लाइव टीवी डिबेट के दौरान मनुस्मृति फाड़ने की आरोपी RJD प्रवक्ता के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट खारिज
Amir Ahmad
15 Sept 2025 3:14 PM IST

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिला कोर्ट ने हाल ही में लाइव टीवी डिबेट के दौरान मनुस्मृति की कॉपी फाड़ने के आरोप में RJD प्रवक्ता प्रियंका भारती के खिलाफ दर्ज FIR में पुलिस द्वारा पेश क्लोजर रिपोर्ट खारिज की।
सिविल जज (वरिष्ठ संभागीय) ACJM अलीगढ़ राशि तोमर ने रोरावर थाने के थाना प्रभारी को आगे की जांच करने और बिना किसी देरी के नई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
यह आदेश राष्ट्रीय सवर्ण परिषद के संगठन सचिव आचार्य भरत तिवारी द्वारा दायर विरोध याचिका पर पारित किया गया, जो वही शिकायतकर्ता हैं, जिनकी शिकायत पर भारती के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299 [किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य] के तहत FIR दर्ज की गई थी।
अपनी शिकायत में तिवारी ने आरोप लगाया कि 29 दिसंबर, 2024 को भारती ने पूर्व नियोजित तरीके से लाइव टेलीविजन पर पवित्र ग्रंथ मनुस्मृति को फाड़कर उसका घोर अपमान किया, जिससे करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुँची।
यह भी आरोप लगाया गया कि उसने देश भर में दंगे भड़काने के लिए मनुस्मृति के बारे में गलत जानकारी दी। घटना का वीडियो टेलीविजन और मोबाइल प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया।
जांच के बाद जांच अधिकारी ने क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जिसमें कहा गया कि घटना दिल्ली या किसी अन्य स्थान पर हुई। इसलिए अलीगढ़ के अधिकार क्षेत्र में कोई अपराध नहीं हुआ।
इसके विरुद्ध शिकायतकर्ता ने विरोध याचिका दायर की, जिसमें मुख्य रूप से यह तर्क दिया गया कि अलीगढ़ पुलिस ने उपरोक्त अपराध में मनगढ़ंत और झूठे तथ्यों के आधार पर और निष्पक्ष जांच किए बिना अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
इस पृष्ठभूमि में मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने प्रथम दृष्टया क्लोजर रिपोर्ट को रद्द करना और मामले में आगे की जांच का निर्देश देना उचित समझा।
संबंधित समाचार में इस वर्ष मार्च में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारती के विरुद्ध FIR रद्द करने से इनकार कर दिया था। FIR रद्द करने की मांग करते हुए उन्होंने कोर्ट का रुख किया था और तर्क दिया था कि उनकी ओर से जानबूझकर या अनजाने में किसी व्यक्ति या धर्म की भावनाओं का अपमान करने का कोई इरादा या प्रयास नहीं था और किसी भी स्थिति में, उनके कृत्य से सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित नहीं होती है।
पीठ ने कहा था कि एक लाइव टीवी बहस में मनुस्मृति के पन्ने फाड़ना प्रथम दृष्टया एक संज्ञेय अपराध है।

