बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल आधार पर वरवर राव की अस्थाई जमानत तीन महीने बढ़ाई
LiveLaw News Network
13 April 2022 1:45 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को तेलुगु कवि और भीमा कोरेगांव-एलगार परिषद के आरोपी पी वरवर राव को स्थायी मेडिकल बेल देने से इनकार कर दिया। हालांकि अदालत ने उनके मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए अस्थायी जमानत की अवधि तीन महीने बढ़ा दी और मुकदमे में तेजी लाने के निर्देश जारी किए।
कोर्ट ने उन्हें तेलंगाना में उनके घर पर रहने की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया।
जस्टिस सुनील शुक्रे और जस्टिस जीए सनप की खंडपीठ ने दो रिट याचिकाओं और राव द्वारा दायर अंतरिम आवेदन पर अपनी बीमारियों और मुंबई में किराए पर रहने की उच्च लागत को देखते हुए जमानत या स्थायी जमानत के विस्तार के लिए आदेश पारित किया।
बेंच ने अपने फैसले का ऑपरेटिव भाग सुनाया,
"स्थायी जमानत की मांग करने वाली याचिका खारिज की जाती है। अस्थायी जमानत तीन महीने के लिए बढ़ा दी जाती है। हैदराबाद में रहने की अनुमति नहीं दी जाती। जमानत की अस्थायी अवधि केवल मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए बढ़ाई जाती है।"
इसमें कहा गया कि बहस के दौरान तलोजा जेल से जुड़े कुछ तथ्य उसके ध्यान में लाए गए। कमियां देखी गई हैं और इस संबंध में कुछ निर्देश जारी किए गए हैं।
एक फरवरी, 2021 को हाईकोर्ट ने 82 वर्षीय कवि को कड़ी शर्तों के साथ छह महीने के लिए जमानत दे दी थी। इन शर्तों में एक यह थी कि राव को मुंबई में विशेष एनआईए कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को छोड़ने की इजाजत नहीं होगी।
पीठ ने पाया कि वृद्ध का निरंतर कारावास उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
अदालत ने उन्हें अस्थायी जमानत देते हुए कहा,
"मानवीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए तलोजा जेल अस्पताल में अधिक उम्र और अपर्याप्त सुविधाओं को देखते हुए हमारी राय है कि यह राहत देने के लिए एक वास्तविक और उपयुक्त मामला है। अन्यथा हम मानवाधिकारों के रक्षक के रूप में हमारे संवैधानिक कर्तव्य और अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य का अधिकार के उल्लंघन के उत्तरदायी होंगे।"
राव के वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने तर्क दिया कि अपने पहले से मौजूद न्यूरोलॉजिकल मुद्दों के साथ राव मस्तिष्क के उस हिस्से में धमनी रुकावटों के कारण लैकुनर इंफार्क्ट्स (मृत मस्तिष्क ऊतक) से पीड़ित हैं, जो मस्तिष्क के बुद्धि, स्मृति और दृश्य प्रसंस्करण क्षेत्र से संबंधित है। वह पार्किंसंस के शुरुआती लक्षण भी प्रदर्शित कर रहा है।
अपनी याचिका में राव ने कहा कि उनका दामाद एक न्यूरोसर्जन है। उसका अपना नर्सिंग होम है। उनकी सबसे बड़ी बेटी तेलंगाना सरकार में नेत्र रोग अधिकारी है। साथ ही उनकी पोती ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में उनकी तीन बेटियां और पोती चौबीसों घंटे उन्हें सहायता प्रदान करेंगे।
ग्रोवर ने आगे आशंका व्यक्त की कि अगर राव को जेल में रखा गया तो उनकी तबीयत खराब हो सकती है।
बॉम्बे हाईकोर्ट में एनआईए के एसपी विक्रम खलाटे द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया कि तलोजा सेंट्रल जेल "सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधाएं" प्रदान करता है, इसलिए तेलुगु कवि को आत्मसमर्पण करना चाहिए।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने प्रस्तुत किया कि राव के हैदराबाद में रहने के अनुरोध पर पहले की पीठ ने विचार किया है, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया। शुरुआत में छह उन्हें महीने का समय दिया गया था, जो अगस्त, 2021 में खत्म हो गया।
उन्होंने एक निजी अस्पताल से राव के स्वास्थ्य पर नवीनतम सारांश रिपोर्ट पर भी भरोसा करते हुए कहा कि उनकी हालत स्थिर है।
मामला
एनआईए ने राव और 14 अन्य कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के एजेंडे को आगे बढ़ाने और सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्हें मुख्य रूप से उनके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से प्राप्त पत्रों/ईमेल के आधार पर कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया है।
एक आपराधिक साजिश के हिस्से के रूप में एनआईए ने आरोप लगाया कि एल्गार परिषद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में किया गया। एजेंसी ने आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम में भड़काऊ भाषणों ने अगले दिन भीमा कोरेगांव में जातीय हिंसा को बढ़ाया।
आरोपियों ने दावा किया कि उनमें से अधिकांश ने इस कार्यक्रम में भाग नहीं लिया या एफआईआर में उनका नाम नहीं है।