"निर्णायक रूप से खत्म हो चुके मामले को सत्ता के दुरुपयोग के लिए दोबारा खोला गया": बॉम्‍बे हाईकोर्ट में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में अर्नब गोस्वामी ने कहा

LiveLaw News Network

5 Nov 2020 9:26 AM GMT

  • निर्णायक रूप से खत्म हो चुके मामले को सत्ता के दुरुपयोग के लिए दोबारा खोला गया: बॉम्‍बे हाईकोर्ट में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में अर्नब गोस्वामी ने कहा

    रिपब्लिक टीवी प्रमुख अर्नब गोस्वामी ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने मुंबई पुलिस द्वारा बुधवार को हुई अपनी 'अवैध गिरफ्तारी' और 'गलत तरीके से हिरासत' को चुनौती दी है। अर्नब गोस्वामी को इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में अलीबाग पुलिस स्टेशन, रायगढ़ में दर्ज एक एफआईआर के तहत गिरफ्तार किया गया है।

    गोस्वामी को रायगढ़ पुलिस ने कल सुबह उनके आवास से गिरफ्तार किया। यह आरोप लगाया गया है कि अन्वय नाइक ने आत्महत्या से पहले अंग्रेजी में एक सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें लिखा गया था कि उन्होंने और उनकी मां ने कॉनकॉर्ड डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड (सीडीपीएल) के बकाया का भुगतान नहीं होने के कारण आत्महत्या करने का फैसला किया है, जिसके वे दोनों निदेशक थे। उन्होंने उक्त नोट में निर्दिष्ट किया था कि रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी, आईकास्टएक्‍स के फ़िरोज़ शेख और स्मार्टवर्क के नीतीश सारडा ने उनका बकाया नहीं चुकाया।

    गोस्वामी के खिलाफ शिकायत के अनुसार, सीडीपीएल ने रिपब्लिक टीवी के लिए इंटीरियर ड‌िजाइन का काम किया था, और 83 लाख रुपए की राशि गोस्वामी और एआरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड (रिपब्लिक टीवी की पितृ कंपनी) पर बकाया थी।

    हालांकि, अपनी याचिका में, गोस्वामी ने दलील दी है कि मृतक की कंपनी की 90% से अधिक राशि अनुबंध की शर्तों के अनुसार बकाया ‌थी। इसके अलावा, याचिका में अर्नब गोस्वामी ने कहा है कि उनकी गिरफ्तारी महाराष्ट्र में सत्ता में बैठे लोगों द्वारा की गई बदले और प्रतिशोध की कार्रवाई है।

    याचिका में कहा गया है, "यह शर्मनाक है कि जब एक मामला निर्णायक रूप से बंद किया जा चुका था, फिर उसे सत्ता के दुरुपयोग मात्र के लिए खोला गया है। मनगढ़ंत तथ्य और उसे बलपूर्वक गिरफ्तार करना, प्रथम‌दृष्‍टया उसकी न्यूज़ कवरेज, जिसमें महाराष्ट्र के सत्ताधारियों पर सवाल उठाया गया है, के खिलाफ प्रतिशोध का कृत्य हैं। याचिकाकर्ता पर प्रतिवादी संख्या 2 ने हमला किया है, और एक प्रेरित, झूठे और बंद हो चुके मामले में गलत और अवैध रूप से उसे गिरफ्तार किया गया है। यह याचिकाकर्ता और उसके चैनल के खिलाफ प्रतिशोध राजनीति बदले की भावाना से कार्यवाई करने का एक और प्रयास है।"

    अर्नब ने दलील दी कि मृतक की पत्नी अक्षत नाइक ने सीडीपीएल के देनदारों को पैसा जारी करने के लिए एआरजी के अधिकारियों से संपर्क किया था क्योंकि कंपनी भारी कर्ज में थी।

    याचिका में कहा गया है- "सीडीपीएल को शेष भुगतान कर, सभी दावों की पूर्ण अदायगी के लिए एआरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने कई प्रयास किए थे। हालांकि, सीडीपीएल में किसी भी शेयरधारक या निदेशक की अनुपस्थिति के कारण शेष भुगतान करने के प्रयास विफल रहे।

    एआरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पूर्ण और अंतिम अदायगी सुनिश्चित करने की इच्छा के बावजूद और सीडीपीएल, श्रीमती अक्षता नाइक, और सुश्री अदन्या नाइक से संपर्क करने के लिए कई बैठकों, ईमेल, पत्र और व्हाट्सएप संदेशों के बावजूद कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त हुई। वास्तव में, पूरा बकाया जुलाई 2019 में सीडीपीएल के बैंक खाते में डाल दिया गया था, लेकिन खाता निष्क्रिय होने कारण पैसा वापस लौट आया।"

