बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता ने जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

Shahadat

13 Sept 2022 3:20 PM IST

  • बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता ने जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

    बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता ने जनहित याचिका पर हो रही सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। इस याचिका में हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में तेजी लाने की प्रार्थना की गई है।

    मुंबई यूनिवर्सिटी में कानून की प्रोफेसर डॉ. शर्मिला घुगे द्वारा दायर जनहित याचिका में यह भी प्रार्थना की गई कि 94 नियमित जजों की स्वीकृत शक्ति को पूरा करने की प्रक्रिया पूरी होने तक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के जजों को एडहॉक जज के रूप में नियुक्त किया जाए।

    याचिका में कहा गया,

    वर्तमान जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने इस माननीय न्यायालय से अनुच्छेद 217(1), 224(1) और (2) के तहत नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग की है, जैसा कि याचिका में कहा गया है कि न्यायालय अनुच्छेद 224-ए के तहत हाईकोर्ट में बैठने के लिए सेवानिवृत्त जजों की नियुक्ति की पहल/सिफारिश कर सकता है।

    चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस माधव जामदार की पीठ ने निर्देश दिया कि याचिका को उस पीठ के समक्ष रखा जाए जिसके चीफ जस्टिस दत्ता सदस्य नहीं हैं।

    याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार बॉम्बे हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या में वृद्धि कर रही है, लेकिन स्वीकृत संख्या को पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में जजों की नियुक्ति नहीं की जा रही है।

    94 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति के विरुद्ध बॉम्बे हाईकोर्ट में 44 स्थायी और 18 अतिरिक्त जज हैं, जिनमें से कुछ जल्द ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

    याचिका में कहा गया कि नियमित जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में समय लग सकता है, इस बीच अदालत सेवानिवृत्त जजों की नियुक्ति के लिए संविधान के अनुच्छेद 224-ए की शक्तियों का प्रयोग कर सकती है।

    याचिका में मांग की गई कि लोक प्रहरी बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लागू किया जाए। अदालत में 20% से अधिक रिक्तियां होने पर दिशानिर्देशों का पालन करने की आवश्यकता है। बॉम्बे हाईकोर्ट में 34% वैकेंसी है।

    याचिका में कहा गया कि 5,92,648 मामले अदालत में लंबित हैं। इनमें से 2,31,401 दीवानी मामले और 33,353 आपराधिक मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं।

    याचिका में भारत के विधि आयोग की 124वीं रिपोर्ट का भी उल्लेख है, जिसमें सिफारिश की गई कि बढ़ते बकाया के निपटान के लिए दशकों के न्यायिक अनुभव वाले सेवानिवृत्त जजों को नियुक्त किया जा सकता है।

    याचिका में प्रार्थना की गई कि नियमित न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। इसके अलावा, सेवानिवृत्त जजों को एडहॉक जजों के रूप में नियुक्त करने की प्रक्रिया को भी न्यायालय में पूर्ण स्वीकृत संख्या को भरने तक की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए।

    केस टाइटल– डॉ शर्मिला घुगे बनाम भारत संघ और अन्य।

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