वक़ील ने हाईकोर्ट जज को COVID-19 से ग्रस्त हो जाने का श्राप दिया, वकील के ख़िलाफ़ कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुरू किया मानहानि का मुक़दमा
LiveLaw News Network
25 March 2020 5:24 PM IST
सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने बिजोय अधिकारी नामक उस वक़ील के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि की प्रक्रिया शुरू की जिसने एक जज को कोरोना वायरस से ग्रस्त हो जाने का श्राप दिया था, क्योंकि जज ने उसके मामले की तत्काल सुनवाई की अनुमति नहीं दी थी।
यह वाक़या जस्टिस दीपंकर दत्ता के समक्ष हुआ जो मामले कि सुनवाई कर रहे थे।
आग्रह को सुनने के बाद इस पर आदेश पास करने के बाद जस्टिस दत्ता ने वक़ील के व्यवहार पर कहा,
"अधिकारी ने न केवल न्याय प्रशासन में रुकावट पैदा की और आदेश लिखाए जाने के समय बार-बार हस्तक्षेप करके इसमें व्यवधान पैदा की बल्कि जज की मेज़ पर कई बार माइक्रोफ़ोन पटका।"
बार-बार इस तरह का व्यवहार नहीं करने की चेतावनी दिए जाने के बावजूद इस वक़ील ने जज को भला-बुरा कहा और उसे श्राप दिया कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाएँगे और उनका भविष्य संकट में फँस जाएगा।
इस आदेश में जस्टिस दत्ता ने विस्तार से बताया कि वक़ील ने किस तरह से अदालत में दुर्व्यवहार किया। हालाँकि उसको उसके इस व्यवहार के लिए चेतावनी दी गई और कहा गया कि उसके ख़िलाफ़ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी, वह नहीं रुका, ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाता रहा और संजीदगी से आग्रह किए जाने के बावजूद उस पर कोई असर नहीं पड़ा और आदेश सुनाए जाने के दौरान रुकावटें पैदा करता रहा और इस तरह अदालत की गरिमा को नज़रंदाज़ किया।
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा'
"न तो मैं अपने भविष्य के बर्बाद हो जाने के बारे में चिंतित हूँ और न ही वायरस से संक्रमित होने का मुझे डर है; मेरे लिए अदालत की गरिमा ही सबसे ऊपर है।"
जस्टिस दत्ता ने कहा,
" अधिकारी का व्यवहार "नींदनीय" है और प्रथम दृष्ट्या यह अदालत मानहानि अधिनियम, 1971 की धारा 2(c) के तहत 'आपराधिक मानहानि' का है। "इसलिए, मेरे पास अधिकारी के ख़िलाफ़ मानहानि का स्वतः संज्ञान लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।"
वक़ील को नोटिस का जावाब देने के लिए एक पखवाड़े का समय दिया गया है और गर्मी की छुट्टियों के बाद इस मामले की खंडपीठ के समक्ष सवाई होगी।