भारतीय न्याय संहिता आईपीसी की 'कॉपी-पेस्ट, बेकार की कवायद: पी चिदंबरम
Avanish Pathak
13 Nov 2023 7:47 PM IST
संसद सदस्य और सीनियर एडवोकेट पी चिदंबरम ने गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति को सौंपे गए अपने असहमति नोट में कहा कि भारतीय दंड संहिता को बदलने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए तीन विधेयक "काफी हद तक मौजूदा कानूनों की नकल" हैं।
उन्होंने कहा कि इन तीन विधेयकों को लागू करना एक "बेकार की कवायद होगी जिसके कई अवांछनीय परिणाम होंगे।"
उन्होंने कहा, "विधेयकों ने जो कुछ किया है वह कुछ संशोधन भर है (कुछ स्वीकार्य, कुछ स्वीकार्य नहीं), मौजूदा कानूनों की धाराओं को फिर से व्यवस्थित किया गया है और विभिन्न धाराओं को कई सब क्लाज के साथ एक धारा में विलय किया गया है।"
उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता, प्रभावी रूप से आईपीसी की लगभग 90-95 प्रतिशत कॉपी और पेस्ट है। कुछ "सुधारों" को आईपीसी में संशोधन के साथ आसानी से शामिल किया जा सकता था।
उन्होंने कहा, "विधेयक की भाषा से संबंधित केवल हिंदी नाम रखना अत्यधिक आपत्तिजनक, असंवैधानिक, गैर-हिंदी भाषी लोगों (जैसे तमिल, गुजराती या बंगाली) का अपमान है और संघवाद का विरोध है।"
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकारें, बार एसोसिएशन, राज्य और केंद्रीय पुलिस संगठन, भारतीय पुलिस फाउंडेशन, नेशनल लॉ स्कूल विश्वविद्यालय, अधीनस्थ न्यायपालिका के न्यायाधीश जो हर दिन कानून लागू करते हैं, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के प्रतिष्ठित सेवानिवृत्त न्यायाधीश विचार-विमर्श के चरण में विधेयकों के मसौदे को प्रसारित करके और उन्हें टिप्पणी के लिए आमंत्रित करके प्रख्यात वरिष्ठ अधिवक्ताओं और कानूनी विद्वानों से सलाह नहीं ली गई।
उन्होंने कहा, "हम अपर्याप्तता, गैर-समावेशी, गैर-विद्वानता और सदस्यों द्वारा विचार के लिए पर्याप्त समय की कमी के आधार पर अपनाई गई प्रक्रिया पर कड़ी आपत्ति जताते हैं।"