यदि लंबे समय से अलग रहना जारी रहता है और एक पक्ष तलाक की याचिका दायर करता है तो मान सकते हैं कि विवाह टूट गया है : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
Sharafat
15 Jun 2022 7:47 PM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में देखा कि एक बार जब पक्षकार अलग हो गए और पर्याप्त समय तक अलग अलग रहना जारी है और उनमें से कोई भी पक्ष तलाक के लिए याचिका प्रस्तुत करता है तो यह अच्छी तरह से माना जा सकता है कि विवाह टूट गया है।
अदालत ने टिप्पणी की, " अव्यवहार्य विवाह के कानून में संरक्षण के परिणाम जो लंबे समय से प्रभावी नहीं रहे हैं, पक्षकारों के लिए अधिक दुख का कारण हैं।"
जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अशोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने फैमेली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पति द्वारा दायर एक अपील की अनुमति दी। फैमेली कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत विवाह विघटन के लिए दायर पति की याचिका खारिज कर दी थी।
संक्षेप में मामला
नवंबर 1990 में पक्षकारों के बीच विवाह हुआ। अपीलकर्ता-पति के अनुसार, प्रतिवादी-पत्नी असाध्य मानसिक बीमारी से पीड़ित थी और हिंसक हो जाती थी और बच्चों को बेरहमी से पीटती थी और यहां तक कि अपीलकर्ता पर हमला करने की हद तक चली जाती थी।
यह अपीलकर्ता/पति का मामला था कि प्रतिवादी का मेडिकल इलाज कराने के लिए उसने भरसक प्रयास किये, जिनका कोई परिणाम नहीं निकला। पत्नी ने बिना वजह पति को छोड़ दिया तो पति ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की।
पत्नी ने इनकार किया कि वह मानसिक बीमारी से पीड़ित है और कभी भी बच्चों या पति पर शारीरिक हमला किया या कभी उन्हें भोजन से वंचित नहीं किया। बल्कि, उसने आरोप लगाया कि उसके पति ने तलाक लेने के लिए उसके खिलाफ झूठे आरोप लगाए और उसने ही उसे वैवाहिक घर छोड़ने के लिए मजबूर किया।
निचली अदालत ने पति की याचिका खारिज कर दी और इसलिए पति ने हाईकोर्ट का रुख किया। इसमें दो प्रयास किए गए ताकि पार्टियां आपस में इस मुद्दे को शामिल कर सकें, हालांकि, इससे कुछ भी उपयोगी नहीं निकला, इसलिए उनके अनुरोध पर मामले को इस न्यायालय में न्यायनिर्णयन के लिए वापस भेज दिया गया।
न्यायालय की टिप्पणियां
मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच विवाह लंबे समय से टूट गया है और उनके एक साथ आने या फिर से एक साथ रहने का कोई मौका नहीं है। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि तलाक की डिक्री नहीं देना पार्टियों के लिए विनाशकारी होगा।
इस संबंध में कोर्ट ने जोर देकर कहा कि एक बार जब पक्षकार अलग हो जाते हैं और अलगाव पर्याप्त समय तक जारी रहता है और उनमें से किसी ने तलाक के लिए याचिका पेश की है तो यह अच्छी तरह से माना जा सकता है कि शादी टूट गई है।
कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में अपीलकर्ता और प्रतिवादी पिछले 23 से अधिक वर्षों से अलग-अलग रह रहे हैं।
कोर्ट ने पति की अपील की अनुमति देते हुए कहा,
" पहले मध्यस्थता की प्रक्रिया के माध्यम से वैवाहिक विवाद को हल करने का प्रयास किया गया, जो व्यक्तिगत विवाद को हल करने में वैकल्पिक तंत्र के प्रभावी तरीकों में से एक है, लेकिन पार्टियों के बीच मध्यस्थता विफल रही।"
अदालत ने इसके साथ जोड़ा,
" हालांकि हम अपीलकर्ता-पति को प्रतिवादी-पत्नी के नाम पर स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में 10 लाख रुपये की एफडी करने का निर्देश देते हैं।"
केस टाइटल - सोम दत्त बनाम बबीता रानी
साइटेशन :
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