कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुधार गृह में मौजूद मानसिक रूप से बीमार गैर-अपराधियों/ अपराधियों/ अंडरट्रायल का विवरण मांगा

LiveLaw News Network

19 April 2021 9:32 AM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुधार गृह में मौजूद मानसिक रूप से बीमार गैर-अपराधियों/ अपराधियों/ अंडरट्रायल का विवरण मांगा

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुधार गृह में मौजूद मानसिक रूप से बीमार गैर-अपराधी व्यक्तियों की दुर्दशा से संबंधित मुद्दों पर विचार करते हुए सुधार गृह में मौजूद मानसिक रूप से बीमार गैर-अपराधियों / अपराधियों / अंडरट्रायल का विवरण मांगा है।

    न्यायमूर्ति शम्पा सरकार की खंडपीठ मेंटल हेल्थ और मेंटल हेल्थ केयर और पश्चिम बंगाल और केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार के विभिन्न सुधारक गृह में कस्टडी में रखे गए अपराधियों और अडंरट्रायल मामलों के संदर्भ में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के संबंध में सुनवाई कर रही थी।

    पूरा मामला

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि यह मामला 24 मार्च 2021 को मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक निर्णय में एक रिट याचिका के रूप में दर्ज किया गया था।

    शीला बरसे बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एंड अन्य (1995) 5 SCC 654 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के संदर्भ में मुख्य न्यायाधीश थोट्टाथिल बी. राधाकृष्णन द्वारा जारी प्रशासनिक निर्देशों के आधार पर मामला दर्ज किया गया है।

    सुप्रीम कोर्ट इस मामले में एक पत्र याचिका पर काम कर रहा था जिसमें मानसिक रूप से बीमार महिलाओं और बच्चों को कलकत्ता के प्रेसीडेंसी जेल में रखा गया है।

    मुख्य न्यायाधीश राधाकृष्णन ने देखा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष ऐसा कोई मामला लंबित नहीं है।

    इसके मद्देनजर जस्टिस शम्पा सरकार को तत्काल स्वत: संज्ञान( सू मोटो केस) मामले से निपटने के लिए नामित किया गया।

    मामले में मुख्य रूप से उठने वाले मुद्दे इस प्रकार हैं,

    1. न्यायिक पर्यवेक्षण और उचित अंतराल पर मानसिक रूप से बीमार अपराधी और अंडरट्रायल की निगरानी रखना जो पश्चिम बंगाल राज्य और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के विभिन्न सुधार गृह में बंद हैं।

    2. इस तरह के मानसिक रूप से बीमार अपराधियों और अंडरट्रायल की भलाई और सुधार के लिए उपयुक्त और आवश्यक निर्देश पारित करने की आवश्यकता है।

    16 अप्रैल की कोर्ट की कार्यवाही

    कोर्ट के समक्ष हाईकोर्ट लीगल सर्विस कमेटी / याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने शीला बरसे बनाम भारत संघ 1993 (4) SCC 204 के मामल में पश्चिम बंगाल राज्य में सुधारक गृह में रखे गए मानसिक रूप से बीमार गैर-अपराधियों के मामले में दिए गए निर्णय को रिकॉर्ड पर रखा।

    कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को निर्देश दिया कि वह अदालत को यह बताएं कि क्या केंद्र सरकार ने किसी विशेष योजना या इसमें शामिल मुद्दों पर दिशा-निर्देश दिए हैं।

    कोर्ट ने इसके अलावा यह भी निर्देश दिया कि,

    1. संबंधित सुधारगृहों के अधीक्षक को वर्तमान सुधारगृहों में मौजूद मानसिक रूप से बीमार गैर-अपराधियों और मानसिक रूप से बीमार अपराधियों और अंडरट्रायल की संख्या के संबंध में रिपोर्ट तैयार करके कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करना है।

    2. उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति पश्चिम बंगाल के राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से सहयोग और सहायता लेगी और इस न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट दायर करेगी जिसमें पश्चिम बंगाल में मानसिक रूप से बीमार अपराधियों को संस्थागत उपचार प्रदान करने वाले सरकारी और निजी तौर पर संचालित अस्पतालों की सूची होगी।

    3. अंडमान और निकोबार द्वीप के संबंध में भी इसी तरह की रिपोर्ट दायर की जानी है।

    इस मामले को आगे के विचार के लिए 11 जून, 2021 को पेश करने का निर्देश दिया गया है।

    संबंधित खबर में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार (17 मार्च) को एक नेपाली व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया था जिसे लगभग 41 साल पहले गिरफ्तार किया गया था और तब से वह नजरबंद था।

    मुख्य न्यायाधीश थोथाथिल बी. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध रॉय की पीठ ने आदेश दिया था यह देखते हुए कि मनुष्य के बौद्धिक कामकाज के मामले में वर्तमान मानसिक आयु लगभग 9 वर्ष और 9 महीने है।

    केस टाइटल- मेंटल हेल्थ और मेंटल हेल्थ केयर और पश्चिम बंगाल और केंद्रशासित प्रदेश अंडमान और निकोबार के विभिन्न सुधारक गृह में कस्टडी में रखे गए अपराधियों और अडंरट्रायल मामलों के संदर्भ में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश।

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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