'अपनी जान जोखिम में नहीं डाल सकती': कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा, सरकारी शिक्षक मेडिकल कंडिशन के आधार पर नजदीकी स्कूल में ट्रांसफर की मांग कर सकती है
LiveLaw News Network
30 April 2022 1:32 PM IST
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को एक मेडिकल बोर्ड की तरफ से दायर रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए एक सरकारी स्कूल की शिक्षका को अपने आवास के नजदीक एक स्कूल में ट्रांसफर की मांग करने की अनुमति दे दी है क्योंकि मेडिकल बोर्ड ने उसे उसकी मेडिकल कंडिशन के कारण लंबी यात्रा से बचने की सलाह दी है।
यह मानते हुए कि स्कूल शिक्षक को अपनी जान जोखिम में डालने के लिए नहीं कहा जा सकता है, जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा,
''..यह देखा गया है कि एक महिला शिक्षक को एक सरकारी अस्पताल के मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों ने लंबी यात्रा न करने की विशिष्ट सलाह दी है,ऐसे में इस शिक्षिका को उस स्कूल में उपस्थित होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है जो 142 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जिसे स्कूल आने-जाने के लिए 284 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। अगर याचिकाकर्ता स्कूल के पास रहने की व्यवस्था कर भी लेती है तो भी यह नहीं कहा जा सकता है कि वह स्कूल क्षेत्र में लिए गए किराए के मकान से अपने ससुराल या अपने पिता के घर कभी नहीं आएगी। वहीं अगर वह मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों की सलाह के नहीं मानती है तो इसका मतलब उसकी जान जोखिम में डालना है।''
संबंधित स्कूल की शिक्षिका ने इस आधार पर ट्रांसफर की मांग करते हुए तत्काल याचिका दायर की है कि वह 2015 से अपनी मेडिकल कंडिशन के कारण अपने स्कूल आने-जाने में कठिनाइयों का सामना कर रही है। उसने यह भी बताया कि उसके निवास से स्कूल की दूरी 142 किलोमीटर है।
कोर्ट ने कहा कि एक उम्मीदवार ट्रांसफर के लिए आवेदन कर सकता है यदि ऐसी दूरी 25 किलोमीटर से अधिक है और तदनुसार इस बात को ध्यान में रखा गया है कि तत्काल मामले में याचिकाकर्ता को 142 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है, जिसका अर्थ है कि उसे स्कूल आने-जाने के लिए 284 किलोमीटर की यात्रा करनी होती है। आगे यह भी नोट किया गया कि संबंधित मेडिकल बोर्ड ने अगस्त, 2021 में याचिकाकर्ता की जांच की थी और स्पष्ट रूप से उसे इतनी लंबी यात्रा से बचने की सलाह दी थी।
यह मानते हुए कि 5 साल से कम की उसकी सेवा अवधि उसके ट्रांसफर के रास्ते में बाधा नहीं बन सकती हैै, कोर्ट ने कहा,
''ऐसी स्थिति में जब मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट दिनांक 25.08.2021 में उन्हें यात्रा से बचने की सलाह दी है, तो यह तथ्य मायने नहीं रखता है कि याचिकाकर्ता की सेवा अवधि आज की तारीख में पांच साल से कुछ महीने कम है या नहीं। याचिकाकर्ता का आज तक ट्रांसफर/तबादला नहीं हुआ है और इसलिए मैं उनकी सेवा के वर्तमान कार्यकाल पर विचार कर रहा हूं, यह पांच साल से थोड़ा कम है। हालांकि, जब चिकित्सीय जांच के बाद यात्रा से बचने की सलाह दी गई है वह भी किसी एक चिकित्सक द्वारा नहीं बल्कि एक मेडिकल बोर्ड द्वारा,तो ऐसे में सेवा अवधि ट्रांसफर के रास्ते में नहीं आ सकती है।''
तदनुसार, न्यायालय ने घोषणा की है कि याचिकाकर्ता के लिए उसके निवास के निकट एक स्कूल में तबादला लेने में कोई बाधा नहीं है। स्कूल को भी 29 अप्रैल, 2022 तक याचिकाकर्ता के पक्ष में अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया गया है, जो स्कूल के प्रभारी शिक्षक द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित और मुहरबंद एक फिजिकल कॉपी होनी चाहिए।
कोर्ट ने आगे आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता इस आदेश की एक प्रति के साथ अपने ट्रांसफर के लिए हस्तलिखित या टाइप किया हुआ एक आवेदन 5 मई, 2022 तक स्कूल के जिला निरीक्षक को प्रस्तुत करें और स्कूल के जिला निरीक्षक 12 मई 2022 तक इसे स्कूल सेवा आयोग को अग्रेषित करें।
याचिकाकर्ता को अपने आवास के पास के अन्य स्कूलों में रिक्तियों का चयन करने की भी अनुमति दी गई है, जिसमें उन स्कूलों की रिक्तियां (अगर वह अभी भी खाली हैं) भी शामिल हैं, जिन्हें उसने पहले चुना था, क्योंकि उसने 11 सितंबर, 2021 (लगभग सात महीने पहले)को ट्रांसफर के लिए आवेदन दायर किया था।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,'
'आयोग को 26 मई, 2022 तक ट्रांसफर के लिए सिफारिश पत्र जारी करने का निर्देश दिया जाता है और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष 9 जून, 2022 तक याचिकाकर्ता द्वारा चयनित और आयोग द्वारा अनुशंसित स्कूल के लिए नियुक्ति पत्र जारी कर दें। स्कूल प्राधिकरण, जहां याचिकाकर्ता ज्वाइन करने जाएगी, याचिकाकर्ता को बिना किसी बाधा के स्कूल ज्वाइन करने अनुमति दें।''
संबंधित स्कूल को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह सूचना मिलने की तारीख से दो महीने की अवधि में याचिकाकर्ता के भविष्य निधि खाते में जमा राशि को उस स्कूल में स्थानांतरित कर दें जहां याचिकाकर्ता ज्वाइन करेगी। याचिकाकर्ता को 28 अप्रैल 2022 यानी गुरुवार दोपहर 12 बजे तक इस आदेश की सूचना स्कूल को देने का निर्देश दिया गया है।
केस का शीर्षक- स्निग्धा दत्ता (बसु) बनाम पश्चिम बंगाल राज्य व अन्य
साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (सीएएल) 148
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