'प्रत्यय 'पे(Pe)' पर विशिष्टता का दावा नहीं कर सकते': दिल्ली हाईकोर्ट ने BharatPe के खिलाफ PhonePe को अंतरिम राहत देने से इनकार किया

LiveLaw News Network

27 April 2021 10:57 AM GMT

  • प्रत्यय पे(Pe) पर विशिष्टता का दावा नहीं कर सकते: दिल्ली हाईकोर्ट ने BharatPe के खिलाफ PhonePe को अंतरिम राहत देने से इनकार किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में फोनपे (PhonePe) को अंतरिम निषेधाज्ञा (Interim Injunction) देने से इनकार किया। दरअसल, फोनपे (PhonePe) ने अपने आवेदन में भारतपे (BharatPe) द्वारा समान प्रत्यय ' (Pe)' का उपयोग करने के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की थी।

    न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एकल न्यायाधीश पीठ ने उक्त अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया फोनपे प्रत्यय 'पे(Pe)' पर विशिष्टता का दावा नहीं कर सकता क्योंकि किसी पंजीकृत ट्रेडमार्क के किसी एक भाग के आधार पर किसी भी उल्लंघन का दावा नहीं किया जा सकता है।

    कोर्ट का यह अवलोकन तब आया है जब फोनपे (PhonePe) ने अपने याचिका में भारतपे (BharatPe) द्वारा समान प्रत्यय ' (Pe)' का उपयोग करने के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की थी। फोनपे ने आरोप लगाया कि भारतपे उसके 'Pe' का उपयोद करके पंजीकृत ट्रेडमार्क का उल्लंघन कर रहा है और इसी के आधार पर सेवाएं दे रहा है। यह भी आरोप लगाया गया कि 'पे' या 'फोनपे' के अपने ट्रेडमार्क के समान किसी अन्य भ्रामक संस्करण का उपयोग करना ऑनलाइन भुगतान सेवाओं की राशि के संबंध में ट्रेडमार्क का उल्लंघन है।

    वरिष्ठ वकील जयंत मेहता फोनपे प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पेश हुए जबकि बचाव पक्ष की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव पचनंदा पेश हुए।

    फोनपे (PhonePe) की प्रस्तुतियां

    यह फोनपे (PhonePe) का मामला है कि अंग्रेजी और देवनागरी दोनों में उक्त ट्रेडमार्क और इसकी विविधताओं को 2015 के बाद से गढ़ा और अपनाया गया और तभी से वादी द्वारा नियमित रूप से उपयोग किया जाता रहा है। इसके अलावा यह तर्क दिया गया कि 'पे (Pe)' वादी के पंजीकृत ट्रेडमार्क की एक अनिवार्य, प्रमुख और विशिष्ट विशेषता है और अंग्रेजी शब्दकोश में नहीं पाया जाने वाला एक आविष्कार शब्द है।

    इसके अलावा यह भी प्रस्तुत किया गया कि भारतपे (BharatPe) के निशान को औसत बुद्धिमत्ता और अपूर्ण पुनरावृत्ति से देखने पर कोई भी उपभोक्ता उसके प्रत्यय 'पे(Pe)' को नोटिस करेगा।

    फोनपे (PhonePe) ने यह भी प्रस्तुत किया कि भारतपे (BharatPe) द्वारा 'पे(Pe)' को बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं दिया गया और प्रतिवादियों ने फोनपे (PhonePe) की सभी विशिष्ट और आवश्यक विशेषताओं की नकल की है। इससे जनता के बीच दोनों को लेकर भ्रम पैदा हुआ है।

    भारतपे (BharatPe) की प्रस्तुतियां

    दूसरी ओर यह प्रतिवादियों का मामला है कि फोनपे (PhonePe) पंजीकृत प्रोप्राइटर या 'पे(Pe)' का अनुमति प्राप्त उपयोगकर्ता नहीं है क्योंकि फोनप ने पूरे शब्द फोनपे(PhonePe) का पंजीकरण प्राप्त किया है और न कि केवल 'पे(Pe)' का। इसे देखते हुए यह भी प्रस्तुत किया गया कि BharatPe व्यापारियों के लिए सिंगल क्यूआर कोड बनाने के लिए आविष्कार किया गया जिससे भुगतान करने में सुविधा हो और इसकी मदद से सभी उपभोक्ता UPI आधारित एप्लीकेशन जैसे गूगलपे, पेटीएम, व्हाट्सएपपे, अमेजनपे, सैमसंगपे और फोनपे द्वारा भुगतान कर सकते हैं।

