर एडवोकेट्स वेलफेयर स्कीम को लागू करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी, खासकर COVID-19 महामारी जैसे कठिन समय में।

    बीसीडी ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार को उन सभी पंजीकृत अधिवक्ताओं, जिनकी संख्या 29,098 है, की बीमा पॉलिसी प्राप्त करनी चाहिए और उन्हें उक्त अधिवक्ताओं को भेजना चाहिए।

    आज की सुनवाई में, दिल्ली सरकार ने कहा कि बीसीडी अध्यक्ष केसी मित्तल से परामर्श के बाद 25 जून को निविदाएं आमं‌त्रित करने के लिए नोटिस (एनआईटी) प्रकाशित किया जा चुका है।

    एनआईटी जारी करने के बाद, बीसीडी अध्यक्ष और बीमा कंपनियों के साथ एक प्री-बि‌डिंग मीटिंग आयोजित की गई थी, जिसमें एनआईटी में संशोधन के लिए कुछ सुझाव दिए गए थे। यह मूल एनआईटी को एक सुधार जारी करके किया जा चुका है।

    दूसरी ओर, वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश वासदेव ने कहा कि दिल्ली सरकार वकीलों को बीमा प्रदान करने की प्रक्रिया में जानबूझकर का देरी करने का प्रयास कर रही है।

    एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमरजीत सिंह चांडीओक ने कहा कि प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरीफिकेशन) रूल्स, 2015 की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह `प्रैक्टिस का स्थान 'है, जो एक वकील को स्‍थानीय बार कांउसिल के तहत पंजीकरण लेने की अनुमति देता है, न कि निवास स्थान पर। चंडीओक ने तर्क दिया कि योजना का लाभ देने के लिए अध‌िवक्ताओं के बीच यह जो अंतर करने की को‌शिश की जा रही है कि कौन दिल्‍ली का स्‍थानीय निवासी है और कौन नहीं है, यह पूरी तरह से गैरकानूनी और अनुचित है।

    कोर्ट ने यह देखते हुए कि कम से कम उन वकीलों के लिए योजना को लागू करने में देरी नहीं होनी चाहिए जो पहले से पंजीकृत हैं, कहा:

    'जीएनसीटीडी सात अगस्त से पहले बिडिंग के लिए आरंभ और समापन की तारीख तय करेगा। इसके बाद, जीएनसीटीडी सभी बिडिंग को देखगा ओर सफल बिडिंग को टेंडर देगा। इसके बाद, तकनीकी मूल्यांकन समिति के तत्वावधान में अनुबंध को अंतिम रूप दिया जाएगा। अंतिम अनुबंध के संसाधित होने के बाद, बीमा कंपनी वकीलों को पॉलिसी जारी करेगी, जिसके प्रीमियम का भुगतान लिए दिल्ली सरकार करेगी। '

    योजना का लाभ एनसीआर के वकीलों को देने के मुद्दे पर, अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नय्यर की दलील पर ध्यान दिया, जिन्होंने कहा था कि वह इस मुद्दे अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे।

    यह देखते हुए कि अगर एनसीआर के वकीलों के लिए कोई अनुकूल निर्णय नहीं लिया जाता है, तो अदालत अगली तारीख पर उनकी याचिका पर सुनवाई करेगी, मामले को 28 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

    Next Story