ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए केंद्र का आवंटन पर्याप्त नहींः आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

LiveLaw News Network

10 Jun 2021 3:15 PM GMT

  • ब्लैक फंगस मरीजों के इलाज के लिए केंद्र का आवंटन पर्याप्त नहींः आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट  ने केंद्र से जवाब मांगा

    यह देखते हुए कि केंद्र द्वारा राज्य को आवंटित लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी ब्लैक फंगस के मरीजों इलाज के लिए पर्याप्त नहीं है, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को रोगियों की संख्या के आधार पर विभिन्न राज्यों को किए जाने वाले आवंटन के संबंध में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

    न्यायमूर्ति के विजयलक्ष्मी और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने राज्य सरकार से म्यूकाॅरमायकोसिस या ब्लैक फंगस के कारण, प्रभाव और इससे निपटने के लिए किए जाने वाले निवारक उपायों पर प्रकाश डालते हुए जागरूकता अभियान शुरू करने का अनुरोध किया है।

    पीठ ने निर्देश दिया है कि,''हम इस तथ्य से अवगत हैं कि ब्लैक फंगस के इलाज के लिए प्रयोग होने वाली इस दवा की भारी कमी है और भारत संघ आवश्यकता को पूरा करने के लिए इसे खरीदने के लिए सभी प्रयास कर रहा है। केंद्र सरकार द्वारा दायर ज्ञापन में यह स्पष्ट नहीं है कि रोगियों की संख्या के आधार पर विभिन्न राज्यों को इस दवा का आवंटन कैसे किया जा रहा है। इसलिए भारत संघ को सुनवाई की अगली तारीख तक इस संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।''

    एएसजी एन हरिनाथ ने केंद्र की ओर से एक ज्ञापन दायर किया था जिसमें कहा गया था कि कई राज्य उक्त दवा की अधिक मात्रा के आवंटन के लिए अनुरोध कर रहे हैं और इसे देखते हुए, केंद्र द्वारा आवंटन किया गया है। यह भी कहा गया कि 31 मई तक आंध्र प्रदेश राज्य को लगभग 13830 इंजेक्शन आवंटित किए गए हैं। आगे कहा गया कि 5 जून को भी राज्य को अतिरिक्त 7770 शीशियां आवंटित की गई हैं। जिसके बाद कोर्ट ने यह निर्देश जारी किए हैं।

    कोर्ट ने शुरुआत में कहा कि,''भारत संघ द्वारा इस राज्य को जो दवा आवंटित की गई है वह ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज के लिए पर्याप्त नहीं है।''

    इसके अलावा, न्यायालय ने नए ब्लक फंगस रोग के संबंध में निम्नलिखित प्रश्नों पर ध्यान दिया, जो सभी को परेशान कर रहे हैंः

    1) क्या म्यूकाॅरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) से पीड़ित रोगी को उक्त दवा की दो शीशियां दैनिक आधार पर लगाना चिकित्सकीय रूप से विवेकपूर्ण है, यदि सलाह दी गई खुराक प्रति दिन छह शीशी यानी 300 एमजी प्रति दिन है?

    2) यदि किसी रोगी को उक्त दवा की कमी के कारण प्रतिदिन केवल दो शीशियां आवंटित की जाती हैं, तो वह कौन-सी अन्य दवाएं हैं जो उसे इस रोग को ठीक करने के लिए साथ में दी जा सकती हैं?

    3) यदि रोगी को पूरी आवश्यक खुराक नहीं दी जाती है, तो क्या वह रोग के प्रोग्रेस के एक्स्पोज्ड में है?

    4) क्या यह चिकित्सकीय रूप से विवेकपूर्ण होगा कि उन रोगियों की पहचान की जाए जिन्हें पूरी खुराक दी जानी चाहिए, भले ही वह उक्त दवा को किसी अन्य रोगी को देने से इनकार करने की कीमत पर हो, जिसे इसकी आवश्यकता हो, यदि हां, तो रोगियों के चिकित्सा वर्गीकरण/प्राथमिकता का क्या आधार होना चाहिए?

    सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी ने बताया कि काले, सफेद और पीले फंगस के अलावा कोविड से और भी कई बीमारियां व दुष्प्रभाव हो रहे हैं। यह भी कहा गया था कि ऐसी ही एक बीमारी बच्चों में ''मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम'' है, जिसे नवजात शिशुओं में 'एमआईएस-एन' भी कहा जाता है, जो हृदय, फेफड़े और गुर्दे की क्षति का कारण बन रहा है।

    पीठ ने निर्देश दिया है कि,''उसी के मद्देनजर, यह न्यायालय राज्य सरकार से अनुरोध करता है कि वह बच्चों की उक्त बीमारी को 'अरोग्य श्री योजना' में शामिल करने पर विचार करे। राज्य सरकार स्थिति को संभालने के लिए और अधिक नवजात और बाल चिकित्सा वार्ड बनाने पर भी विचार कर सकती है। हम यह भी अनुरोध करते हैं कि राज्य सरकार म्यूकाॅरमायकोसिस या ब्लैक फंगस के कारण, प्रभाव और इससे निपटने के लिए किए जाने वाले निवारक उपायों पर प्रकाश डालते हुए आम जनता में जागरूकता फैलाने के एक अभियान शुरू करे।''

    इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी कहा कि जैसा कि महामारी के कुछ और समय तक चलने की संभावना है, राज्य को स्थिति को संभालने के लिए आवश्यक मैन-पावर भर्ती करनी चाहिए। इसे देखते हुए कोर्ट ने राज्य को पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती के संबंध में उसके द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में एक ज्ञापन दाखिल करने का निर्देश दिया है।

    कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि,''एमबीबीएस और नर्सिंग पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष के छात्रों के अलावा, कई और छात्र होंगे जिन्होंने एमबीबीएस, नर्सिंग और पैरा मेडिकल पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है और जो पीजी परीक्षा देने या उचित सरकारी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। राज्य सरकार इस श्रेणी के छात्रों की सेवाओं का उपयोग कोविड आईसीयू में मानद आधार पर कर सकती है। साथ ही उन्हें यह आश्वासन दिया जाए कि सरकार नियमित भर्ती के समय ऐसी सेवा देने वाले उम्मीदवारों को वरीयता देगी।"

    उपरोक्त प्रस्तुतियाँ और निर्देशों के मद्देनजर, न्यायालय ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 10 जून को पोस्ट किया है।

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story