दुर्घटना के समय बाइकर रात में सड़क पर खड़े वाहन की पार्किंग लाइट बंद होने पर अंशदायी लापरवाही के लिए उत्तरदायी नहींः बॉम्बे हाईकोर्ट

Manisha Khatri

7 Nov 2022 3:45 PM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई

    बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने कहा है कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत एक खड़े/रुके हुए टेंपो को टक्कर मारने के लिए मोटरसाइकिल सवार को आंशिक रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, अगर उक्त टेंपो/वाहन की पार्किंग लाइट बंद थी।

    अदालत ने ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए 13 लाख के मुआवजे को बढ़ा दिया और माना कि बाइकर के परिजन याचिका दायर करने की तारीख से इसकी प्राप्ति तक की अवधि के लिए छह प्रतिशत ब्याज के साथ 39,51,256 रुपये का मुआवजा पाने के हकदार हैं।

    46 वर्षीय बाइकर के परिजनों को दिए गए मुआवजे की राशि को बढ़ाते हुए पीठ ने दोहराया कि,

    ''मैं ट्रिब्यूनल की टिप्पणियों को खारिज कर रहा हूं कि उक्त दुर्घटना में मृतक की 50 प्रतिशत अंशदायी लापरवाही थी और मैं यह मान रहा हूं कि दुर्घटनाग्रस्त टेंपो का चालक दुर्घटना के लिए एकमात्र जिम्मेदार है।''

    जस्टिस एसजी डिगे ने आगे कहा, ''जब रुके हुए वाहन द्वारा सावधानी बरतने के संबंध में विशिष्ट नियम हैं और यदि रुके हुए वाहन के चालक/मालिक द्वारा ऐसी सावधानी नहीं बरती जाती है तो मोटरसाइकिल सवार पर दायित्व स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।''

    बाइक सवार के परिजन - पत्नी और दो नाबालिग बेटों ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, लातूर के सदस्य द्वारा दिए गए मुआवजे की राशि को बढ़ाने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी,इसी अपील पर पीठ विचार कर रही थी। वर्ष 2009 में रात 10ः00 बजे मृतक मोहनराव नरहरराव सालुंके लातूर राजमार्ग पर एक खड़े हुए टेंपो से टकरा गया था और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

    उनके वकील ने तर्क दिया कि ट्रिब्यूनल ने बाइक सवार को गलत तरीके से 50 प्रतिशत अंशदायी लापरवाही का दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि टेंपो सड़क के बीच में खड़ा था, अंधेरा था और टेंपो की टेल लाइट नहीं चल रही थी। इसलिए अन्य वाहनों को कोई ऐसा संकेत नहीं था कि आगे कोई समस्या है। इसके अलावा, गैर-आर्थिक मदों के तहत या भविष्य की संभावनाओं और सहायता संघ के लिए कोई मुआवजा नहीं दिया गया था।

    प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि मृतक मोटरसाइकिल को तेज और अत्यधिक गति से चला रहा था। मोटरसाइकिल पर हेडलाइट थी। उस हेडलाइट में मृतक ने खड़े टेंपो को देखा होगा, लेकिन मोटरसाइकिल की तेज गति के कारण मृतक उक्त टेंपो से टकरा गया।

    जस्टिस एसजी डिगे ने कहा कि दुर्घटना में शामिल टेंपो चालक ने अपनी पार्किंग लाइट नहीं जलाई थी,इसलिए उसकी अनुपस्थिति में मृतक बाइक सवार पर अपनी मोटरसाइकिल की हेडलाइट से टेंपो को देखने में विफल रहने के लिए अंशदायी दुर्घटना का दायित्व तय नहीं किया जा सकता है।

    अदालत ने कहा कि केंद्रीय मोटर वाहन नियमों, 1989 के नियम 109 के अनुसार सड़क पर खड़े सभी वाहनों के लिए रात में पार्किंग लाइट चालू करना अनिवार्य है।

    न्यायाधीश ने कहा कि वह मृतक के खिलाफ ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए अंशदायी लापरवाही के निष्कर्षों को ''समझने में असमर्थ'' हैं, जबकि सिग्नल देने के लिए कोई टेल लैंप या संकेतक दुर्घटना में शामिल टेंपों पर नहीं लगाए गए थे या न ही दुर्घटनाग्रस्त टेंपो के चालक द्वारा उचित सावधानी बरती गई ताकि अन्य वाहनों को यह पता चल सके कि दुर्घटनाग्रस्त टेंपो सड़क पर खड़ा हुआ है।

    ''यह रिकॉर्ड में आया है कि, दुर्घटना में शामिल टेंपो पर ऐसी कोई पार्किंग लाइट नहीं लगाई गई थी, इसलिए मृतक पर अंशदायी दुर्घटना का दायित्व यह कहते तय नहीं किया जा सकता है, उसे मोटरसाइकिल की हेडलाइट से सड़क पर खड़े हुए टेंपो को देखना चाहिए था। जब सड़क पर रूके हुए वाहन द्वारा सावधानी बरतने के संबंध में विशिष्ट नियम है और यदि रूके हुए वाहन के चालक/मालिक द्वारा ऐसी सावधानियां नहीं बरती जाती हैं तो मोटरसाइकिल सवार पर दायित्व स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।''

    केस टाइटल- मोहिनी मोहनराव सालुंके व अन्य बनाम रामदास हनुमंत जाधव व अन्य

    निर्णय पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story