EWS/DG कैटेगरी स्थापित होने पर बच्चा डीओई-आवंटित स्कूल में एडमिशन पाने का हकदार: दिल्ली हाईकोर्ट

Shahadat

4 March 2023 6:18 AM GMT

  • EWS/DG कैटेगरी स्थापित होने पर बच्चा डीओई-आवंटित स्कूल में एडमिशन पाने का हकदार: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह साबित हो जाने के बाद कि बच्चा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) से संबंधित है या वंचित समूह (DG) कैटेगरी है तो वह आरटीई अधिनियम के तहत आरक्षित सीटों पर शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा आवंटित स्कूल में एडमिशन पाने का हकदार है।

    जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा कि डीओई द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत स्कूल आवंटन के बाद DG या EWS कैटेगरी के तहत किसी भी बच्चे को एडमिशन देने से इनकार करना, बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 का उल्लंघन होगा, जो 6 से 14 वर्ष के बीच के प्रत्येक बच्चे को अनिवार्य रूप से मुफ्त में शिक्षा प्रदान करता है।

    जस्टिस पुष्करणा ने यह देखते हुए कि आरटीई अधिनियम की धारा 12 कमजोर वर्गों और वंचित समूहों के लिए कम से कम 25% आरक्षण प्रदान करती है, कहा:

    "इस प्रकार, एक बार यह स्थापित हो जाता है कि बच्चा समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग या वंचित समूह से संबंधित है और इस आधार पर संतुष्ट होने के बाद डीओई द्वारा उसकी नियत प्रक्रिया के अनुसार स्कूल आवंटित किया गया है, ऐसा बच्चा उक्त कैटेगरी के तहत आवंटित स्कूल में एडमिशन पाने का हकदार है।

    अदालत ने स्कूल में एडमिशन चाहने वाले बच्चे की याचिका को इस आधार पर स्वीकार किया कि वह डीजी कैटेगरी में प्रवेश के लिए ड्रॉ निकालने में सफल रहा।

    उसका मामला यह था कि डीओई द्वारा उसे आवंटन पत्र भी जारी किया गया और उसके पास अपने पिता के पक्ष में जारी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र है।

    स्कूल की ओर से पेश वकील ने कहा कि एससी सर्टिफिकेट में याचिकाकर्ता का आवासीय पता स्कूल से लगभग 8 से 10 किलोमीटर दूर दिखाया गया है।

    दूसरी ओर, डीओई ने प्रस्तुत किया कि एक बार ड्रॉ में स्कूल आवंटित हो जाने के बाद स्कूल बच्चे को एडमिशन देने के लिए बाध्य होता है।

    याचिकाकर्ता को राहत देते हुए अदालत ने कहा कि बच्चे को डीओई द्वारा उचित प्रक्रिया के बाद डीजी कैटेगरी के तहत स्कूल आवंटित किया गया है। इस प्रकार वह एडमिशन पाने का हकदार है।

    अदालत ने कहा,

    "उपरोक्त प्रस्तुतियां के मद्देनजर, वर्तमान याचिका की अनुमति दी जाती है। हालांकि, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2022-2023 पहले से ही अपने अंत पर है, याचिकाकर्ता को शैक्षणिक सत्र 2023-2024 के लिए नर्सरी क्लास में एडमिशन देने का निर्देश दिया जाता है।

    केस टाइटल: समर देवल बनाम शिक्षा निदेशालय और अन्य।

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