खाना ठीक से नहीं पकाने पर हुए 'अचानक झगड़े' में पत्नी की हत्या करने वाला व्यक्ति हत्या का दोषी नहींः बॉम्बे हाईकोर्ट

Shahadat

8 Dec 2022 5:57 AM GMT

  • खाना ठीक से नहीं पकाने पर हुए अचानक झगड़े में पत्नी की हत्या करने वाला व्यक्ति हत्या का दोषी नहींः बॉम्बे हाईकोर्ट

    Bombay High Court

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में ऐसे व्यक्ति की सजा कम की, जिसने अपनी पत्नी को ठीक से खाना (मांस) नहीं पकाने के कारण मार डाला। हाईकोर्ट ने आरोपी की सजा कम करते हुए कहा कि उने क्रूर या असामान्य तरीके से कृत्य को अंजाम नहीं दिया।

    कोर्ट ने कहा कि यह बिना किसी पूर्व योजना के अचानक हुए झगड़े का मामला है। इसलिए अदालत ने उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 भाग I के तहत दोषी ठहराया और उसकी सजा घटाकर 10 साल के कठोर कारावास में बदल दिया।

    हाईकोर्ट ने कहा,

    "जाहिर है कि आरोपी पहले से हमले के लिए तैयार नहीं था। जब उसने देखा कि मृतका ने खाना नहीं बनाया तो उसने उसे गाली दी और उसके साथ मारपीट की। वर्तमान मामले में इस्तेमाल किया गया हथियार छड़ी जैसा घातक हथियार है। इस मामले को देखते हुए हम पाते हैं कि अपीलकर्ता को पता था कि चोटें मृतक की मृत्यु का कारण बन सकती हैं। आरोपी की ओर से चोट पहुंचाने का इरादा था। हालांकि, आरोपी ने अनुचित लाभ नहीं उठाया या क्रूर या असामान्य तरीके से काम नहीं किया.... आरोपी का कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 300 के अपवाद 4 के तहत कवर होगा और इसलिए आरोपी का मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 304 भाग- I के तहत कवर होगा।"

    नागपुर खंडपीठ के जस्टिस रोहित बी देव और जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के की खंडपीठ आईपीसी की धारा 302 के तहत व्यक्ति की सजा के खिलाफ आपराधिक अपील पर सुनवाई कर रही थी। आरोपी को मूल रूप से आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

    अदालत ने कहा कि यह घटना आईपीसी की धारा 300 के अपवाद 4 के तहत आती है, जो यह प्रावधान करती है कि अचानक हुए झगड़े पर बिना सोचे-समझे किए गए गैर-इरादतन हत्या को हत्या नहीं माना जाएगा।

    कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामला घर में इस तरह की हिंसा का एक और उदाहरण है।

    अभियोजन पक्ष का कहना है कि आरोपी आदतन शराब पीकर पत्नी के साथ मारपीट करता था। अपीलकर्ता के पड़ोसी और रिश्तेदार ने उसे अपनी पत्नी के साथ झगड़ा करते और लात-घूसों से पीटते हुए देखा, क्योंकि उसने मांस ठीक से नहीं पकाया था और उसे जला दिया था। बाद में उक्त पड़ोसी ने अपीलकर्ता की पत्नी को मृत पड़ा देखा और पुलिस से संपर्क किया।

    सुनवाई के दौरान, अपीलकर्ता की पुत्री सहित अभियोजन पक्ष के चार गवाह पक्षद्रोही हो गए। मुखबिर ने केवल कुछ हद तक अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन किया। अपीलकर्ता को इसलिए वर्तमान अपील में दोषी पाया गया।

    मेडिकल साक्ष्य में पीड़िता के चेहरे और छाती पर कई बाहरी चोटों के साथ-साथ फेफड़े, पसलियों, हृदय, अग्न्याशय और प्लीहा पर आंतरिक चोटें दिखाई गईं। महत्वपूर्ण अंग में चोट के कारण मृत्यु का कारण "कार्डियोजेनिक शॉक" था।

    अपीलकर्ता ने अपराध से इनकार किया। उसका बचाव तर्क यह है कि उसकी पत्नी मिर्गी से पीड़ित थी। घटना के दिन उसे दौरा पड़ा था और वह ज़मीन पर गिरकर घायल हो गई थी।

    अदालत ने कहा कि कोई चश्मदीद गवाह नहीं है और अभियोजन पक्ष का पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर निर्भर है। अदालत ने दोहराया कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य को बिना गलती के अभियुक्त के अपराध की ओर इशारा करना चाहिए।

    आरोपी के कपड़े इंसानी खून से सने मिले। हालांकि आरोपी को सफाई देने का कोई मौका नहीं दिया गया। इसलिए कोर्ट ने इस सबूत को नजरअंदाज कर दिया।

    गवाहों की गवाहियों से अदालत ने नोट किया कि पड़ोसियों ने मृतका और अपीलकर्ता को उसकी मृत्यु से पहले एक साथ देखा था। अपीलकर्ता को अपनी पत्नी को गाली देते और मारपीट करते देखा गया, क्योंकि उसने खाना ठीक से नहीं बनाया था। इसके बाद वह मृत पाई गई और अपीलकर्ता ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। घटना स्थल पर डंडा मिला। एक गवाह ने मीट करी वाले जले हुए बर्तन भी देखे।

    अदालत ने कहा कि अभियुक्त के बचाव में दिया गया तर्क कि मृतक की मौत मिर्गी के दौरे के कारण बीमारी ज़मीन पर गिरने से हुई, इसे मेडिकल साक्ष्य द्वारा खारिज कर दिया गया।

    अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि सबूत पर्याप्त रूप से दिखाते हैं कि मौत मानव वध है और अपीलकर्ता के घर में खाना ठीक से तैयार नहीं होने के कारण हमला किया गया थी।

    अदालत ने कहा कि अचानक झगड़ा हुआ और अपीलकर्ता की पूर्व योजना नहीं थी। पत्नी के शरीर के महत्वपूर्ण हिस्सों पर चोट के निशान नहीं थे। अदालत ने कहा कि सबूत यह नहीं दिखाते कि अपीलकर्ता ने क्रूर या असामान्य तरीके से काम किया। इसलिए अदालत ने हत्या की सजा रद्द कर दी और उसे गैर-इरादतन हत्या का दोषी ठहराया।

    केस नंबर- क्रिमिनल अपील नंबर 347/2019

    केस टाइटल- सुरेश मधुकर शेंद्रे बनाम महाराष्ट्र राज्य

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