सावरकर पर टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट का सुनवाई से इनकार

Amir Ahmad

15 July 2025 10:15 AM

  • सावरकर पर टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट का सुनवाई से इनकार

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (15 जुलाई) को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार किया, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी को स्वतंत्रता संग्राम में दक्षिणपंथी नेता विनायक सावरकर के योगदान की अनदेखी बंद करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी याचिकाकर्ता पंकज फडनीस, जिन्हें अभिनव भारत कांग्रेस का सह-संस्थापक बताया जाता है, द्वारा दायर समान याचिका खारिज कर दी थी।

    गौरतलब है कि फडनीस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि गांधी सावरकर के खिलाफ टिप्पणी करके मौलिक कर्तव्यों का उल्लंघन कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 27 मई को उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सावरकर का नाम प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम की अनुसूची में शामिल करने की भी मांग की गई थी।

    हाईकोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा,

    "यह न्यायालय आर1 (राहुल गांधी) को इस जनहित याचिका की विषयवस्तु का अध्ययन करने और सावरकर के योगदान के बारे में अज्ञानता को दूर करने के निर्देश नहीं दे सकता।"

    खंडपीठ ने यह भी कहा कि विनायक सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर द्वारा गांधी के खिलाफ पहले से ही आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया गया और यह पुणे की एक विशेष सांसद/विधायक अदालत में लंबित है।

    एक पक्षकार के रूप में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होते हुए फडनीस ने तर्क दिया कि विपक्षी दल के नेता (LOP) होने के नाते राहुल गांधी सावरकर के खिलाफ ऐसी टिप्पणी नहीं कर सकते। गौरतलब है कि याचिका में गांधी के लंदन में दिए गए भाषण पर आपत्ति जताई गई, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि सावरकर मुसलमानों को देशद्रोही मानते थे।

    फडनीस ने तर्क दिया,

    "हमारे लोकतंत्र में एलओपी कल प्रधानमंत्री बन सकता है। इसलिए वह (गांधी) प्रधानमंत्री बन सकते हैं।"

    इस पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा,

    "हमें नहीं पता कि वह प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं। आप यह सब जानते हैं।"

    फडनीस ने कहा,

    "लेकिन संवैधानिक पद पर आसीन होने के नाते वह अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं कर सकते। वह भ्रम पैदा करके देश के युवा मन को गुमराह कर रहे हैं। युवा पीढ़ी प्रधानमंत्री की तुलना में विपक्ष के नेता पर अधिक विश्वास करती है वह भ्रम पैदा नहीं कर सकते।"

    खंडपीठ ने जनहित याचिका में की गई प्रार्थनाओं को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उसने याचिकाकर्ता को उचित मंच पर अपनी शिकायतें व्यक्त करने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।

    गौरतलब है कि अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने अन्य मामले में गांधी द्वारा सावरकर के खिलाफ की गई टिप्पणियों पर मौखिक रूप से अपनी असहमति व्यक्त की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सावरकर के खिलाफ उनकी टिप्पणियों को लेकर लखनऊ की एक अदालत में गांधी के खिलाफ लंबित आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी लेकिन मौखिक रूप से चेतावनी दी कि यदि उन्होंने भविष्य में ऐसी कोई टिप्पणी की, तो उनके खिलाफ स्वतः संज्ञान से कार्रवाई की जाएगी।

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