बाल भिक्षावृत्ति : हाईकोर्ट ने प्रभावित बच्चों के पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों पर केंद्र, दिल्ली सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी
Sharafat
24 Aug 2022 9:36 AM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र, दिल्ली सरकार के साथ-साथ दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) से भीख मांगने वाले बच्चों के पुनर्वास के उद्देश्य से उठाए गए कदमों पर विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट मांगी।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि स्टेटस रिपोर्ट में पूरे एनसीटी क्षेत्र में अधिकारियों द्वारा उठाए गए क्षेत्रवार कदम शामिल होने चाहिए।
यह घटनाक्रम राष्ट्रीय राजधानी में और उसके आसपास बाल भिक्षावृत्ति और संबंधित समस्याओं की समस्या को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग वाली एक याचिका में हुआ।
एडवोकेट अजय गौतम द्वारा दायर याचिका में बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 में निहित प्रावधानों को सख्ती से लागू करने की मांग की गई है। पिछले साल अगस्त में दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग, केंद्र, दिल्ली पुलिस, समाज कल्याण विभाग (एनसीटी दिल्ली) और शिक्षा विभाग (एनसीटी दिल्ली) को नोटिस जारी किए गए थे।
कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान डीसीपीसीआर का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत को अवगत कराया कि वह समय-समय पर जांच कर रहे हैं और मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के मद्देनजर सड़कों पर बच्चों के पुनर्वास के लिए कदम उठा रहे हैं।
केंद्र और दिल्ली सरकार ने यह भी कहा कि प्रभावित बच्चों के पुनर्वास और इस विषय पर एसओपी का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।
अदालत ने आदेश दिया , "प्रतिवादी पूरे एनसीटी क्षेत्र के संबंध में क्षेत्रवार, मामले में उनके द्वारा उठाए गए कदमों पर एक विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह का समय चाहते हैं और उन्हें यह समय दिया जाता है।"
अब इस मामले की सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।
गौतम ने अपनी याचिका में संबंधित प्रतिवादियों को भीख मांगने वाले बेसहारा बच्चों की पहचान करने और उनका पुनर्वास करने का निर्देश देने की मांग की है।
उन्होंने सभी पुलिस थानों के थाना प्रभारी (एसएचओ) को अपने अधिकार क्षेत्र में बच्चों को भीख मांगने से रोकने के लिए उचित कदम उठाने और इस संबंध में एक बीट अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की।
उन्होंने पहले अदालत के समक्ष आरोप लगाया था, "कोई भी बच्चा खुद के लिए भीख नहीं मांगता है। संगठित अपराधों के एक हिस्से के रूप में उन्हें इसमें मजबूर किया जाता है। इन बच्चों को प्रतिदिन लक्ष्य दिया जाता है। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।"
केस टाइटल : अजय गौतम बनाम दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग और अन्य