'राज्य को निर्णय लेना है': बॉम्बे हाईकोर्ट ने बाइक टैक्सी के लिए पॉलिसी पर अनिर्णय के लिए महाराष्ट्र सरकार से पूछा

Shahadat

11 Jan 2023 5:28 AM GMT

  • राज्य को निर्णय लेना है: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बाइक टैक्सी के लिए पॉलिसी पर अनिर्णय के लिए महाराष्ट्र सरकार से पूछा

    Bombay High Court

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने बाइक टैक्सी एग्रीगेटर रैपिडो की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि जब इस मामले में निर्णय लेने की बात आती है तो राज्य अधर में नहीं रह सकता। उक्त याचिका में इस तरह की संस्थाओं को लाइसेंस देने से राज्य के इनकार को चुनौती दी गई है।

    जस्टिस जीएस पटेल और जस्टिस एसजी डिगे की खंडपीठ ने मामले को 13 जनवरी के लिए स्थगित करते हुए कहा,

    'जब भी हमें बताएं कि आप कोई फैसला लेने जा रहे हैं...लेकिन हमें यह मुश्किल लगता है कि आप यह कहते हुए (लाइसेंस) मना कर दें कि कोई नीति नहीं है और हमें नहीं पता कि हम कोई नीति बनाएंगे या नहीं। आप संक्षेप में यही कह रहे हैं... हम समझते हैं कि चिंताएं वाजिब हैं। लेकिन हम अधर में नहीं रह सकते।"

    29 दिसंबर, 2022 की अधिसूचना में राज्य ने कहा कि बाइक टैक्सी के लिए कोई योजना नहीं है और कोई किराया संरचना नीति नहीं है।

    सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि राज्य विभिन्न संस्थाओं के बीच भेदभाव नहीं कर सकता है।

    खंडपीठ ने कहा,

    "जो स्थिति हमें असंतुलित लगती है, वह दूसरों को अनुमति देना है... लेकिन इस बीच मिस्टर चिनॉय (रैपिडो) को वही करने से रोकना जो दूसरे कर रहे हैं। आप किसी को स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दे सकते।"

    अदालत ने यह बात याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट अस्पी चिनॉय की दलील के बाद कही कि उबर समान सेवा प्रदान कर रहा है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति आदेश द्वारा संरक्षित है।

    एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने प्रस्तुत किया कि कई चिंताएं हैं और दिशानिर्देशों की आवश्यकता है। उन्होंने काल्पनिक स्थिति दी कि जो व्यक्ति समाज के लिए खतरा है या आपराधिक पृष्ठभूमि वाला है, ऐप पर रजिस्ट्रेशन कर सकता है।

    पीठ ने जवाब दिया कि राज्य इन मुद्दों के समाधान के लिए दिशानिर्देश बना सकते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि "एक आकार का ब्लैंकिट सभी पर फिट बैठता है" लाइसेंस जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है। अदालत ने कहा कि राज्य रात में बाइक टैक्सी आदि की अनुमति नहीं देने जैसे प्रतिबंध लगाने के लिए स्वतंत्र है।

    जस्टिस पटेल ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की,

    "मिस्टर चिनॉय, मुझे नहीं पता कि आप आखिरी बार पूना कब गए थे, लेकिन कलाई पर हेलमेट लटकाना नवीनतम फैशन लगता है। वास्तव में, यदि आप (राज्य) सार्वजनिक सुरक्षा में कोई जांच और संतुलन नहीं रखते हैं, तो हम स्वयं निषेधाज्ञा लगा देंगे।"

    अदालत ने कहा कि राज्य नगर परिषदों, निगमों में बाइक टैक्सी की अनुमति देने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन कुछ आबादी वाले शहरों में नहीं, या दक्षिण मुंबई में ऑटो की भी अनुमति नहीं है। हालांकि, इस पर निर्णय लिया जाना है।

    बाइक टैक्सी लाइसेंस से इनकार करने के राज्य के कारणों से असंबद्ध होने के कारण अदालत ने पहले के आदेश में कहा था,

    "ऐसा लगता है कि किसी ने भी बाइक सवार को अनुमति देकर यातायात की भीड़ को कम करने, प्रदूषण में कमी और परिवहन में दक्षता सहित विभिन्न दृष्टिकोणों से स्पष्ट लाभ के लिए अपने विवेक का उपयोग नहीं किया। हम उम्मीद करते हैं कि इन्हें कुछ सुरक्षा आवश्यकताओं के अधीन बनाया जाएगा, जिनका पालन किया जाना चाहिए, लेकिन इस तरह से पूरे प्रस्ताव को खारिज करने का शायद ही कोई कारण हो।

    केस नंबर- WP/15991/2022 [सिविल]

    केस टाइटल- रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्रा. लिमिटेड और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य

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