वेश्यालय के ग्राहकों पर अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
Sharafat
17 Aug 2022 8:15 AM IST
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 के तहत एक वेश्यालय ग्राहक के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी।
जस्टिस नीनाला जयसूर्या की पीठ ने तय कानूनी स्थिति को दोहराया कि एक ग्राहक जो वेश्या के साथ यौन संबंध रखने के लिए नकद भुगतान पर आया था, वह अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 की धारा 3, 4 और 5 के तहत अपराधों के लिए अभियोजन के लिए उत्तरदायी नहीं है।
पीठ ने गोयनका साजन कुमार बनाम आंध्र प्रदेश राज्य के फैसले को याद किया :
"4. अधिनियम की धारा 3 वेश्यालय के घर को बनाए रखने या परिसर को वेश्यालय के घर के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए दंड का प्रावधान करती है। धारा 4 वेश्यावृत्ति की कमाई पर रहने के लिए जुर्माना लगाती है। धारा 5 किसी व्यक्ति की खरीद, प्रलोभन या उत्प्रेरण से संबंधित है। वेश्यावृत्ति के लिए अधिनियम की धारा 6 एक व्यक्ति को उस परिसर में हिरासत में लेने के बारे में कहती है जहां वेश्यावृत्ति की जाती है।
5. इनमें से कोई भी धारा वेश्यालय के ग्राहक को सजा की बात नहीं करती है। माना जाता है कि याचिकाकर्ता अधिनियम की धारा 3 से 7 के प्रावधानों के तहत नहीं आता है, क्योंकि याचिकाकर्ता कोई वेश्यालय घर नहीं चला रहा था और न ही उसने अपने परिसर को वेश्यालय के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। याचिकाकर्ता पर वेश्यावृत्ति की कमाई पर जीवन यापन करने का आरोप नहीं है। अभियोजन पक्ष का यह भी मामला नहीं है कि याचिकाकर्ता वेश्यावृत्ति के लिए किसी व्यक्ति को खरीद रहा था, प्रेरित कर रहा था और न ही यह अभियोजन का मामला है कि कोई भी व्यक्ति उस परिसर में कमा रहा था जहां वेश्यावृत्ति की जाती है।
उपरोक्त के आधार पर न्यायालय ने माना कि याचिकाकर्ता अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 की धारा 3, 4 और 5 के तहत अपराधों के लिए अभियोजन के लिए उत्तरदायी नहीं है और उसके खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी।
केस टाइटल : कोराडा सुब्रह्मण्यम बनाम आंध्र प्रदेश राज्य
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