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बॉम्बे हाईकोर्ट ने 13 साल की लड़की को गर्भपात करवाने की अनुमति दी, कथित तौर पर पिता ने ही किया था बलात्कार

LiveLaw News Network
30 May 2020 4:45 AM GMT
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 13 साल की लड़की को गर्भपात करवाने की अनुमति दी, कथित तौर पर पिता ने ही किया था बलात्कार
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक 13 वर्षीय लड़की की मां की तरफ से दायर उस याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें इस लड़की के 24 सप्ताह के गर्भ की चिकित्सीय समाप्ति की अनुमति मांगी गई थी। नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर उसके पिता ने ही बलात्कार किया था।

न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एन.आर बोरकर की खंडपीठ ने 22 मई को दिए एक आदेश में इस नाबालिग लड़की को निर्देश दिया था कि वह 23 मई को मुंबई के सर जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित हो। पीठ ने बोर्ड को निर्देश दिया था कि वह नाबालिग की जांच करे और उसके बाद अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करे, जिसमें बताया जाए कि क्या गर्भ के मेडिकल टर्मिनेशन की अनुमति देना उचित होगा?

याचिकाकर्ता मां ने बताया था कि नाबालिग ठाणे में अपनी चाची के साथ रह रही थी। उसी समय उसके पिता ने उसका यौन शोषण किया था, जिसके कारण वह गर्भवती हो गई। 17 मई को ठाणे पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और दो दिन बाद 19 मई को नाबालिग ने अपनी सोनोग्राफी करवाई थी, जिसमें उसे पता चला था कि वह 22 सप्ताह की गर्भवती है।

इसके बाद याचिकाकर्ता अपनी बेटी को जेजे अस्पताल ले गई। जहां उसे सूचित किया गया कि भ्रूण 20 सप्ताह से अधिक का है, इसलिए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के तहत इस गर्भ को चिकित्सीय तौर पर समाप्त करने की अनुमति नहीं है, जिसके बाद उसने यह याचिका दायर की थी।

मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गर्भावस्था को जारी रखने से नाबालिग मां को गंभीर मानसिक और शारीरिक तनाव होगा।

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि-

''मेडिकल बोर्ड की राय पर विचार किया गया है, जिसमें बताया गया है कि गर्भावस्था को बनाए रखने नाबालिग मां पर शारीरिक और मानसिक तनाव बनेगा। वहीं याचिकाकर्ता और नाबालिग भी इस गर्भ को रखना नहीं चाहते हैं और जिन परिस्थितियों में यह गर्भ ठहरा है। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इस गर्भ को चिकित्सीय तौर पर समाप्त करने की अनुमति देना आवश्यक है।

चूंकि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है। इसलिए भ्रूण के ऊतकों व रक्त के नमूनों को संरक्षित करने की आवश्यकता है। ताकि बाद में डीएनए फिंगर प्रिंटिंग/मैपिंग सहित अन्य आवश्यक चिकित्सीय परीक्षण किए जा सकें। इसलिए 25 मई 2020 को मेडिकल बोर्ड द्वारा दी गई राय के अनुसार याचिकाकर्ता को उसकी नाबालिग बेटी की गर्भावस्था की चिकित्सीय समाप्ति करवाने की अनुमति दी जा रही है।''

कोर्ट ने याचिकाकर्ता मां को कहा है कि वह 29 मई को सुबह 11 बजे अपनी बेटी के साथ जेजे अस्पताल में उपस्थित रहे। वहीं अस्पताल को निर्देशित किया गया है कि वे भ्रूण के रक्त के नमूने और ऊतक के नमूनों को संरक्षित कर लें ताकि डीएनए और अन्य आवश्यक चिकित्सा परीक्षण किए जा सकें। जांच अधिकारी यह सुनिश्चित करे कि यह नमूने फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेज दिए जाएं और परीक्षण के लिए संरक्षित कर लिए जाएं।

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