यूपी में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों के लिए ECI की SIR गाइडलाइंस लागू करने की मांग खारिज
Amir Ahmad
18 Dec 2025 6:16 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों के लिए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)) से जुड़ी जनहित याचिका (PIL) को बुधवार को खारिज कर दिया। याचिका में मांग की गई कि पंचायत चुनावों के लिए भी भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए जारी SIR दिशा-निर्देशों को लागू किया जाए।
चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने संत कबीर नगर निवासी नरेंद्र कुमार त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका यह कहते हुए खारिज की कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पहले से ही काफी आगे बढ़ चुकी है। इसमें न्यायालय के हस्तक्षेप का कोई औचित्य नहीं है।
याचिकाकर्ता ने अदालत से मंडामस जारी करने का अनुरोध किया ताकि उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया जा सके कि वह त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों के लिए भी निर्वाचन आयोग की SIR गाइडलाइंस को अपनाए। याचिका में तर्क दिया गया कि ECI ने 24 जून 2025 को मतदाता सूचियों की शुद्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विशेष गहन पुनरीक्षण के दिशा-निर्देश जारी किए, इसके बावजूद राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनावों के लिए अलग से 7 अक्टूबर 2025 और 18 नवंबर 2025 को अधिसूचनाएं जारी कर दीं।
याचिकाकर्ता का कहना था कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण के लिए दो अलग-अलग प्रक्रियाएं अपनाना “दोहरी प्रक्रिया” है, जिससे सरकारी संसाधनों, समय और कर्मचारियों की मेहनत की अनावश्यक बर्बादी होती है। उनके अनुसार, यदि पंचायत चुनावों के लिए भी ECI की SIR प्रक्रिया को ही अपनाया जाता तो कार्य की पुनरावृत्ति से बचा जा सकता था और संसाधनों की बचत होती।
हालांकि, हाईकोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया। अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के पुनर्विचार की प्रक्रिया काफी पहले 18 जुलाई, 2025 को शुरू कर दी गई और अब यह अपने अंतिम चरण में है। न्यायालय ने यह भी नोट किया कि पंचायत चुनावों के लिए संशोधित मतदाता सूची का प्रारंभिक प्रकाशन 23 दिसंबर 2025 को प्रस्तावित है।
अपने आदेश में खंडपीठ ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अपनाई गई SIR प्रक्रिया को चुनौती देने का कोई ठोस कारण नहीं है। विशेषकर तब, जब पूरी प्रक्रिया काफी समय पहले शुरू हो चुकी हो और अब निर्णायक चरण में पहुंच चुकी हो। इन परिस्थितियों में न्यायालय ने हस्तक्षेप से इनकार करते हुए जनहित याचिका खारिज की।

