कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ अभिषेक बनर्जी के मानहानि के मुकदमे को बर्दवान से कोलकाता ट्रांसफर किया

LiveLaw News Network

3 Dec 2021 9:39 AM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ अभिषेक बनर्जी के मानहानि के मुकदमे को बर्दवान से कोलकाता ट्रांसफर किया

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी द्वारा भाजपा विधायक और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे को बर्दवान कोर्ट से कोलकाता की एक अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया।

    अधिकारी ने सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 24 के तहत एक आवेदन दायर किया था, जिसमें सिविल जज (सीनियर डिवीजन), बर्दवान में प्रथम अतिरिक्त न्यायालय की अदालत में लंबित मुकदमे को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) कोंटाई, पुरबा मेदिनीपुर की अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।

    न्यायमूर्ति सुभाशीष दासगुप्ता ने निर्देश दिया कि मानहानि के मुकदमे की सुनवाई 14 जनवरी से कोलकाता की सिटी सिविल कोर्ट में की जाएगी।

    पीठ ने कहा,

    "ट्रांसफर आवेदन का निपटारा किया जाता है, बर्दवान में सिविल जज (सीनियर डिवीजन), प्रथम अतिरिक्त न्यायालय, को 2021 टाइटल सूट नंबर 52 को कलकत्ता में मुख्य न्यायाधीश, सिटी सिविल कोर्ट, की अदालत में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया जाता है। दोनों पक्षकारों को निर्देश दिया जाता है कि वे 14 जनवरी, 2022 को अदालत के समक्ष अपनी-अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करें।"

    अभिषेक बनर्जी ने पुरबा मेदिनीपुर जिले के खेजुरी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अधिकारी द्वारा की गई कुछ कथित अपमानजनक टिप्पणियों के संबंध में बर्दवान कोर्ट के समक्ष अधिकारी के खिलाफ तत्काल मानहानि का मुकदमा दायर किया था।

    कोर्ट को संबंधित वकीलों द्वारा अवगत कराया गया कि लंबित मुकदमा समन की तामील से संबंधित प्रारंभिक चरण में है और इसलिए ट्रांसफर करने योग्य है।

    इसके अलावा, अधिकारी की ओर से पेश अधिवक्ता अनिरुद्ध चटर्जी ने अदालत के समक्ष एक सुझाव दिया कि दोनों पक्ष आमतौर पर अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण बहुत व्यस्त रहते हैं, इसलिए मामले को बर्दवान से कलकत्ता में स्थानांतरित किया जा सकता है। बनर्जी की ओर से पेश अधिवक्ता अनिर्बान रे ने इसका विरोध नहीं किया।

    कोर्ट ने यह देखने के बाद स्थानांतरण अनुरोध पर सहमति व्यक्त की कि अदालत को इसे स्वीकार करने में परेशानी नहीं है।

    कोर्ट ने कहा कि यह आदेश मामले के मैरिट पर ध्यान दिए बिना और पक्षों के अधिकारों और तर्कों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना पारित किया जाता है।

    केस का शीर्षक: सुवेंदु अधिकारी बनाम अभिषेक बनर्जी

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