बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरबीआई को महाराष्ट्र निवासी एक व्यक्ति के नोटबंदी के बाद चलन से बाहर हुए पुराने नोट बदलने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

26 Feb 2022 11:07 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरबीआई को महाराष्ट्र निवासी एक व्यक्ति के नोटबंदी के बाद चलन से बाहर हुए पुराने नोट बदलने का निर्देश दिया

    बॉम्बे हाई कोर्ट ने रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को नोटबंदी (डिमोनेटाइज़ेशन) के बाद महाराष्ट्र निवासी एक व्यक्ति के एक लाख 60 हज़ार रुपए के पुराने नोटों को नए नोटों से बदलने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक को 1.6 लाख रुपये के पुराने नोटों को नए और वैध नोटों से बदलने का निर्देश दिया।

    जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस माधव जामदार की खंडपीठ ने किशोर सोहोनी द्वारा दायर याचिका में यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता ने डिमोनेटाइजेशन से पहले अदालत के आदेश के अनुसार उक्त राशि थाने में नकद में जमा की थी।

    8 नवंबर 2016 को भारत सरकार की अधिसूचना के बाद नोटबंदी के तहत कुछ नोटों को बंद कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि उनका मानना है कि चूंकि उनके नकद रुपए एक ऑथोरिटी (पुलिस) के पास जमा थे, इसलिए उन्हें डिमोनेटाइजेशन से बचाया जा सकता है।

    हालांकि जब मजिस्ट्रेट ने 20 मार्च 2017 को याचिकाकर्ता को पुलिस स्टेशन से रुपए लेने का निर्देश दिया तो उसे पुराने नोट सौंपे गए। इस समय तब तक ये नोट डिमोनेटाइज़ हो चुके थे।

    अदालत ने कहा कि वित्त मंत्रालय की 12 मई, 2017 की अधिसूचना के अनुसार एक व्यक्ति अदालत के आदेश बाद ज़ब्त किये गए जो नोट वापस मिले हैं, वह निर्दिष्ट बैंक में नोटों को जमा करने या बदलने का हकदार है।

    याचिकाकर्ता किशोर सोहोनी के मामले में केवल एक चीज जो गायब थी, वह थी एक अदालत का आदेश जो आरबीआई को नोट बदलने का निर्देश दे सके।

    "हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने न्यायसंगत विवेकाधीन क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हैं, ताकि याचिकाकर्ता को दिए गए नोट वर्तमान नोट से बदलने के लिए आरबीआई को निर्देश दिया जा सके, बशर्ते कि याचिकाकर्ता अन्य आवश्यकताओं का पालन करता हो जैसे सीरियल नंबर का उल्लेख करना आदि। "

    आरबीआई को पत्र लिखने के बाद सोहोनी ने अधिवक्ता साधना सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    आरबीआई ने एडवोकेट अदिति फाटक के माध्यम से एक हलफनामा दाखिल करके अपना पक्ष रखा। उन्होंने वित्त मंत्रालय की 12 मई, 2017 की अधिसूचना का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था,

    "यदि जब्त किए गए निर्दिष्ट बैंक नोट अदालत द्वारा किसी ऐसे व्यक्ति को वापस कर दिए जाते हैं, जो उस अदालत के समक्ष लंबित मामले में पक्षकार है तो वह व्यक्ति अदालत के निर्देश से ऐसे निर्दिष्ट बैंक नोट जमा करने या बदलने का हकदार होगा।"

    हालांकि आरबीआई को इस संबंध में अदालत के निर्देश की आवश्यकता थी।

    पीठ ने कहा कि जेएमएफसी -3, कल्याण का एक आदेश है जिसमें याचिकाकर्ता को करेंसी नोट वापस करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन उस आदेश में आरबीआई को डिमोनेटाइज़ करेंसी को वैध नोट से बदलने का निर्देश नहीं है। अदालत ने कहा कि आरबीआई की दलील में कोई गलती नहीं है और उसी के अनुसार सोहोनी के पक्ष में आदेश पारित किया।

    केस का शीर्षक: किशोर रमेश सोहोनी बनाम भारत संघ और अन्य।

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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