बॉम्बे हाईकोर्ट ने 'स्किन-टू-स्किन' निर्णय पर आलोचना झेलने वाले पूर्व एडिशनल जज को पेंशन लाभ प्रदान किया
Amir Ahmad
13 March 2025 9:37 AM

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट की पूर्व एडिशनल जज पुष्पा गनेडीवाला द्वारा दायर याचिका स्वीकार की, जिसमें उन्होंने अपने त्यागपत्र के बाद हाईकोर्ट जज के समान पेंशन लाभ की मांग की थी।
2021 में गनेडीवाला ने कुख्यात स्किन-टू-स्किन निर्णय लिखा, जिसकी व्यापक आलोचना हुई थी, क्योंकि उन्होंने यह प्रस्ताव रखा था कि POCSO Act के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध के लिए सीधे स्किन-टू-स्किन संपर्क आवश्यक है। बॉम्बे हाईकोर्ट जज के रूप में स्थायी पदस्थापना से इनकार किए जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने 2 नवंबर 2022 को हाईकोर्ट (मूल पक्ष) रजिस्ट्रार द्वारा जारी किए गए संचार को चुनौती दी, जिसमें कहा गया कि वह हाईकोर्ट जज की पेंशन और अन्य लाभों के लिए अपात्र थीं।
गनेडीवाला ने तर्क दिया कि वह चाहे स्वेच्छा से रिटायरमेंट हुई हों या एक निश्चित आयु प्राप्त करने के बाद रिटायर हुई हों, वह पेंशन की हकदार हैं। दूसरी ओर, प्रतिवादी अधिकारियों ने तर्क दिया कि पेंशन नहीं दी जा सकती, क्योंकि उन्होंने पद से 'इस्तीफा' दिया था और एक जज केवल रिटायरमेंट या स्वैच्छिक रिटायरमेंट पर ही पेंशन का हकदार होगा।
गनेडीवाला को सात साल तक वकील के रूप में काम करने के बाद 2007 में जिला जज के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने महाराष्ट्र न्यायिक अकादमी के संयुक्त निदेशक, सिटी सिविल और सेशन कोर्ट में प्रिंसिपल जिला और सेशन जज के रूप में भी काम किया। उन्हें हाईकोर्ट रजिस्ट्रार के रूप में भी नियुक्त किया गया। उन्हें 13 फरवरी, 2019 को दो साल की अवधि के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में पदोन्नत किया गया था।
केस टाइटल: पुष्पा डब्ल्यू/ओ वीरेंद्र गनेडीवाला बनाम रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से बॉम्बे उच्च न्यायालय का न्यायिक क्षेत्र (WP/15018/2023)