दिल्ली हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने की याचिका में Alt News के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की

LiveLaw News Network

9 Sep 2020 9:47 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने की याचिका में Alt News के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को Alt News के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की। उन्होंने एक ट्विटर उपयोगकर्ता की प्रतिक्रिया में किए गए एक ट्वीट को लेकर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की है।

    न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की एकल पीठ ने दिल्ली सरकार और पुलिस उपायुक्त, साइबर सेल को इस मामले में की गई जांच की स्टेटस रिपोर्ट 8 सप्ताह के भीतर दाखिल करने का भी निर्देश दिया है।

    यह आदेश एक आपराधिक रिट याचिका में आया है, जिसमें तथ्य-जांच करने वाले पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर ने ट्विटर उपयोगकर्ता जगदीश सिंह द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की है।

    यह मामला ज़ुबैर द्वारा पोस्ट किए गए एक ट्वीट से संबंधित है, जिसमें सिंह की प्रोफाइल तस्वीर साझा की गई है, जिसमें वह अपनी नाबालिग पोती के साथ खड़े थे, और नाबालिग लड़की के चेहरे को धुंधला कर- ये पूछा था कि क्या यह उचित था कि सिंह ने जवाब में उस प्रोफ़ाइल चित्र का उपयोग कर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया जिसमें उनकी पोती भी साथ है।

    इस ट्वीट के आलोक में जगदीश सिंह ने ज़ुबैर के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज कीं, जिसमें उनकी पोती के साइबर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। दिल्ली में दर्ज एफआईआर में ज़ुबैर के खिलाफ आईपीसी की धारा 509 बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा धारा 67 और 67 ए के तहत आरोप लगाए गए हैं ।

    ज़ुबैर इस बात से भी दुखी हैं कि उक्त एफआईआर की प्रतियां उन्हें मुहैया नहीं कराई गई हैं। इसके अलावा, वह जदगीश सिंह द्वारा दायर एक तुच्छ शिकायत के आधार पर जुबैर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ट्विटर इंडिया को बुलाने के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के निर्णय का भी हवाला दिया गया है।

    याचिकाकर्ता के लिए अपील करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने अदालत को सूचित किया कि याचिकाकर्ता एक समर्पित नागरिक, Alt News के सह-संस्थापक हैं, जो अपने समाचार आउटलेट के माध्यम से व्यक्तियों द्वारा और किसी भी पक्षपात के बिना राजनीतिक दलों द्वारा गलत जानकारी का खंडन करते हैं। गोंजाल्विस ने कहा कि अपने काम की प्रकृति के कारण, याचिकाकर्ता के साथ अक्सर लोग दुर्व्यवहार करते हैं, धमकी देते हैं क्योंकि वो वेबसाइट या उनके अंध समर्थकों को बेनकाब करते हैं।

    गोंजाल्विस ने तर्क दिया,

    ''शिकायतकर्ता एक' गंभीर उत्पीड़नकर्ता 'है, वह उदार और प्रगतिशील विचारों वाले किसी पर भी हमला करता है, जो भी सरकार के विचारों से सहमत नहीं होता।"

    गोंजाल्विस ने आगे तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के ट्वीट की नाबालिग के यौन उत्पीड़न के अपराध के रूप में एक दूरस्थ संभावना नहीं है, जैसा कि इनके खिलाफ एफआईआर में दर्ज किया गया है।

    दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के लिए पेश स्थायी वकील राहुल मेहरा ने प्रस्तुत किया कि POCSO अधिनियम से संबंधित मामलों में एफआईआर को सार्वजनिक नहीं किया जाता है।

    यह उल्लेख करते हुए कि उनके पास याचिकाकर्ता के लिए अंतरिम सुरक्षा प्राप्त करने के लिए कोई निर्देश नहीं हैं, मेहरा ने प्रस्तुत किया कि दिल्ली में प्राथमिकी शिकायतकर्ता द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर दर्ज की गई थी और आरोपों ​​की अभी तक पूरी जांच नहीं की गई है। इसके अलावा, दिल्ली में दर्ज मामला केवल आईटी अधिनियम की धारा 67 से संबंधित है, जिसके लिए जुबैर द्वारा साझा किए गए अभद्र ट्वीट पर आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट करने वाले एक खाते की जानकारी प्रदान करने के लिए साइबर सेल द्वारा ट्विटर इंडिया से अनुरोध किया गया है।

    मेहरा ने तर्क दिया,

    " Alt News मानव सेवा कर रहा है, हमारे देश में एक तथ्य जांचने वाले के रूप में एक वैध स्थान है। हालांकि, यह याचिकाकर्ता को कोई भी अवैधता करने का लाइसेंस नहीं देता है। तथ्य जांचने वालों को राज्य एजेंसियों द्वारा शिकार नहीं किया जाना चाहिए, एक संतुलन होना चाहिए।"

    इन दलीलों के आलोक में, अदालत ने ट्विटर इंडिया को दिल्ली पुलिस के साइबर सेल द्वारा दायर अनुरोध को शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया।

    अदालत ने NCPCR के अध्यक्ष को याचिका में दिए गए तर्कों के जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

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