सिविल जज भर्ती | आरक्षण का लाभ पाने के लिए इंटरव्यू में 'नॉन-क्रीमी लेयर का ओरिजनल सर्टिफिकेट' पेश करना आवश्यक: पटना हाईकोर्ट
Avanish Pathak
23 Aug 2022 7:09 PM IST

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने आरक्षित श्रेणी के एक उम्मीदवार पर विचार नहीं करने के बिहार लोक सेवा आयोग (न्यायिक शाखा) के निर्णय को बरकरार रखा है। उम्मीदवार इंटरव्यू लेटर की शर्त के अनुसार इंटरव्यू के समय ओरिजनल नॉन-क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट प्रस्तुत नहीं कर पाया था।
जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह और जस्टिस शैलेंद्र सिंह की खंडपीठ ने कहा,
"यह अच्छी तरह से तय है कि निर्धारित चयन प्रक्रिया के अनुसार चयर प्रक्रिया का आयोजन सख्ती से किया जाना चाहिए...और विज्ञापन के नियमों और शर्तों में कोई छूट नहीं दी जा सकती है, जब तक कि ऐसी शक्ति विशेष रूप से प्रासंगिक नियमों में या विज्ञापन दी गई हो..."
मौजूदा मामले में, इंटरव्यू लेटर के खंड 3 (v) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि उम्मीदवारों को सत्यापन के लिए मूल प्रमाण पत्र लाना होगा जैसा कि मूल विज्ञापन में भी कहा गया है, साथ ही साक्षात्कार की तारीख को दो स्व-सत्यापित फोटो प्रतियों के साथ नॉन- क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट पेश करना होगा, और यदि साक्षात्कार की तिथि पर कोई भी उम्मीदवार उक्त मूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करता है तो उसके लिए कोई और समय नहीं दिया जाएगा और बीपीएससी ऐसे उम्मीदवारों की पात्रता के संबंध में उचित निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा।
याचिकाकर्ता सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के पद पर भर्ती के लिए 30वीं बिहार न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा के तहत एक आवेदक था। बीपीएससी ने उनकी उम्मीदवारी इस आधार पर रद्द कर दी कि वे साक्षात्कार के समय मूल नॉन-क्रीमी लेयर प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने में विफल रहे।
याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि बीपीएससी ने एक उच्च तकनीकी दृष्टिकोण अपनाया है।
बीपीएससी के वकील ने तर्क दिया कि उपरोक्त आवश्यक प्रमाण पत्र जमा नहीं करने के कारण पीटी और मेन्स में याचिकाकर्ता का परिणाम रद्द कर दिया गया था और उसे अनारक्षित श्रेणी में माना गया था। चूंकि उसने प्रारंभिक परीक्षा के साथ-साथ मुख्य परीक्षा में भी कम अंक प्राप्त किए थे, इसलिए उसकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है।
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राय दी कि बीपीएससी की ओर से की गई दलीलों में दम है।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता अपना मूल नॉन-क्रीमी लेयर प्रमाणपत्र जमा करने में विफल रहा, बीपीएससी के उस निर्णय में कोई दोष नहीं पाया जा सकता है जिसके तहत उसने आरक्षित श्रेणी में याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी को रद्द कर दिया और उसे अनारक्षित श्रेणी में माना गया।
उक्त टिप्पणियों के मद्देनजर कोर्ट ने माना रिट किसी योग्यता से रहित है। इसलिए इसे खारिज कर दिया गया।
केस टाइटल: राकेश कुमार पटेल बनाम बिहार लोक सेवा आयोग और अन्य।

