बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्रता दिवस पर विशेष सुनवाई, अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में बैडमिंटन खिलाड़ी को वाइल्ड कार्ड एंट्री की अनुमति दी

Sharafat

16 Aug 2022 12:46 PM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्रता दिवस पर विशेष सुनवाई, अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में बैडमिंटन खिलाड़ी को वाइल्ड कार्ड एंट्री की अनुमति दी

    बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने बैडमिंटन खिलाड़ी प्रथमेश कुलकर्णी को 30 अगस्त से पुणे में होने वाले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में वाइल्ड कार्ड एंट्री की इजाजत दे दी।

    जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस अरुण पेडनेकर की खंडपीठ ने समय की कमी के कारण स्वतंत्रता दिवस पर विशेष सुनवाई की क्योंकि प्रतिभागियों की अंतिम सूची में याचिकाकर्ता का नाम जोड़ने की समय सीमा 15 अगस्त को शाम 5 बजे तक थी। अदालत ने नोटिस जारी किया और 12 अगस्त को और 15 अगस्त को एक विशेष सुनवाई निर्धारित की।

    भारतीय बैडमिंटन प्राधिकरण (बीएआई) की ओर से क्लरिकल गलतियों के कारण याचिकाकर्ता का नाम टूर्नामेंट के लिए प्रतिभागी सूची में शामिल नहीं किया गया था।

    अदालत ने कहा, " स्पष्टता के लिए हम मानते हैं कि यदि कोई बाधा नहीं है तो याचिकाकर्ता 30.08.2022 से पुणे में खेलने का हकदार होगा, यदि अनुमति हो तो उसे वाइल्ड कार्ड एंट्री दी जाए। हालांकि, यह बैडमिंटन एशिया/बीडब्ल्यूएफ की नीतियों या दिशानिर्देशों के अधीन होगा।"

    याचिकाकर्ता ने पुणे में होने वाले इंडिया जूनियर इंटरनेशनल ग्रां प्री, 2022 में भाग लेने के लिए आवेदन किया था। उसने फॉर्म में अपना नाम, जन्म तिथि, लिंग और रैंकिंग जैसी अपनी जानकारी सही भरी थी। हालांकि महिला प्रतिभागियों की लिस्ट में उसका नाम सामने आया।

    याचिकाकर्ता ने बीएआई से सुधार की गुहार लगाई। उसका लिंग सुधारा गया लेकिन फिर उसकी जन्मतिथि में एक त्रुटि हो गई। उसने इसे इंगित किया और कहा गया कि गलती को सुधार लिया गया है। हालांकि, उसका नाम महिला प्रतिभागियों की सूची से हटा दिया गया, लेकिन पुरुष प्रतिभागियों की सूची में दर्ज नहीं किया गया था। याचिकाकर्ता के आवेदन को वापस लेने पर विचार किया गया।

    याचिकाकर्ता ने टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए सक्षम करने के लिए एक नई और सटीक बीडब्ल्यूएफ आईडी बनाने के लिए बीएआई को निर्देश देने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया।

    अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता की गलती नहीं है और बीएआई की बार-बार की गई गलतियों से ये स्थिति पैदा हुई। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता ने टूर्नामेंट से अपना नाम वापस नहीं लिया है और उसे बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ एशिया और बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की नीतियों के अधीन पुणे टूर्नामेंट में खेलने की अनुमति दी जानी चाहिए।

    अदालत ने बीएआई की इस दलील पर गौर किया कि अगर याचिकाकर्ता पुणे टूर्नामेंट से चूक जाता है तो उसका नाम 13 सितंबर से नागपुर में होने वाले इंडिया महाराष्ट्र इंटरनेशनल चैलेंज, 2022 के लिए भेजा जाएगा।

    अदालत ने दर्ज किया,

    " याचिकाकर्ता के संबंध में प्रतिवादी संख्या 2 द्वारा कोई और गलती नहीं की जाएगी और पैराग्राफ संख्या 10 में बयान के मद्देनजर, याचिकाकर्ता को नागपुर में खेलने के लिए पात्र माना जाएगा।"

    केस नंबर- 2022 की रिट याचिका संख्या 8435

    केस टाइटल - प्रथमेश बनाम भारत संघ और अन्य।

    कोरम - जस्टिस रवींद्र वी. घुगे और जस्टिस अरुण आर. पेडनेकर


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