यह भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा धब्बा है कि मुख्तार अंसारी जैसे अपराधी कानून निर्माता हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा

Shahadat

23 July 2022 8:02 AM GMT

  • यह भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा धब्बा है कि मुख्तार अंसारी जैसे अपराधी कानून निर्माता हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, "यह भारतीय गणराज्य की विडंबना, त्रासदी, और भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा धब्बा है कि मुख्तार अंसारी जैसे अपराधी कानून निर्माता हैं।"

    मुख्तार अंसारी पर फर्जी दस्तावेज इस्तेमाल करके एंबुलेंस एलॉट करने का मामला है।

    जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने आगे कहा कि चूंकि अंसारी की सुरक्षा के लिए अवैध और परिष्कृत हथियारों से लैस लोगों को ले जाने के लिए एम्बुलेंस का इस्तेमाल कथित तौर पर किया जा रहा है, इसलिए जमानत पर उसे रिहा करने का कोई आधार नहीं है।

    मुख्तार के खिलाफ मामला

    अंसारी के खिलाफ मामला यह है कि 21 दिसंबर, 2013 को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बाराबंकी के परिवहन विभाग में डॉ. अलका राय के नाम पर एंबुलेंस दर्ज की गई थी।

    मामले की जब जांच की गई तो डॉ. अलका राय ने खुद स्वीकार किया कि मुख्तार अंसारी से जुड़े लोग उनके पास कुछ दस्तावेज लाए थे और उन पर उन कागजों पर अपने हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाला गया था।

    जांच के दौरान पता चला कि वाहन का वास्तविक लाभार्थी और उपयोगकर्ता अंसारी था। उसने उक्त वाहन को डॉ. अलका राय के नाम पर दबाव बनाकर खरीदा और कथित रूप से उसके द्वारा भुगतान किया गया।

    इसके अलावा, वाहन को मोहाली, पंजाब से बरामद किया गया। यह पाया गया कि अंसारी और उसके गुर्गे जेल से अदालत जाने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे थे। योजना थी कि उसके गुर्गे उसे एस्कॉर्ट करने के लिए अत्याधुनिक हथियारों से लैस एम्बुलेंस में यात्रा करेंगे।

    इसके बाद अंसारी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120-बी, 177 और 506 और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया।

    विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए)/अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, बाराबंकी द्वारा उसकी जमानत याचिका खारिज होने के बाद उसने हाईकोर्ट का रुख किया।

    न्यायालय की टिप्पणियां

    अदालत ने डॉ. अलका राय द्वारा दिए गए बयानों को ध्यान में रखा और नोट किया कि अन्य सह-आरोपियों ने डॉ. अलका राय के नाम पर जाली और मनगढ़ंत दस्तावेजों के आधार पर उक्त एम्बुलेंस की खरीद के संबंध में अंसारी के खिलाफ आरोप की पुष्टि की है।

    एक आरोपी के बयान के आधार पर कोर्ट ने यह भी नोट किया कि एक बार लखनऊ में रिपोर्टर ने उक्त एम्बुलेंस की फोटो खींची थी। इस पर आरोपी आवेदक के गुर्गों ने उक्त रिपोर्टर के साथ बुरी तरह मारपीट की थी।

    नतीजतन, सबसे जघन्य अपराधों के अंसारी के लंबे आपराधिक इतिहास को ध्यान में रखते हुए और इस मामले के तथ्यों को देखते हुए कि एम्बुलेंस का इस्तेमाल कथित तौर पर उनके लोगों को उसकी सुरक्षा के लिए अवैध और परिष्कृत हथियारों से लैस करने के लिए किया जा रहा था, अदालत ने पाया कि उसे जमानत पर रिहा करने का कोई आधार नहीं है।

    अदालत ने कहा,

    "आरोपी आवेदक लोगों के मन और दिलों में अतुलनीय भय पैदा करता है कि कोई भी उसे, उसके आदमियों और उसकी राजनीति को चुनौती देने की हिम्मत नहीं कर सकता। यदि आरोपी-आवेदक को जमानत दी जाती है तो अभियोजन पक्ष की इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि वह सबूतों से छेड़छाड़ करेगा और गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेगा।"

    इसके साथ ही कोर्ट ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया।

    केस टाइटल - मुख्तार अंसारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के माध्यम से प्रिं. सचिव होम लखनऊ [आपराधिक विविध। जमानत आवेदन नंबर - 2022 का 1776]

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 338

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