कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित स्कूलों में गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति में अनियमितताओं की सीबीआई जांच पर एकल पीठ के आदेश को रद्द किया

LiveLaw News Network

6 Dec 2021 3:47 PM GMT

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    कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को एकल पीठ के एक फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग (WBSSC) की कथित सिफारिश पर पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (WBBSE) के तहत प्रायोजित माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 'ग्रुप-डी' (गैर-शिक्षण कर्मचारी) की नियुक्ति में कथित अनियमितताओं की CBI जांच का आदेश दिया गया था।

    जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने सीबीआई को इस संबंध में 21 दिसंबर तक प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था।

    23 नवंबर को पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन और वेस्ट बंगाल सेंट्रल स्कूल सर्विस कमीशन ने संयुक्त रूप से आक्षेपित आदेश के खिलाफ जस्टिस हरीश टंडन और रवींद्रनाथ सामंत की डिवीजन बेंच के समक्ष अपील की थी, नतीजतन, डिवीजन बेंच ने तीन सप्ताह के लिए आक्षेपित आदेश पर रोक लगा दी थी ।

    सोमवार को डिवीजन बेंच ने आक्षेपित आदेश को रद्द कर दिया और कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया। अन्य सदस्यों में WBSSC के तीन सदस्य, WBBSE का एक सदस्य और हाईकोर्ट की अधिवक्ता अरुणाभा बंदोपाध्याय शामिल हैं।

    कोर्ट ने जांच पैनल को इस संबंध में दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट देने का भी निर्देश दिया। आदेश में जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा कि 'इस सार्वजनिक रोजगार की पूरी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार बहुत बड़ा है, जिसे दृढ़ता से निपटने की आवश्यकता है।

    पृष्ठभूमि

    2016 में राज्य सरकार ने विभिन्न सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लगभग 13,000 गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति की सिफारिश की थी। तदनुसार WBSSC ने समय-समय पर परीक्षाएं और साक्षात्कार आयोजित किए थे और उसके बाद एक पैनल का गठन किया गया था। पैनल का कार्यकाल 2019 में समाप्त हो गया था। हालांकि, बाद में, व्यापक आरोप लगे कि आयोग ने पैनल की समाप्ति के बाद भी लगभग 500 के करीब कई अनियमित भर्तियां की थीं।

    कोर्ट ने 17 नवंबर को आयोग द्वारा दायर एक रिपोर्ट को भी रिकॉर्ड में लिया था, जिसमें आयोग ने स्वीकार किया था कि 'ग्रुप-सी' और 'ग्रुप-डी' के पदों के लिए पैनल और प्रतीक्षा सूची 4 मई, 2019 को समाप्त हो गई थी।

    पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग द्वारा 2 सितंबर, 2019 को प्रकाशित एक अधिसूचना में भी ऐसा ही दावा किया गया था। हालांकि, पैनल की समाप्ति के बावजूद, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा 25 नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे, जिसमें पश्चिमी क्षेत्र, उत्तरी क्षेत्र, दक्षिणी क्षेत्र और पूर्वी क्षेत्र जैसे विभिन्न क्षेत्रों द्वारा जारी की गई सिफारिशों का संदर्भ था। इस संबंध में जस्टिस गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल केंद्रीय सेवा आयोग के सचिव की व्यक्तिगत उपस्थिति की भी मांग की थी।

    इसके अलावा, अदालत ने 23 नवंबर को पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा दायर हलफनामे को भी रिकॉर्ड में लिया था, जिसकी सामग्री को अदालत ने 'वास्तव में आश्चर्यजनक' करार दिया था। बोर्ड ने न्यायालय को अवगत कराया था कि आयोग द्वारा जारी की गई मूल सिफारिशों के पास जिला विद्यालय निरीक्षक मेमो की सिफारिशों पर उल्लेख किया गया है और संपूर्ण डेटा हार्ड कॉपी में प्राप्त किया गया था। जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा था कि इससे पता चलता है कि आयोग की ओर से सिफारिशें आईं, चाहे वह पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग हो या पश्चिम बंगाल क्षेत्रीय स्कूल सेवा आयोग से, और तदनुसार बोर्ड ने नियुक्ति पत्र जारी किए।

    केस शीर्षक: पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और अन्य बनाम संदीप प्रसाद और अन्य

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