सीएए-एनआरसी प्रोटेस्ट | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68 वर्षीय वकील को वाहनों को नुकसान पहुंचाने, लोक सेवकों पर हमला करने के आरोप में अग्रिम जमानत दी

Sharafat

28 July 2022 3:54 PM GMT

  • सीएए-एनआरसी प्रोटेस्ट | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68 वर्षीय वकील को वाहनों को नुकसान पहुंचाने, लोक सेवकों पर हमला करने के आरोप में अग्रिम जमानत दी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में 2019 में सीएए-एनआरसी प्रोटेस्ट के दौरान वाहनों को नुकसान पहुंचाने और लोक सेवकों पर हमला करने के आरोपी दो वकीलों को गिरफ्तारी से पहले अग्रिम जमानत दे दी।

    जस्टिस राज बीर सिंह की पीठ ने 68 वर्षीय वाजिद खान (वकील के रूप में 40 साल से प्रैक्टिस कर रहे हैं ) को जमानत दे दी। कोर्ट ने एक अन्य वकील को भी जमानत दे दी, जिनकी उम्र 60 साल है।

    आवेदकों के खिलाफ 2 दिसंबर, 2019 को हुई एक घटना के संबंध में कई एफआईआर दर्ज हैं, जिसमें उन पर लगभग 250-300 लोगों की भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप लगाया गया था, जो लाठी और डंडों से लैस थे और जिन्होंने सड़क के किनारे और पार्क में खड़े वाहनों को कथित रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया और उन्होंने लोक सेवकों के साथ मारपीट भी की।

    अदालत के समक्ष उनके वकील ने प्रस्तुत किया कि कुछ सह-आरोपियों के बयान के आधार पर 2 दिसंबर, 2019 की घटना के संबंध में दर्ज एफआईआर [2019 का मामला अपराध संख्या 1132] में उन्हें पहले ही जमानत दे दी गई है।

    यह आगे प्रस्तुत किया गया था कि आवेदकों को आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 323, 336, 188, 427, 120 बी, 153 ए, 295 ए, 109, सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा 3 और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 के तहत इस मामले में झूठा फंसाया गया है।

    कोर्ट को यह भी बताया गया कि मौजूदा मामले के साथ ही पांच और मामले 2019 के केस क्राइम नंबर 1132 की घटना से जुड़े हैं और इसी तरह के एक मामले यानी 2019 के केस क्राइम नंबर 1131 में आवेदकों को पहले ही अग्रिम जमानत दी जा चुकी है।

    यह आगे प्रस्तुत किया गया कि आवेदकों का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और उनके खिलाफ दिखाए गए मामले बाद में दर्ज किए गए हैं। यह भी बताया गया कि पहले आवेदकों को आदेश दिनांक 06.01.2022 द्वारा अंतरिम अग्रिम जमानत दी गई थी और अब आरोप पत्र पहले ही प्रस्तुत किया जा चुका है।

    इसे देखते हुए पक्षकारों के वकील की दलीलों, आरोपों की प्रकृति और मामले के सभी उपस्थित तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए, मामले की योग्यता पर कोई राय व्यक्त किए बिना न्यायालय ने माना कि अग्रिम जमानत के लिए यह मामला बनता है और इसलिए जमानत अर्जी मंजूर की गई।

    केस टाइटल - वाजिद एडवोकेट उर्फ ​​वाजिद खान और एक अन्य बनाम यूपी राज्य और अन्य [आपराधिक विविध अग्रिम जमानत आवेदन सीआरपीसी की धारा 438 नंबर - 2650/2022 ]

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 346


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