बलात्कार की शिकार 12 साल की गर्भवती के 23 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने के फैसले पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की राय मांगी

LiveLaw News Network

12 April 2020 6:15 AM GMT

  • बलात्कार की शिकार 12 साल की गर्भवती के 23 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने के फैसले पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की राय मांगी

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने 12 साल की एक नाबालिग लड़की की अपने 23 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति के लिए दायर याचिका पर सुनवाई की और इस बारे में चंद्रपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड को अपनी राय देने को कहा है। यह लड़की बलात्कार की शिकार रही है।

    नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति वीएम देशपांडे ने इस अपील की सुनवाई की। चूंकी याचिककर्ता किसी वक़ील की सेवा नहीं ले पायी, इसलिए विधिक सेवा प्राधिकरण ने स्वीटी भाटिया को पीड़ित के लिए वक़ील नियुक्त किया। उन्होंने इस लड़की की ओर से याचिका तैयार की और अदालत ने उसी दिन 3 अप्रैल को इसकी सुनवाई की।

    इस लड़की का योगेश रामचंद्र दोहतारे नामक व्यक्ति ने यौन उत्पीड़न किया था जो उसके पिता का दोस्त था। बलात्कार की वजह से वह गर्भवती हो गई। POCSO क़ानून, 2012 की धारा 2 के क्लाज (d) के तहत पीड़ित की उम्र 12 साल 4 महीने के होने के कारण वह 'बच्ची' है।

    उसकी मां ने योगेश के ख़िलाफ़ 14 मार्च 2020 को शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद उसे आईपीसी की धारा 376, 376(2)(l)(j)(n), 506 और POCSO अधिनियम की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    राज्य की पैरवी एपीपी एनएस राव ने किया और इस मौक़े ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी अजय सखरकर भी मौजूद थे।

    3 अप्रैल को अदालत ने चंद्रपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज से गायनेकोलॉजिस्ट, रेडीओलॉजिस्ट, कार्डीआलॉजिस्ट, नूरॉलॉजिस्ट और पथॉलॉजिस्ट सहित पाँच डॉक्टरों का एक बोर्ड बनाने को कहा। 6 अप्रैल को इस लड़की की जाँच की गई और मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट दे दी। रिपोर्ट में कहा गया कि इस बात की संभावना है कि बच्चा जीवित पैदा हो।

    अदालत ने बोर्ड की रिपोर्ट पर कहा,

    " मेडिकल बोर्ड की राय है कि गर्भपात के समय गर्भ के ज़िंदा पैदा होने की संभावना है। अगर ऐसा होता है तो इसे गर्भ नहीं कहा जा सकता, बल्कि यह समय से पूर्व पैदा होने वाला बच्चा होगा। बोर्ड की रिपोर्ट में इस स्थिति में किस बात का ख़याल रखा जाना है इस बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है।

    इस स्थिति में, एपीपी ने 15 अप्रैल 2020 तक का समय मांगा है ताकि वह मेडिकल बोर्ड से उचित निर्देश प्राप्त कर सके। अदालत ने इतने समय की अनुमति दे दी।"

    आदेश की कॉपी डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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