'लापरवाह नागरिक मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते': महाराष्ट्र सरकार ने ट्रेनों में बिना टीकाकरण वाले लोगों को यात्रा की अनुमति देने की मांग वाली जनहित याचिका का विरोध किया

LiveLaw News Network

22 Dec 2021 10:14 AM GMT

  • लापरवाह नागरिक मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते: महाराष्ट्र सरकार ने ट्रेनों में बिना टीकाकरण वाले लोगों को यात्रा की अनुमति देने की मांग वाली जनहित याचिका का विरोध किया

    महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि बिना टीकाकरण वाले व्यक्तियों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने की अनुमति देने से न केवल COVID-19 के विस्फोटक रूप से फैलने से कई लोगों की जान खतरे में पड़ जाएगी, बल्कि इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए किए गए सभी प्रयास व्यर्थ हो जाएंगे।

    बुधवार को, राज्य के मुख्य सचिव देबाशीष चक्रवर्ती ने राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली दो जनहित याचिकाओं के जवाब में एक हलफनामा दायर किया। दरअसल, राज्य सरकार के फैसले के अनुसार केवल पूरी तरह से टीकाकरण वाले लोगों को लोकल ट्रेनों में चढ़ने और मॉल और कार्यस्थलों पर जाने की अनुमति दी गई है।

    पिछली सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव से एक हलफनामे में ग्रेटर मुंबई क्षेत्र में केवल पूरी तरह से टीकाकरण वाले लोगों को लोकल ट्रेनों में चढ़ने की अनुमति देने के सरकार के फैसले के पीछे के कारणों को स्पष्ट करने के लिए कहा है।

    पीठ ने कहा था कि इस मुद्दे में उन नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कम करना शामिल है जिन्हें या तो कोई भी डोज नहीं लगी है या सिर्फ एक डोज मिली है। इन लोगों की रोजी-रोटी दैनिक मजदूरी पर निर्भर है और वे परिवहन के अन्य साधनों का खर्च नहीं उठा सकते हैं।

    राज्य की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है,

    "बिना टीकाकरण वाले लोगों को सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल की अनुमति देने का मतलब है कि खतरे को आमंत्रित करना। सरकार यह जोखिम नहीं उठा सकता।"

    दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की अधिक मांग के कारण नागरिकों और राज्य की विकट स्थिति को याद करते हुए हलफनामे में कहा गया है कि कोई भी नागरिक ऑक्सीजन और अस्पताल जैसे दुर्लभ सार्वजनिक संसाधनों पर दबाव बनाने के लिए लापरवाह होने के अपने मौलिक अधिकार की घोषणा नहीं कर सकता है।

    इसमें कहा गया है कि भले ही कोई नागरिक ऑक्सीजन जैसे संसाधनों के लिए भुगतान करने को तैयार हो, लेकिन उनका प्रबंधन करना राज्य का मौलिक कर्तव्य है।

    हलफनामे में कहा गया है कि पूरी तरह से टीका लगाए गए व्यक्ति के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम होती है।

    राज्य ने कहा है कि पिछली लहर के दौरान ऑक्सीजन की आवश्यकता 1800 मीट्रिक टन प्रतिदिन से अधिक हो गई, जबकि राज्य स्तर पर उत्पादन केवल 1200 मीट्रिक टन प्रतिदिन है।

    हलफनामे में आगे कहा गया है,

    "महाराष्ट्र सरकार ने अथक परिश्रम करके, स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया, लेकिन यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि हमने अपनी आंतरिक क्षमता से अधिक ऑक्सीजन की पूर्ति बहुत अधिक कठिनाई से की।"

    हलफनामे के मुताबिक, 21 दिसंबर तक महाराष्ट्र में 544 नए मामले सामने आए और 4 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा, 81,661 व्यक्ति होम क्वारंटाइन में हैं और 877 व्यक्ति संस्थागत क्वारंटाइन में हैं।

    अब तक कोविड से 66.5 लाख संक्रमित मामले और 1.41 लाख मौतें हो चुकी हैं। 20 दिसंबर तक, महाराष्ट्र में ओमिक्रोन के 54 नए मामले सामने आ चुके हैं।

    राज्य ने परिवहन के विभिन्न साधनों के बीच भेदभाव के आरोप से इनकार किया है और कहा है कि पूरी तरह से टीकाकरण की शर्त सभी ट्रेन सेवाओं, बस सेवाओं और वास्तव में, सभी प्रकार के सार्वजनिक परिवहन पर लागू होती है।

    मध्य रेलवे और पश्चिम रेलवे के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कोविड महामारी से पहले लगभग 80 लाख लोगों ने ट्रेन से यात्रा की थी।

    हालांकि, मंगलवार को 37.33 लाख लोगों ने मध्य रेलवे से और 28.82 लाख लोगों ने पश्चिम रेलवे से यात्रा की।

    हलफनामे में कहा गया,

    "मैं इस समय केवल यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यदि हम प्रत्येक और सभी को और किसी को, इस तथ्य की परवाह किए बिना कि टीकाकरण किया गया है या नहीं , सार्वजनिक परिवहन सेवाओं का अनियंत्रित उपयोग करने की अनुमति देते हैं, तो इसका घातक परिणाम हो सकता है।"

    हलफनामे में अंत में कहा गया है,

    "यह न केवल यात्रा करने वाली पूरी जनता को बल्कि उनके परिवारों और अन्य सभी लोगों को भी खतरे में डालेगा, जिनके साथ वे संपर्क में आते हैं, जिससे वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अब तक किए गए सभी प्रयास व्यर्थ हो जाएंगे।"

    पीठ ने बुधवार को कहा कि वह अब इस मामले को 3 जनवरी, 2022 को अंतिम रूप से सुनेगी।

    पृष्ठभूमि

    अलग-अलग याचिकाओं में कार्यकर्ता फिरोज मिथिबोरवाला और योहन तेंगरा ने मांग की है कि मुंबई महानगर क्षेत्र के भीतर लोकल ट्रेनों सभी लोगों को यात्रा करने की अनुमति दी जाए, भले ही उनके टीकाकरण की स्थिति कुछ भी हो।

    अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया कि केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि टीकाकरण की स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद राज्य सरकार इस तरह के आदेश पारित कर रही है।

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