कलकत्ता हाईकोर्ट ने आयकर अधिनियम की धारा 194N के तहत 30 सितंबर तक टीडीएस कलेक्शन पर रोक लगाई

LiveLaw News Network

12 July 2021 7:22 AM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट ने आयकर अधिनियम की धारा 194N के तहत 30 सितंबर तक टीडीएस कलेक्शन पर रोक लगाई

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 194N के तहत आयकर विभाग को टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स (टीडीएस) एकत्र करने से रोकने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित किया।

    न्यायमूर्ति मोहम्मद निजामुद्दीन उस प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुना रहे थे। याचिका में वित्त अधिनियम, 2019 जो 1 सितंबर, 2019 से प्रभावी हो गया था, को चुनौती दी गई थी। प्रावधान में 2% की दर से टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स (टीडीएस), अन्य बातों के साथ-साथ एक वित्तीय वर्ष में एक करोड़ रुपये से अधिक की बैंकिंग कंपनी से नकद निकासी अनिवार्य है।

    याचिकाकर्ता ने मौजूदा मामले में इस प्रावधान की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी है कि यह चार्ज संसद की विधायी क्षमता से परे है। संविधान की अनुसूची VII की सूची I की प्रविष्टि 82 संसद को "आय" पर कर लगाने, संग्रह करने और कानून बनाने की अनुमति देती है। नतीजतन, संसद उस राशि से टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स (टीडीएस) करने वाले प्रावधान को कानून नहीं बना सकती है जो स्वीकार्य रूप से 'आय' नहीं है।

    कोर्ट ने कानन देवन हिल्स प्लांटेशन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड बनाम भारत संघ मामले में केरल उच्च न्यायालय के फैसले पर भी भरोसा किया, जिसमें एक मुद्दे पर एक रिट याचिका स्वीकार की गई थी और तदनुसार आयकर अधिनियम की धारा 194एन के तहत टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स (टीडीएस) पर अंतरिम रोक लगाई गई है।

    कोर्ट ने आगे कहा कि,

    "पहले इस पर प्रतिवादियों को यह निर्देश लेने का अवसर दिया गया था कि क्या केरल उच्च न्यायालय के उक्त आदेश को आगे चुनौती दी गई है या नहीं, जिसके लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने निर्देश पर प्रस्तुत किया है कि उक्त के खिलाफ कोई और अपील दायर नहीं की गई है। आदेश और उक्त अंतरिम आदेश अभी भी विद्यमान है।"

    कोर्ट ने प्रतिवादी अधिकारियों पर 30 सितंबर, 2021 तक पूर्वोक्त प्रावधानों के आधार पर टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स (टीडीएस) कलेक्शन पर एक अंतरिम रोक लगाई है।

    कोर्ट द्वारा राज्य को चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया और इसके बाद याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया।

    मामले को आठ सप्ताह बाद अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

    केस का शीर्षक: एपीजे टी लिमिटेड एंड अन्य बनाम भारत संघ एंड अन्य

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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