कलकत्ता हाईकोर्ट ने गंगा सागर मेला 2022 को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

LiveLaw News Network

6 Jan 2022 1:39 PM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट ने गंगा सागर मेला 2022 को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल राज्य में COVID-19 मामलों में ताजा उछाल के बीच इस साल के गंगासागर मेला को रद्द करने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

    हर साल मकर संक्रांति पर लाखों हिंदू भक्त पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के सागर द्वीप में पवित्र स्नान करने और कपिल मुनि मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं। इस वर्ष यह मेला आठ जनवरी से 16 जनवरी, 2022 तक आयोजित होने वाला है।

    चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस केसांग डोमा भूटिया की खंडपीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,

    "हमने अपना मन नहीं बनाया है। हम इसकी जांच करेंगे और हम एक उचित आदेश पारित करेंगे।"

    चीफ जस्टिस ने आगे मौखिक रूप से टिप्पणी की,

    "इसे एक विनियमित तरीके से किया जाना है।"

    उन्होंने आगे महाधिवक्ता से पूछा,

    "क्या आप यह देखने के लिए एक स्वतंत्र निकाय का सुझाव देंगे कि क्या इसे विनियमित किया जा रहा है?"

    इस पर महाधिवक्ता ने जवाब दिया कि राज्य सरकार हर संभव सहयोग प्रदान करेगी।

    कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार द्वारा दायर एक हलफनामे को रिकॉर्ड में लिया। इसमें राज्य सरकार द्वारा मेले में COVID-19 वायरस के प्रसार को रोकने के लिए किए गए उपायों की गणना की गई। महाधिवक्ता ने गुरुवार को अदालत को आगे बताया कि राज्य सरकार ने आवश्यक COVID-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए गंगा सागर मेला को आगे बढ़ाने का फैसला किया है।

    यह याचिका पेशे से डॉक्टर डॉ. अविनंदन मंडल ने दायर की है। उन्होंने तर्क दिया कि संक्रमण और भी फैल सकता है, क्योंकि हर साल सागर द्वीप में लगभग 30 लाख तीर्थयात्री धार्मिक मेले में आते हैं। तदनुसार, उन्होंने इस वर्ष गंगासागर मेला को रोकने के लिए दिशा-निर्देश मांगे, क्योंकि पश्चिम बंगाल राज्य में COVID-19 मामलों की संख्या में तेजी देखी जा रही है।

    बेंच ने सुनवाई के आखिरी दिन राज्य सरकार को छह जनवरी तक अदालत को अपने फैसले से अवगत कराने का निर्देश दिया कि क्या वह मेला को विनियमित तरीके से आयोजित करने की अनुमति देगा या पूर्ण प्रतिबंध लगाएगा।

    बेंच ने कहा,

    "COVID-19 वायरस के प्रसार की गंभीरता को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकार इस वर्ष मेले पर प्रतिबंध लगाने की याचिका पर गंभीरता से विचार करेगी। निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में निर्णय लेगी: (1) इस न्यायालय के पहले के आदेश यह मानते हुए कि धार्मिक प्रथाओं, विश्वासों और आस्था की तुलना में जीवन हर मायने में अधिक महत्वपूर्ण है, (2) नदी के पानी में मौखिक बूंदों और नाक की बूंदों के कारण वायरस के फैलने की संभावना और संक्रमित होने पर पानी के माध्यम से उनका प्रवेश और संचरण होगा, (3) न केवल तीर्थयात्रियों बल्कि संक्रमित तीर्थयात्रियों के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों और मेले में तैनात पुलिस कर्मियों और इस प्रक्रिया में प्रतिनियुक्त स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा की खतरे में होगी, (4) राज्य वायरस की पॉजीटिव दर और इस तथ्य को ध्यान में रखेगा कि पिछले 24 घंटों के भीतर मामलों की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह तथ्य भी है कि बड़ी संख्या में डॉक्टर पहले से ही संक्रमित हैं।"

    राज्य की ओर से प्रस्तुतियां

    महाधिवक्ता एसएन मुखर्जी ने गुरुवार को अदालत को सूचित किया कि राज्य सरकार ने आवश्यक COVID-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए गंगा सागर मेला को आगे बढ़ाने का फैसला किया। उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि पश्चिम बंगाल राज्य में करीब 71.87 प्रतिशत वयस्कों को वैक्सीन की पहली खुराक दी गई है। इसके अलावा, उन्होंने प्रस्तुत किया कि राज्य में लगभग 50 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज दी गई है।

    कोर्ट को आगे बताया गया कि सागर द्वीप के स्थानीय निवासियों का भी डबल वैक्सीनेशन किया गया है। डायमंड हार्बर स्वास्थ्य जिले में पॉजीटिव रेट नियंत्रण में है। एजी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को इस बार मेले के दौरान पांच लाख से अधिक लोगों के आने की उम्मीद नहीं है। यह आगे कहा गया कि 50,000 साधु पहले ही आ चुके हैं और 30,000 लोग पहले ही मेला मैदान का दौरा कर चुके हैं।

    आगे यह प्रस्तुत किया गया कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए 10,000 के करीब पुलिस कर्मियों, 5000 स्वयंसेवकों और चिकित्सा दल के 735 लोगों को तैनात किया गया। इन सभी व्यक्तियों को वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी है।

