रेस्तरां मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना उसका परफॉर्मेंस लाइसेंस रद्द करने का आधार नहीं, जब तक कि मामले में दोष सिद्ध न हो: बॉम्बे हाईकोर्ट

Shahadat

26 Nov 2022 7:53 AM GMT

  • रेस्तरां मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना उसका परफॉर्मेंस लाइसेंस रद्द करने का आधार नहीं, जब तक कि मामले में दोष सिद्ध न हो: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट यह देखते हुए कि आपराधिक मामला दर्ज करना रेस्तरां का परफॉर्मेंस लाइसेंस रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है, जब तक कि मामला दोषी साबित न हो, हाल ही में मुंबई में रेस्तरां गीता लंच होम का परफॉर्मेंस लाइसेंस बहाल कर दिया।

    जस्टिस संदीप के. शिंदे ने कहा,

    "यह स्थापित कानून है कि जब तक दोषी नहीं ठहराया जाता है, तब तक व्यक्ति को निर्दोष माना जाना चाहिए। इसलिए केवल अपराध का रजिस्ट्रेशन परफॉर्मेंस लाइसेंस रद्द करने के लिए आधार प्रदान नहीं करेगा।"

    याचिकाकर्ता के पास सार्वजनिक मनोरंजन के लाइसेंसिंग और नियंत्रण स्थलों (सिनेमाघरों के अलावा) और सार्वजनिक मनोरंजन के लिए प्रदर्शन (मेला, तमाशा सहित), 1960 के नियमों के तहत प्रदर्शन लाइसेंस है।

    पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) ने जुलाई 2016 में याचिकाकर्ता को लाइसेंस शर्तों के उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता ने उस नोटिस का जवाब नहीं दिया, जिसके बाद परफॉर्मेंस लाइसेंस रद्द कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने प्रधान गृह सचिव (अपील और सुरक्षा), महाराष्ट्र के समक्ष अपील की। 22 मार्च, 2018 को डीसीपी द्वारा पारित आदेश की पुष्टि करते हुए आदेश (आक्षेपित आदेश) द्वारा अपील पर एकपक्षीय निर्णय लिया गया। याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश पर पुनर्विचार की मांग की, जिसे खारिज कर दिया गया। इस प्रकार याचिकाकर्ता ने रिट याचिका दायर कर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    याचिकाकर्ताओं के वकील आर डी सोनी ने अदालत को सूचित किया कि अपील का फैसला होने के बाद से याचिकाकर्ता प्रतिष्ठान में वाद्य यंत्र, आर्केस्ट्रा आदि नहीं बजा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 294 के तहत और महिलाओं के अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986 की धारा 3 के तहत दर्ज अपराधों के आधार पर लाइसेंस रद्द किया गया।

    उन्होंने तर्क दिया कि 23 जनवरी, 2019 के सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, जब तक परफॉर्मेंस लाइसेंस धारक या एजेंट या नौकर को अपराध का दोषी नहीं ठहराया जाता है, तब तक केवल अभियोजन का लंबित रहना परफॉर्मेंस लाइसेंस रद्द करने का आधार नहीं हो सकता।

    उन्होंने आगे कहा कि याचिकाकर्ता को सुने बिना अपील का फैसला किया गया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता जुलाई 2016 के कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए डीसीपी के सामने पेश होने के लिए तैयार है, जिसके बाद डीसीपी उचित आदेश पारित कर सकते हैं।

    अदालत ने सहायक आयुक्त के हलफनामे का अवलोकन किया और कहा कि यह निर्दिष्ट नहीं करता कि लाइसेंसधारी को उसके खिलाफ दर्ज अपराध के संबंध में दोषी ठहराया गया है या नहीं। अदालत ने कहा कि केवल अपराध दर्ज करने से परफॉर्मेंस लाइसेंस रद्द करने का आधार नहीं बनता।

    अदालत ने कहा कि 23 जनवरी, 2019 के जीआर के मद्देनजर डीसीपी लाइसेंसधारी या उसके नौकर के खिलाफ दर्ज अपराधों पर भरोसा नहीं कर सकता। इसके अलावा, परफॉर्मेंस लाइसेंस एकतरफा रद्द कर दिया गया। अदालत ने विवादित आदेश रद्द कर दिया और डीसीपी को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के सामने पेश होने और कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने के बाद इस मुद्दे पर फैसला किया जाए।

    केस नंबर- याचिका नंबर 12188/2022

    केस टाइटल- गीता लंच होम बनाम महाराष्ट्र राज्य व अन्य।

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