राष्ट्रपति चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर केवल सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट

Shahadat

22 July 2022 4:50 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि राष्ट्रपति चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर कहा कि इस तरह कि याचिका पर केवल सुप्रीम कोर्ट ही निर्णय ले सकता है।

    जस्टिस संजीव नरूला ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में एकमात्र उपाय परिणाम की घोषणा के बाद चुनाव याचिका के माध्यम से हो सकता है। इसके अलावा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 की धारा 14 (2) ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट को विशेष अधिकार क्षेत्र प्रदान करती है।

    कोर्ट ने राष्ट्रपति चुनाव 2022 की पूर्व संध्या पर दायर याचिका को खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की। याचिका में संसद सदस्यों (सांसदों) और विधानसभा सदस्यों (विधायकों) के नाम हटाने की मांग की गई थी, जो कुछ लंबित मामलों के कारण जेल में बंद हैं या जिन पर उनके खिलाफ फैसला किया गया है ताकि वे मतदान प्रक्रिया में भाग न लें।

    याचिका 70 वर्षीय स्वरोजगार कारपेंटर सतवीर सिंह द्वारा दायर की गई थी, जिसने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराने के लिए नामांकन फॉर्म प्रस्तुत किया था। हालांकि भारत के चुनाव आयोग ने इसे खारिज कर दिया था।

    याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग के साथ-साथ भारत संघ ऐसे व्यक्तियों (संसद के सदस्यों और विधान सभाओं के सदस्यों) को विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों यानी भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए इलेक्टोरल कॉलेज से हटाने या अयोग्य घोषित करने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है।

    याचिका को सुनवाई योग्य न मानकर उसे खारिज करते हुए अदालत का विचार था कि याचिकाकर्ता ने न तो कैद सदस्य को संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्य के रूप में मतदान करने या कार्य करने की अनुमति नहीं देने का उदाहरण दिया और न ही उसने एक पार्टी के रूप में किसी ऐसे सदस्य को रखा।

    अदालत ने कहा,

    "1952 के अधिनियम के अवलोकन पर न्यायालय संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों को अयोग्य घोषित करने वाले किसी भी प्रावधान को समझने में असमर्थ है, जो उक्त चुनावों में मतदान से वंचित हैं। कुमार ने आरपी अधिनियम की धारा 8 पर भरोसा किया है, जो संसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्य होने से व्यक्तियों की अयोग्यता के लिए निर्धारित करता है। हालांकि, इस तथ्य के प्रकाश में कि वर्तमान याचिका पर इस न्यायालय द्वारा विचार नहीं किया जा सकता है, न्यायालय इस मुद्दे पर कोई राय व्यक्त करने से परहेज करता है।"

    कोर्ट ने याचिका को केवल मात्र एक पृष्ठ की होने के कारण इसे "बेहद संक्षिप्त" कहा। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अदालत का दरवाजा खटखटाने से पहले ज्यादा शोध नहीं किया।

    कोर्ट ने कहा,

    "जैसा कि पहले ही ऊपर देखा जा चुका है, याचिकाकर्ता ने वर्तमान याचिका दायर करने से पहले कानूनी प्रावधानों को समझने के लिए अधिक प्रयास नहीं किया। हालांकि, मांगी गई पूर्वोक्त राहत कई आधारों पर खारिज करने योग्य है। राष्ट्रपति चुनाव के ऐन मौके पर याचिका दायर करने का इरादा इसे 'अत्यधिक संदिग्ध' बनाता है।"

    तदनुसार, याचिका खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल: सतवीर सिंह बनाम भारत संघ और अन्य

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