बुली बाई ऐप केस: मुंबई पुलिस ने आरोपी विशाल झा की हिरासत बढ़ाए जाने की मांग की

LiveLaw News Network

13 Jan 2022 12:43 PM GMT

  • बुली बाई ऐप केस: मुंबई पुलिस ने आरोपी विशाल झा की हिरासत बढ़ाए जाने की मांग की

    मुंबई पुलिस ने बुली बाई ऐप मामले में गिरफ्तार किए गए पहले व्यक्ति विशाल झा को उसके कंप्यूटर उपकरण, फेक सोशल मीडिया अकाउंट और उसके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए ओटीपी की जांच के लिए उसकी पुलिस हिरासत बढ़ाए जाने की मांग की।

    इस मामले में बेंगलुरू में इंजीनियरिंग छात्र झा को चार जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। उस पर और दो अन्य पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 154 (ए), 153 (बी), 295 (ए), 509, 500 और 354 (डी) और आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    यह मामला राजनीतिक रूप से मुखर कई मुस्लिम महिलाओं को ऑनलाइन नीलामी के लिए विज्ञापित किए जाने से संबंधित है।

    पुलिस ने कहा कि झा को इस सप्ताह की शुरुआत में मेडिकल कस्टडी में रखा गया था। वह COVID-19 टेस्ट में पॉजीटिव पाया गया था। पुलिस ने कहा कि चूंकि उसकी जांच के कुछ हिस्से अभी भी अधूरे हैं, इसलिए उसकी हिरासत समाप्त होने के बाद उसकी हिरासत पुलिस को सौंप दी जानी चाहिए।

    मजिस्ट्रेट ने हिरासत आवेदन के साथ-साथ झा की जमानत याचिका पर सुनवाई शुक्रवार के लिए स्थगित कर दी। मजिस्ट्रेट ने यह निर्देश यह पता चलने पर दिया कि जांच अधिकारी भी COVID-19 टेस्ट में पॉजीटिव पाया गया है।

    अधिवक्ता आरती और शिवम देशमुख की ओर से झा ने लिखित जवाब में मुंबई पुलिस की याचिका का विरोध किया। जवाब के अनुसार, एक बार जब उसे पुलिस की सहमति से न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया तो और हिरासत की दलील बेकार हो जाती है।

    उन्होंने कहा,

    "यह ध्यान रखना उचित है कि जब्त उपकरणों के ओटीपी प्राप्त करने के लिए प्रतिवादी/आरोपी की हिरासत लेने के लिए वर्तमान आवेदन को प्राथमिकता दी जाती है। हालांकि यह न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद हिरासत रिमांड का आधार नहीं हो सकता।"

    जवाब के अनुसार, झा ने चार जनवरी को आत्मसमर्पण किया और 10 जनवरी तक मुंबई साइबर पुलिस की हिरासत में भेज दिया गया। उसे 10 तारीख को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इसलिए पुलिस के पास उससे पूछताछ के लिए पर्याप्त समय था।

    मुंबई पुलिस की याचिका में कहा गया,

    "उसके द्वारा बनाए गए कंप्यूटर उपकरण और सोशल मीडिया अकाउंट, प्रोटॉन मेल से संबंधित जांच की जानी बाकी है। उस जांच के लिए उसका मोबाइल फोन, इंटरनेट, फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट पासवर्ड और ओटीपी के साथ उसकी उपस्थिति आवश्यक है। उसका क्वारंटीन खत्म होने के बाद उसे पुलिस को सौंपा जाना चाहिए"

    आवश्यक ट्विटर हैंडल और बुली बाई के डेवलपर के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 295ए, 354डी, 500 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

    अपनी जमानत अर्जी में झा ने आरोपों से खुद को अलग करते हुए कहा कि उस पर झूठे आरोप लगाए गए। झा ने दावा किया कि यह पुलिस का मामला नहीं है कि वह @bullibai, @ Sageox11, @hmmachaniceoki, @jattkhalsa7 और @wannabesigmaf किसी भी ट्विटर हैंडल का उपयोग कर रहा है। साथ ही न ही यह आरोप लगाया गया कि उसने ऐप बनाया है।

    उस पर ट्विटर अकाउंट @खालसा का उपयोग करने का आरोप लगाया गया। यह पुलिस का मामला नहीं है कि शिकायतकर्ता या किसी और की छवि खराब करने के लिए अकाउंट का इस्तेमाल किया गया।

    झा ने अपनी याचिका में कहा कि पुलिस उसके पास से एक लैपटॉप, मोबाइल फोन और दो सिम पहले ही जब्त कर चुकी है, इसलिए सबूतों से छेड़छाड़ का सवाल ही नहीं उठता।

    इसके अलावा, चूंकि वह अन्य आरोपियों को नहीं जानता, इसलिए उनकी कोई मुलाकात नहीं हुई।

    अंत में झा ने कहा कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और उसके खिलाफ अपराध तीन साल से कम कारावास के साथ दंडनीय है, इसलिए, वह जमानत का हकदार है।

    अब मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी।

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