'गैरकानूनी गतिविधियों के बारे में जनता को ईमानदारी से बताना प्रेस का कर्त्तव्य, इससे प्रशासन को मिलती है सहायता', कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पत्रकार को अग्रिम जमानत दी

SPARSH UPADHYAY

4 Aug 2020 4:05 PM GMT

  • गैरकानूनी गतिविधियों के बारे में जनता को ईमानदारी से बताना प्रेस का कर्त्तव्य, इससे प्रशासन को मिलती है सहायता, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पत्रकार को अग्रिम जमानत दी

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में एक पत्रकार को अग्रिम जमानत का लाभ देते हुए यह कहा कि एक प्रेस रिपोर्टर से यह अपेक्षा की जाती है कि वह किसी भी गैरकानूनी गतिविधियों के बारे में जनता को ईमानदारी से बताए और उसके जरिये प्रशासन को अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिल सकती है।

    न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी एवं न्यायमूर्ति सौमन सेन की पीठ ने यह टिप्पणी उस मामले में की जहाँ अग्रिम जमानत के आवेदनकर्ता-रिपोर्टर ने ऑनलाइन आधिकारिक पोर्टल पर एक समाचार लेख प्रकाशित किया था, जिसमें यह कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान रेत के कुछ अवैध खनन हुए थे।

    क्या था मामला?

    दरअसल मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता एक रिपोर्टर है, जिसने ऑनलाइन आधिकारिक पोर्टल पर एक समाचार लेख प्रकाशित किया था, जिसमें यह कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान रेत के कुछ अवैध खनन हुए थे, और बीरभूम जिले के कुछ लोग इस तरह के रेत को अजय की नदी से ट्रक से अवैध रूप से परिवहन कर रहे हैं।

    यह आरोप लगाया गया कि जेसीबी मशीनों का उपयोग करने वाले इलाके के कुछ लोग नदी के तल से अवैध रूप से रेत उठा रहे थे और इसे ओवरलोड ट्रकों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में ले जाते थे। इस रिपोर्ट से संभवतः परवेज आलम सिद्दीकी को परेशानी हुई, जो मामले में शिकायतकर्ता हैं।

    अदालत का मत

    अदालत ने मुख्य रूप से इस मामले में यह टिप्पणी की कि

    "एक प्रेस रिपोर्टर से यह अपेक्षा की जाती है कि वह किसी भी गैरकानूनी गतिविधियों के बारे में जनता को ईमानदारी से बताए। वास्तव में, इस तरह की घटनाओं की उचित प्रेस रिपोर्टिंग अपराधियों के खिलाफ उचित उपाय करने में प्रशासन की सहायता करेगी।"

    आगे, अदालत ने इस बात को भी माना कि इस स्तर पर अदालत इस बारे में चिंतित नहीं हैं कि जो प्रकाशित किया गया है, उसमे क्या सच है और क्या झूठ, लेकिन जो रिपोर्ट प्रकाशित हुई है उसे और शिकायत में दोष के स्वभाव को देखते हुए, अदालत को लगा कि याचिकाकर्ता को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की जरूरत नहीं है।

    अदालत ने यह भी कहा कि यह समान रूप से अपेक्षित है कि उक्त समाचार रिपोर्ट में जो कहा गया है, यदि वह सही पाया जाता है, जिसके लिए हमें (अदालत को) लगता है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 41 ए के तहत नोटिस जारी किया जाना चाहिए था, तो शिकायतकर्ता पर मुकदमा चलना चाहिए।

    अदालत ने आगे मुख्यतः इस बात को रेखांकित किया कि,

    "यह हम सभी के लिए अम्फान (Amphan) तूफ़ान और COVID -19 के बाद का वेक-अप कॉल है कि हम माँ धरती का सम्मान करें और पारिस्थितिकी और पर्यावरण की रक्षा करें वरना हमे प्रकृति के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है और जल्द ही हम विलुप्त हो सकते हैं। इस प्रकार अवैध खनन की रोकथाम अनिवार्य है, क्योंकि ऐसे मामले अक्सर देखे जाते हैं।"

    इस प्रकार, अदालत ने यह निर्देश दिया कि पत्रकार-याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी की स्थिति में, गिरफ्तार करने वाले अधिकारी की संतुष्टि के साथ पत्रकार को दो हजार रुपए के निजी मुचलके को प्रस्तुत करने के पश्च्यात जमानत पर रिहा किया जाएगा और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 (2) शर्तों के अधीन किया जायेगा।

    मामले का विवरण:

    केस नं: CRM 4956 of 2020

    केस शीर्षक: अविषेक दत्ता रॉय बनाम राज्य

    कोरम: न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी एवं न्यायमूर्ति सौमन सेन

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए



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