    आत्महत्या को 'दुर्भाग्यपूर्ण घटना' बताते हुए, गोस्वामी ने आरोप लगाया है कि आत्महत्या के अगले दिन यानी 6 मई, 2018 को, अलीबाग पुलिस स्टेशन के कुछ अधिकारियों ने एआरजी के कार्यालय में उनसे मुलाकात की थी और घटना के बारे में जानकारी दी थी। उन्हें सूचित किया गया था कि इस मामले के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और मृतक एक नोट छोड़ गया है, जिसमें कहा गया है कि मृतक सीडीपीएल के बकाया का भुगतान न होने के कारण आत्महत्या कर रहा था। याचिकाकर्ता को यह भी बताया गया कि मृतक द्वारा छोड़े गए नोट में उसका नाम था।

    जैसा कि नोट में याचिकाकर्ता का नाम शामिल था, पुलिस ने उससे एआरजी और सीडीपीएल के बीच लेनदेन के संबंध में पूछताछ की थी। याचिकाकर्ता ने पुलिस अधिकारियों को सभी आवश्यक और उपलब्ध विवरण प्रदान करने का दावा किया और जांच में पूर्ण सहयोग का आश्वासन भी दिया।

    दिसंबर 2016 में, एआरजी ने मुंबई के लोअर परेल में बॉम्बे डाइंग कंपाउंड स्‍थ‌ित अपने न्यूज स्टूडियो के सिविल और इंटीरियर डिजाइन के काम का अनुबंध कॉनकॉर्ड को दिया था। वर्क ऑर्डर के तहत कार्यों के निष्पादन के दौरान कई मुद्दे सामने आए। कॉनकॉर्ड कई मौकों पर काम पूरा करने के लिए निर्धारित तारीखों पर काम पूरा करने में असमर्थ रहा। इसके अतिरिक्त, एआरजी ने काम में में कई दोष भी पाए थे। उदाहरण के रूप में, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि 29 अप्रैल, 2017 को एक इलेक्ट्रिकल सर्किट (जो कॉनकॉर्ड काम के दायरे में था और उनकी जिम्मेदारी थी) के बहुत ज्यादा गर्म होने के कारण एक बड़ा इलेक्ट्रिकल फैल्योर हुआ। 27 दिसंबर, 2017 को एक और MCB फॉल्ट हुआ।

    "कॉनकॉर्ड के सभी वैध बकाया और देय का भुगतान वर्क ऑर्डर के संदर्भ में एआरजी ने किया था। हालांकि, वर्क ऑर्डर्स के दोष और अन्य उल्लंघनों के कारण, पिछली तीन किश्तों को, (जैसा कि 28 अगस्त 2017 के एआरजी के ईमेल में निर्धारित है) वर्क ऑर्डर्स पर पार्टियों के बीच सहमति से तय हुए शर्तों के अनुसार 10 दोषों के सुधार तक रोक लिया गया था।"

    सीडीपीएल का 88 लाख रुपए बकाया होने के दावे का खंडन करते हुए, अर्नब ने कहा है कि केवल 39 लाख रुपए बकाया हैं और मृतक की पत्नी अनन्या नाइक के साथ कई बैठकें की गई हैं।

    गोस्वामी ने महाराष्ट्र विधानसभा में उन चर्चाओं का भी उल्लेख किया है, जो‌ 16 सितंबर को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने कारण हुई थीं।

    "2018 की प्राथमिकी संख्या 59 के संबंध में याचिकाकर्ता को गलत तरीके से फंसाने और मामले को फिर से खोलने के पीछे राजनीतिक मशीनरी की हताशा उक्त चर्चाओं में स्पष्ट है। बहस में, श्री सुनील प्रभु और श्री छगन भुजबल ने श्री अनिल देशमुख (सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार में गृह मंत्री) से यह समझाने का अनुरोध किया है कि "मि अन्वय नाइक", (मृतक) जिसने जाहिरा तौर पर आत्महत्या की थी, के मामले में क्या किया गया था। गृहमंत्री ने अपने जवाब में कथित आत्महत्या में याचिकाकर्ता को फंसाया था और कहा था कि उक्त आत्महत्या इसलिए की गई क्योंकि याचिकाकर्ता ने अपने स्टूडियो की आंतरिक सजावट का अपना बकाया नहीं चुकाया। मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया था कि मामले की पूरी जांच की जाएगी। "

    यह इस तथ्य के बावजूद था कि पूरी जांच के बाद मामले को बंद कर दिया गया था और इस संबंध में 16 अप्रैल, 2019 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, रायगढ़, अलीबाग द्वारा आदेश पारित किया गया था।

    याचिका में अर्नब ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के साथ ही तत्काल रिहाई की मांग की है।

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