कलकत्ता हाईकोर्ट ने 17 साल को बलात्कार पीड़िता को गर्भपात करवाने की इजाज़त दी
LiveLaw News Network
29 April 2022 10:33 AM IST
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा दायर रिपोर्ट और संबंधित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए एक 17 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को गर्भपात (medical termination of pregnancy) कराने की अनुमति दी।
जस्टिस राजशेखर मंथा ने संबंधित लोक अभियोजक, पश्चिम बंगाल को संबोधित सीडब्ल्यूसी द्वारा दायर की गई रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया, जिसमें यह कहा गया था कि नाबालिग पीड़ित लड़की ने गर्भावस्था का मेडिकल टर्मिनेशन करवाने की इच्छा व्यक्त की थी। बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष नदिया सहित छह अधिकारियों ने भी नाबालिग लड़की की इच्छा की सत्यता की पुष्टि की थी।
न्यायालय ने बाल कल्याण समिति, कृष्णानगर, नदिया के अध्यक्ष को संबोधित 13 अप्रैल, 2022 को अधीक्षक सह प्रबंधक, बालिका गृह, नादिया के कम्यूनिकेशन को भी रिकॉर्ड में लिया।
नाबालिग पीड़िता को गर्भावस्था के मेडिकल टर्मिनेशन की अनुमति देते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया,
" इस मामले में उसकी हेल्थ वेरीफिकेशन के अधीन, योग्य डॉक्टरों की आवश्यक संख्या द्वारा नए सिरे से नाबालिग लड़की को उसकी मां की देखभाल और मार्गदर्शन के तहत गर्भावस्था के मेडिकल टर्मिनेशन की अनुमति दी जाएगी।"
अदालत ने पहले मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMOH), नादिया को पीड़ित लड़की की शारीरिक और मानसिक स्थिति की जांच करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने को कहा और यह भी निर्धारित करने का निर्देश दिया था कि क्या गर्भावस्था जारी रखने से पीड़ित या भ्रूण को किसी भी तरह से नुकसान होगा।
नाबालिग पीड़िता की मां ने वर्तमान रिट याचिका दायर कर अपनी बेटी की गर्भावस्था को इस आधार पर मेडिकल रूप से समाप्त करने की मांग की थी कि उसकी बेटी को जीवन भर बिन ब्याही मां बनने का कलंक नहीं देना चाहिए।
कथित अपराधियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO अधिनियम) के तहत अपहरण और बलात्कार के अपराधों के लिए एक शिकायत दर्ज की गई थी।
बाद में अदालत द्वारा जारी बंदी प्रत्यक्षीकरण (habeas corpus) रिट के अनुसार पीड़ित को बरामद कर लिया गया था।
केस शीर्षक: रूपा दास बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य
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