    पीठ को यह भी अवगत कराया गया कि सामूहिक स्वच्छता के प्रावधान उपलब्ध हैं और मेला मैदान पर एक अस्थायी अस्पताल स्थापित किया गया है। इसके अलावा, यह कहा गया कि बिस्तर की क्षमता इस प्रकार है- आइसोलेशन वार्ड में 125, सुरक्षित घरों में 235, COVID-19 अस्पतालों में 630, संगरोध केंद्रों में 530 और कल्याण केंद्रों में 193 में बेड उपलब्ध हैं।

    एजी ने आगे कहा कि सभी तीर्थयात्रियों को अनिवार्य रूप से स्क्रीनिंग से गुजरना होगा और उन्हें अपना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जमा करना होगा। यह भी कहा गया कि रैंडम एंटीजन टेस्ट और आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने के प्रावधान किए गए हैं। जो लोग टेस्ट में पॉजीटिव पाए जाएंगे उन्हें तुरंत अलग कर दिया जाएगा।

    अदालत को आगे बताया गया कि किसी भी आपात स्थिति में तेजी से बाहर निकलने के लिए भूमि और पानी दोनों के माध्यम से एक ग्रीन कॉरिडोर का सीमांकन किया गया है। एजी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने ई-स्नान और ई-दर्शन की व्यवस्था की है। आगे कहा गया कि COVID-19 प्रोटोकॉल के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए व्यापक अभियान भी चलाए जा रहे हैं।

    चीफ जस्टिस ने इस समय महाधिवक्ता से पूछा,

    "लोगों को मेला में आने से हतोत्साहित करने के लिए क्या उपाय किए गए हैं?"

    जवाब में एजी ने प्रस्तुत किया कि राज्य सरकार अनुष्ठानों के ऑनलाइन प्रसारण और ई-स्ट्रीमिंग को प्रोत्साहित कर रही है।

    एजी ने आगे कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत कर्तव्य अधिक सम्मानजनक हैं और इस प्रकार स्थिति नियंत्रण से बाहर होने की स्थिति में राज्य सरकार गंगा सागर मेला अधिनियम, 1976 के बजाय इस पर निर्भरता रखेगी।

    याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुतियां

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता श्रीजीब चक्रवर्ती ने प्रस्तुत किया कि राज्य सरकार ने बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कोलकाता फिल्म महोत्सव 2022 रद्द कर दिया, क्योंकि चार फिल्म सितारें COVID-19 टेस्ट में पॉजीटिव पाए गए थे। उन्होंने आगे कहा कि फिल्म समारोह में अपेक्षित दर्शकों की संख्या 50,000 थी।

    वकील ने टिप्पणी की,

    "कृपया राज्य सरकार के आचरण को देखें।"

    उन्होंने आगे कहा कि कल यानी पांच जनवरी को राज्य में COVID-19 मामलों की संख्या बढ़कर 1422 हो गई, जो एक दिन में लगभग 5000 अतिरिक्त मामले हैं। उन्होंने आगे कहा कि बुधवार को कोलकाता में COVID-19 मामलों की संख्या 6170 थी और दक्षिण 24 परगना में नए मामलों की संख्या 763 थी।

    वकील ने टिप्पणी की,

    "केवल 25 एम्बुलेंस के साथ वे पांच लाख लोगों की भीड़ का प्रबंधन करेंगे?"

    उन्होंने आगे रेखांकित किया,

    "धर्म व्यक्ति के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है।"

    वकील ने आगे जोर दिया कि राज्य सरकार को गंगा सागर मेला अधिनियम, 1976 की धारा 2 (डी) के प्रावधान के अनुसार सागर द्वीप को 'अधिसूचित क्षेत्र' के रूप में अधिसूचित करना चाहिए।

    तद्नुसार उन्होंने गंगा सागर मेला को तत्काल बंद करने के निर्देश देने की प्रार्थना की।

    पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम की ओर से प्रस्तुतियां

    पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम (हस्तक्षेप करने वाला पक्ष) की ओर से पेश अधिवक्ता अनिरुद्ध चटर्जी ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि वर्तमान मामला 'नीतिगत पक्षाघात का एक पूर्ण मामला' है। उन्होंने आगे कहा कि बड़े पैमाने पर नागरिकों की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है जिसे करने में राज्य विफल रहा है।

    वकील ने आगे अदालत के ध्यान में लाया कि राज्य सरकार अभी भी एक अस्थायी COVID-19 अस्पताल स्थापित करने की 'योजना' बना रही है। ऐसा कोई अस्पताल अभी तक स्थापित नहीं किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि सागर ग्रामीण अस्पताल में केवल 11 डॉक्टरों के साथ 60 अस्पताल के बिस्तर हैं।

    वकील ने आगे कहा,

    "संक्रमण से निपटने के लिए बुनियादी ढांचे के मजबूत होने का कोई सवाल ही नहीं है।"

    उन्होंने कोर्ट को आगे बताया कि कलकत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 250 डॉक्टर COVID-19 से संक्रमित हुए हैं। एनआरएस मेडिकल कॉलेज में 198 डॉक्टर संक्रमित हुए हैं।

    वकील ने आगे कहा,

    "राज्य भारत के नागरिकों के जीवन की रक्षा करने के अपने कर्तव्य में विफल रहा है।"

    केस शीर्षक: डॉ अविनंदन मंडल बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य

    Next Story