    भ्रमित करने और एक समान ट्रेडमार्क का उपयोग करने के आरोप में यह तर्क दिया गया कि प्रतिस्पर्धा वाले ट्रेडमार्क को नष्ट नहीं किया जा सकता है और इसकी समग्र रूप से तुलना की जानी चाहिए और यह केवल प्रयत्य 'पे(Pe)' के आधार पर PhonePe के ट्रेडमार्क के उल्लंघन के आरोप को अनुमित नहीं देता है।

    कोर्ट की टिप्पणियां

    कोर्ट ने ट्रेडमार्क अधिनियम और इस विषय पर न्यायिक अधिकारियों के प्रासंगिक प्रावधानों का विश्लेषण करते हुए कहा कि,

    "विशिष्टता का दावा और उल्लंघन का कथित रूप से आरोप तभी लगाया जा सकता है जब यह आरोप वादी के पूरे चिह्न के संबंध में हो और केवल किसी भाग को लेकर उल्लंधन का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। पूरे मार्क पर पंजीकरण धारक के अधिकार के आधार इस तरह के पंजीकृत मार्क के किसी भी हिस्सा पर विशेष अधिकार प्रदान नहीं करता है।"

    न्यायालय ने यह भी नोट किया कि कानूनी के अनुसार किसी वर्णनात्मक मार्क या किसी वर्णनात्मक मार्क के भाग या गलत वर्तनी के आधार पर विशिष्टता का दावा नहीं कर सकता है।

    कोर्ट ने मामले के वर्तमान तथ्यों पर उक्त कानून को लागू करते हुए प्रथम दृष्टया पाया कि PhonePe और BharatPe दोनों समग्र चिह्न हैं और वादी के मामले में इस मार्क को यानी फोन(Phone) और पे(Pe) में विच्छेदित नहीं किया जा सकता है। इसी तरह प्रतिवादियों के मामले में भी BharatPe को भारत(Bharat) और पे(Pe) में विच्छेदित नहीं किया जा सकता है।

    कोर्ट ने इसे देखते हुए कहा कि PhonePe केवल पे(Pe) प्रत्यय पर विशिष्टता का दावा नहीं कर सकता है क्योंकि किसी पंजीकृत ट्रेडमार्क के किसी एक भाग के आधार पर किसी भी उल्लंघन का दावा नहीं किया जा सकता है।

    कोर्ट ने कहा कि,

    "वादी ने pay के बजाय प्रत्यय Pe का उपयोग किया अर्थात इसका पंजीकृत ट्रेडमार्क PhonePay है तो वादी स्पष्ट रूप से प्रत्यय pay के ऊपर किसी भी विशिष्टता का दावा करने में सक्षम नहीं है। प्रतिवादियों के खिलाफ उल्लंघन के लिए एक मामला ही नहीं बन सकतता क्योंकि उनका ट्रेडमार्क BharatPay है। Pay जगह Pe की गलत वर्तनी से लिखने से कानूनी स्थिति नहीं बदल सकती है। वादी, इसलिए प्रत्यय Pe पर विशिष्टता का दावा करने का हकदार होगा जैसा कि कहा गया है कि इसके ट्रेडमार्क में प्रत्यय Pay है।"

    कोर्ट ने यह देखते हुए कि PhonePe और BharatPe द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की प्रकृति भिन्न है कहा कि ऐसे उपभोक्ता जो इस तरह के एप्लीकेशन का उपयोग करते हैं उनसे प्रथम दृष्टया अंतर जानने की उम्मीद की जा सकती है।

    कोर्ट ने अंतरिम निषेधाज्ञा के आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि,

    "इसलिए प्रतिवादी के खिलाफ अंतरिम निषेधाज्ञा देने का कोई मामला नहीं है। उपरोक्त जांच परिणाम के मद्देनजर विशेष रूप से प्रथम दृष्टया वादी और प्रतिवादियों द्वारा और प्रस्तुतियां करने की आवश्यकता नहीं है।"

    कोर्ट ने निर्देश दिया कि,

    "हालांकि प्रतिवादियों को इस संबंध में इस न्यायालय के समक्ष BharatPe के मार्क के उपयोग के परिणामस्वरूप अर्जित की गई राशि के खातों को बनाए रखने और छह मासिक के ऑडिट रिपोर्ट के साथ बयान दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है।"

    केस का शीर्षक: फोनपे (PhonePe) प्राइवेट लिमिटेड बनाम ईजेडवाय (EZY) सर्विसेज और अन्य

    जजमेंट की कॉपी यहां पढ़ें:



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