किसी भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में आरक्षित श्रेणियों से संबंधित उम्मीदवार दिल्ली अधीनस्थ सेवाओं में आरक्षण के हकदार हैं: दिल्ली हाईकोर्ट

Shahadat

7 Nov 2022 7:22 AM GMT

  • किसी भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में आरक्षित श्रेणियों से संबंधित उम्मीदवार दिल्ली अधीनस्थ सेवाओं में आरक्षण के हकदार हैं: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रपति के आदेश द्वारा अधिसूचित आरक्षित श्रेणियों के सभी उम्मीदवार दिल्ली अधीनस्थ सेवाओं में आरक्षण लाभ के हकदार होंगे।

    हाईकोर्ट ने कहा,

    "यदि कोई उम्मीदवार अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने में सक्षम है, जो अन्यथा केवल सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया जा सकता है, जहां ऐसा उम्मीदवार सामान्य रूप से निवासी है- उसे अधिूसचना में निर्दिष्ट नियम के अनुसार, आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।"

    जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस अमित महाजन की खंडपीठ अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी से संबंधित उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिकाओं के बैच पर विचार कर रही थी, जो "कोर्ट अटेंडेंट/ रूम अटेंडेंट (ग्रुप-सी)" हाईकोर्ट में लेकिन दिल्ली के सामान्य निवासी होने का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं करने के लिए नियुक्ति के लिए सिफारिश नहीं की गई।

    विचारणीय प्रश्न यह था कि क्या अभ्यर्थी इस आधार पर हाईकोर्ट की स्थापना में आरक्षित श्रेणी के अंतर्गत नियुक्ति के लिए अपात्र हैं कि उनके जाति सर्टिफिकेट दिल्ली से बाहर जारी किए गए।

    अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा भर्ती के लिए अधिसूचना के संदर्भ में सभी नागरिकों से उनके निवास स्थान के लिए बिना किसी योग्यता के आवेदन आमंत्रित किए गए।

    इसने यह भी नोट किया कि यह अदालत की स्थापना का मामला नहीं है कि दूसरे राज्य के एससी और एसटी वर्ग के व्यक्ति आवेदन करने के पात्र नहीं हैं।

    अदालत ने कहा,

    "माना जाता है कि सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के लिए यह स्थापित करने की कोई आवश्यकता नहीं कि वह उक्त नियुक्ति के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए दिल्ली का सामान्य निवासी है। उम्मीदवार के लिए दिल्ली का सामान्य निवासी होने की आवश्यकता केवल उम्मीदवारों के संबंध में बनाई गई है, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अलावा किसी अन्य राज्य के संबंध में अधिसूचित अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित होने के कारण आरक्षण का दावा करते हैं।"

    सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों पर भरोसा करते हुए अदालत ने कहा कि दूसरे राज्य में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित व्यक्ति दूसरे राज्य में आरक्षित श्रेणियों को दिए गए लाभों का हकदार नहीं है, क्योंकि वे उस राज्य के संबंध में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित नहीं होंगे।

    अदालत ने कहा,

    "जहां तक ​​राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के तहत सेवाओं का संबंध है, बीर सिंह बनाम दिल्ली जल बोर्ड और अन्य और दीपक कुमार और अन्य बनाम जिला और सत्र न्यायाधीश, दिल्ली और अन्य के मामले में निर्णय के तहत अखिल भारतीय आरक्षण का नियम लागू होगा। इस प्रकार, किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रपति के आदेश द्वारा अधिसूचित आरक्षित श्रेणियों के सभी उम्मीदवार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में अधीनस्थ सेवाओं में आरक्षण के लाभ के हकदार होंगे।

    दलीलों को स्वीकार करते हुए अदालत ने अपने प्रतिष्ठान को निर्देश दिया कि वे आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए कोटा के तहत विज्ञापित पदों पर याचिकाकर्ता उम्मीदवारों की नियुक्ति पर बिना उनके दिल्ली के निवासी होने पर जोर दिए विचार करें।

    बेंच ने कहा कि यह याचिकाकर्ताओं के अधीन है, अन्यथा योग्यता के क्रम में ऐसी नियुक्ति के लिए अर्हता प्राप्त करते हैं।

    केस टाइटल: आशु और अन्य बनाम रजिस्ट्रार जनरल, दिल्ली हाईकोर्ट और अन्य।

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