"कानून से परे उपकार अन्य लोगों के लिए क्रूरता है": दिल्ली हाईकोर्ट ने इग्नू के बीएससी कोर्स में प्रवेश के लिए 16 ग्रेस मार्क्स देने संबंधी याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

12 Jan 2021 6:06 AM GMT

  • कानून से परे उपकार अन्य लोगों के लिए क्रूरता है: दिल्ली हाईकोर्ट ने इग्नू के बीएससी कोर्स में प्रवेश के लिए 16 ग्रेस मार्क्स देने संबंधी याचिका खारिज की

    मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की अगुवाई में दिल्ली हाईकोर्ट की एक खंड न्यायाधीश बेंच ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGUOU) की एक महिला बीएससी आकांक्षा की ओपन यूनिवर्सिटी के बीएससी (बायोलॉजी) डिग्री कोर्स में प्रवेश के लिए 16 ग्रेस मार्क्स के लिये दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि, "कानून से उपकार (चैरिटी) परे अन्य लोगों के लिए क्रूरता है।"

    याचिकाकर्ता ने एकल न्यायाधीश की खंडपीठ के उस आदेश को चुनौती देने वाले लेटेस पेटर्न अपील को प्राथमिकता दी थी, जिसने उसकी याचिका भी खारिज कर दी थी। उसने कहा कि वह एक "होनहार छात्रा" है, जिसने दिल्ली विश्वविद्यालय के एलएलबी कार्यक्रम सहित कई अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश लिया था।

    हालांकि, वह इग्नू के बीएससी (बायोलॉजी) पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए आवश्यक अंक (36) पाने में असफल रही, जिसमें उसने केवल 20 अंक हासिल किए।

    उसने अपनी प्रतिभा, महिला और एक बच्चे की माँ होने के आधार पर राहत मांगी थी।

    याचिकाकर्ता के वकील की पूरी तरह से सुनवाई करने के बाद चीफ जस्टिस पटेल ने टिप्पणी की,

    "तो क्या आप चाहते हैं कि हम आपको इस कोर्स में प्रवेश के लिए 16 ग्रेस मार्क्स दे दें?"

    अपील को खारिज करते हुए उन्होंने कहा,

    "यह कानून की नजर में स्वीकार्य नहीं है। कोई नियम, विनियम या उपनियम (मौजूद) 16 ग्रेस मार्क्स के अनुदान की अनुमति नहीं देता है।"

    उन्होंने आगे यह भी कहा कि अपील में मार्क्स देने की प्रक्रिया को कोई चुनौती नहीं दी गई थी और इसलिए कानून में एकल न्यायाधीश का आदेश गलत नहीं था।

    Next Story