सेलिब्रेटिंग द लाइफ: जस्टिस मोहन शांतनगौदार की याद में 21 मई को कार्यक्रम

Sharafat

18 May 2022 4:11 PM GMT

  • सेलिब्रेटिंग द लाइफ: जस्टिस मोहन शांतनगौदार की याद में 21 मई को कार्यक्रम

    कर्नाटक हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन की धारवाड़ बेंच सुप्रीम कोर्ट के दिवंगत जज जस्टिस मोहन शांतनगौदर की याद में शनिवार, 21 मई को सुबह 10:30 बजे एक कार्यक्रम 'सेलिब्रेटिंग द लाइफ' का आयोजन कर रही है।

    यह कार्यक्रम कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ के किसान ज्ञान केंद्र सभागार में आयोजित किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस विनीत सरन इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे।

    कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि इस प्रकार हैं :

    1) जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट

    2) जस्टिस बीआर गवई, न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट

    3) जस्टिस ए एस बोपन्ना, न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट

    4) जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, पूर्व न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट

    5) जस्टिस रवि मलीमथ, मुख्य न्यायाधीश, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रितु राज अवस्थी इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।

    जस्टिस शांतनगौदर का पिछले साल 24 अप्रैल को लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया था। उन्हें 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था और उनका कार्यकाल 5 मई, 2023 तक था। सुप्रीम कोर्ट में उनकी पदोन्नति से पहले जस्टिस शांतनगौदर केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे।

    उन्होंने 05.09.1980 को एक वकील के रूप में नामांकन किया। उन्होंने बेंगलुरु में अपनी लॉ प्रैक्टिस स्थानांतरित करने से पहले आईजी हिरेगौदर, के चैंबर में धारवाड़ में एक वर्ष तक प्रैक्टिस की।

    वह श्री शिवराज वी. पाटिल, एडवोकेट (जैसा कि वे तब थे) के चैंबर में शामिल हुए, जिनकी बाद में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति हुई। उन्होंने वर्ष 1984 में अपनी खुद की प्रैक्टिस शुरू की।

    उन्होंने मुख्य रूप से दीवानी, आपराधिक और संवैधानिक मामलों में प्रैक्टिस की। उन्होंने 1991 से 1993 तक कर्नाटक राज्य बार काउंसिल के वाइस प्रेसिडेंट और 1995 और 1996 के दौरान कर्नाटक राज्य बार काउंसिल के प्रेसिडेंट के रूप में कार्य किया। 1999 से 2002 तक कर्नाटक राज्य के राज्य लोक अभियोजक के रूप में कार्य किया।

    उन्हें 12.05.2003 को कर्नाटक हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और 24.09.2004 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। स्थानांतरण होने पर उन्होंने केरल हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

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