निकाहनामा है तो अंतर धार्मिक जोड़े पर विशेष विवाह अधिनयम के तहत पंजीकरण के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला
LiveLaw News Network
13 Aug 2019 11:22 AM IST
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जोड़े को दिशानिर्देश जारी किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतरधार्मिक शादी करने वाले जोड़े को विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी को पंजीकृत कराने का निर्देश जारी किया था, जबकि इस जोड़े ने पहले ही निकाहनामा हासिल कर लिया था।
एक जोड़े ने पुलिस सुरक्षा के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्ज़ी दी। हाईकोर्ट ने यह जानने के बाद कि लड़की इस्लाम धर्म क़बूल करने से पहले और उस लड़के से शादी करने से पूर्व हिंदू थी, इस जोड़े को अपनी शादी को विशेष विवाह अधिनियम के तहत रजिस्ट्रार के समक्ष पंजीकृत कराने का निर्देश दिया। इसके बाद अदालत ने पुलिस को कहा कि जब वे शादी के पंजीकरण का प्रमाणपत्र दिखाएं तो वे यह सुनिश्चित करें कि उनके शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में कोई ख़लल नहीं पड़े।
इस जोड़े ने हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दी और कहा कि उन्होंने पहले ही निकाहनामा हासिल कर लिया है और अब वे अपनी शादी को विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत नहीं कराना चाहते।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एमएम शांतनागौदर और संजीव खन्ना ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर ऐसा है तो अदालत उन्हें अपनी शादी को पंजीकृत करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश को संशोधित कर दिया।